Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019ट्रंप से पहले भारत आए 6 US राष्ट्रपति, किस दौरे का क्या नतीजा रहा?

ट्रंप से पहले भारत आए 6 US राष्ट्रपति, किस दौरे का क्या नतीजा रहा?

नमन मिश्रा
वीडियो
Updated:
(फोटो: कामरान अख्तर/क्विंट)
i
null
(फोटो: कामरान अख्तर/क्विंट)

advertisement

(एडिटर - अभिषेक शर्मा)

(प्रोड्यूसर - कनिष्क दांगी)

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे की उलटी गिनती शुरु हो गई  है.. सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी को ट्रंप दौरे का मिनिस्टर इन वेटिंग बनाया गया है. यानी दौरे ते तमाम प्रोटोकॉल और आधिकारिक इंतजामों का जिम्मा उन्हीं का रहेगा. वैसे तो ट्रंप के आने पर स्वाभाविक सवाल और चर्चा इस बात पर होनी चाहिए कि उनके इस दौरे से भारत को क्या हासिल होगा, या ट्रंप को ही इससे क्या फायदा होगा. लेकिन असल में चर्चा है उनके अहमदाबाद रोडशो में जुटने वाली भीड़, जिसमें शामिल होने वालों की तादाद को लेकर खुद ट्रेंप रोज नए कयास लगा रहे हैं.

ट्रंप के रोडशो में जुटने वाली भीड़ के रोज नए आंकड़े सामने आ रहे हैं. 20 फरवरी को ट्रंप ने वाशिंगटन में दावा किया कि इसमें करीब 60-70 लाख लोग जुटेंगे. जबकि अहमदाबाद की कुल आबादी ही इतनी है. फिर स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि लगभग 1 लाख लोगों के आने की उम्मीद है.

लेकिन आज फिर ट्रंप ने एक और दावा कर दिया और इस बार पहले से भी बड़ा. अमेरिका के कॉलोराडो में एक रैली में ट्रंप ने कहा कि रोडशो में करीब 10 मिलियन यानी कि 1 करोड़ लोग शामिल होंगे. पता नहीं ट्रंप को ये आंकड़े कौन बता रहा है. कहीं वो टीवी और इंटरनेट के दर्शकों को भी तो इसमें नहीं गिन रहे?

मान लिया कि वो ट्रंप है, कुछ भी कह सकते हैं. लेकिन ऐसा भी नहीं करना चाहिए कि एक दिन कहा- इस दौरे में कोई बड़ी डील नहीं होगी और आज लास वेगास में कह दिया कि भारत के साथ 'जबरदस्त डील' हो सकती है. खैर वो अंकल सैम हैं, वो कुछ भी कह सकते हैं.

अब भले ही सोशल मीडिया और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के इस दौर ने ट्रंप दौरे को जबरदस्त पब्लिसिटी दे रखी हो लेकिन हम आपको ये भी बता दें कि नेहरू से लेकर वाजपेयी और मनमोहन सिंह तक के कार्यकाल में कई अमेरिकी प्रेजिडेंट भारत आ चुके हैं.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

ड्वाइट आइसनहावर

(फाइल फोटो: AP)

आजाद भारत में अमेरिकी राष्ट्रपति का पहला दौरा आजादी मिलने के 12 साल बाद 1959 में हुआ था, जब ड्वाइट आइसनहावर आए थे. उस वक्त जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री थे. ये कोल्ड वॉर का समय था. भारत अमेरिका और सोवियत संघ में से किसी के भी पाले में नहीं था. आइसनहावर 9 दिसंबर 1959 को भारत आए थे और दिल्ली एयरपोर्ट पर उनका शानदार स्वागत हुआ था. आइसनहावर ने संसद के दोनों सदनों को भी संबोधित किया था.

