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वीडियो एडिटर: संदीप सुमन
लंबे समय से टीशू कैंसर से जूझ रहे बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली का 66 साल की उम्र में निधन हो गया है. जेटली 9 अगस्त से दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती थे. पिछले साल किडनी ट्रांसप्लांट करा चुके जेटली खराब स्वास्थ्य के चलते केंद्र कैबिनेट में शामिल नहीं हुए थे. जेटली ने वित्त, रक्षा और कॉर्पोरेट अफेयर्स जैसे कई महत्वपूर्ण मंत्रालय संभालने. वो पीएम मोदी के करीबी और बीजेपी के कद्दावर नेता थे. अपने तार्किक और अचूक तर्क से विपक्ष का मुंह बंद कराने वाले जेटली प्रखर वक्ता थे. एक नजर अरुण जेटली 6 यादगार स्पीचों पर
“नई दुनिया है, नया दौर है, नई है उमंग
कुछ थे पहले के तरीके तो कुछ हैं आज के रंग-ढंग
रोशनी आकर जो अंधेरों से टकराई है
काले धन को भी बदलना पड़ा आज अपना रंग”
(8 अगस्त, 2016)
इस प्रणाली को स्थापित करने के लिए संविधान संशोधन की आवश्यकता है क्योंकि इस व्यवस्था को लागू करने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की भी होगी और देश की हर राज्य सरकार की भी होगी. इसलिए सरकार का बहुत बड़ा प्रयास ये रहा कि इसमें व्यापक आम राय बन पाए. मुझे इस बात की खुशी है कि बहुत लंबे प्रयास के बाद एक आम राय बनी है और अधिकतर राजनीतिक दल बड़ी संख्या में इसके समर्थन में उभर कर सामने आए हैं. ये एक देश में एक टैक्स होगा. हम जो देखते हैं कि राज्य के ऊपर रुकावटें आती हैं, जब कोई सामान एक राज्य से दूसरे राज्य में जाता है वो नहीं होगा. और बड़ी मात्रा में सामान देश भर में बिना किसी रुकावट के भेजा जाएगा. पूरा देश एक इंटिग्रेटेड मार्केट बन जाएगा. व्यवस्था में जो लीकेज है वो स्वाभाविक अपने आप कम होगा. जिसकी वजह से टैक्स बेस बढ़ेगा.
(22 नवंबर, 2016)
(6 दिसम्बर, 2012)
आपके कुछ सहयोगी सरकार में हैं, कुछ सरकार का हिस्सा नहीं हैं. मल्टी ब्रांड रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का विरोध कर रहे हैं. लेकिन राजनीतिक मजबूरियों की वजह से या तो आपका समर्थन कर रहे हैं या वोट डालने से परहेज कर रहे हैं. आपके कृषि मंत्री पवार साहब हमेशा एफडीआई के समर्थक रहे हैं.मैंने महाराष्ट्र विधानसभा में उनकी पार्टी का एक बयान सुना कि
महाराष्ट्र सरकार राज्य में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को लागू नहीं कर सकती है.सिब्बल जी ने रिटेल में एफडीआई के पक्ष में बात की मैं उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्र में एक एफडीआई रिटेल स्टोर खोलने की चुनौती देता हूं. चुनाव का मौका है, वो उसी एफडीआई स्टोर से अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत कर सकते हैं. देश की जनता, जिसकी तरफ से आप बोलते हैं, उस पर अपना फैसला दे देगी.
(9 फरवरी, 2017)
इस देश में रेलवे अभी भी सरकार के नियंत्रण में है. एकाधिकार है, लेकिन इसका मुकाबला -पैसेंजर ट्रैफिक और माल ढुलाई दोनों