रिचर्ड निक्सन

(फाइल फोटो: AP)

रिचर्ड निक्सन के भारत दौरे को 'दौरा' कहना भी शायद ही ठीक हो. 1969 में जब निक्सन दिल्ली आए तो वो महज 22 घंटे ही देश में रुके. जानकारों का कहना है कि असल में वो अपने और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बीच तनाव और गलतफहमी खत्म करने आए थे.

इससे पहले निक्सन और उनके नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर हेनरी किसिंजर भारतीयों के लिए विवादस्पद टिप्पणियां करने के लिए चर्चा में रह चुके थे. हालांकि, अपने दौरे के दो साल बाद 1971 में बांग्लादेश युद्ध में निक्सन ने पाकिस्तान की साइड ली थी और भारत पर सीजफायर का दबाव बनाया था.

जिमी कार्टर

(फाइल फोटो: AP)

1971 बांग्लादेश युद्ध खत्म हो चुका था और 1974 में भारत ने पहला परमाणु परीक्षण भी कर लिया था. अमेरिका को इस बात पर ऐतराज और नाराजगी थी. दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर जनवरी 1978 को भारत आए. वो दिल्ली के करीब एक गांव में गए और एक टीवी भेंट किया. उस गांव को कार्टरपुरी के नाम से जाना गया. मोरारजी देसाई उस समय देश के पीएम थे.

बिल क्लिंटन

(फाइल फोटो: AP)

दो दशक से भी ज्यादा समय के बाद बिल क्लिंटन साल 2000 में भारत दौरे पर आए. तब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे. बहुत कुछ बदल चुका था. सोवियत संघ बिखर गया था. 1999 में कारगिल युद्ध हो चुका था जिसमें अमेरिका ने पहली बार पाकिस्तान के खिलाफ भारत का साथ दिया था. 1991 में उदारीकरण की नीतियों ने भारत की अर्थव्यवस्था को भी नया रूप दे दिया था. क्लिंटन ने भारतीय संसद में भाषण दिया और सदन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. क्लिंटन भारत में काफी लोकप्रिय थे.

जॉर्ज बुश

(फाइल फोटो: AP)

जॉर्ज W बुश के 2006 के भारत दौरे की सबसे बड़ी हाईलाइट थी 2005 में भारत के साथ हुई परमाणु डील. पीएम मनमोहन सिंह के नेतृत्व में भारत ने अपने सिविल न्यूक्लियर फैसिलिटी को इंटरनेशनल इंस्पेक्शन के लिए खोल दिया और अमेरिका ने भारत पर लगे परमाणु ट्रेड बैन को हटा दिया. लेफ्ट पार्टियां बुश के संसद में भाषण के खिलाफ थीं, इसलिए उनका संबोधन दिल्ली के पुराना किला में हुआ था.

बराक ओबामा

(फाइल फोटो: AP)

बराक ओबामा दो बार अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए थे और अपने दोनों कार्यकाल में वो भारत आए थे. एक बार 2010 और दूसरी बार 2015 में. अपने पहले दौरे के दौरान ओबामा ने भारत के संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्यता के दावे का समर्थन किया था. उन्होंने पीएम मनमोहन सिंह के साथ 10 बिलियन डॉलर की ट्रेड डील भी साइन की थी. खबरों के मुताबिक, ओबामा और मनमोहन सिंह के बीच अच्छे ताल्लुकात हो गए थे.

दूसरी बार ओबामा 2015 में पीएम मोदी के कार्यकाल में भारत आए. इस बार वो गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के तौर पर आए थे. वो ऐसा करने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति थे. हालांकि इस दौरे में ओबामा ने भारत को धार्मिक स्वतंत्रता और असहिष्णुता पर कुछ नसीहतें दी जो सत्ताधारी बीजेपी को रास नहीं आई थी.

और अब 24 फरवरी को डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार भारत आ रहे हैं. यहां उनकी लोकप्रियता अच्छी-खासी है. देश को उनके दौरे से क्या हासिल होगा, ये सवाल अभी बाकी है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 21 Feb 2020,11:37 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT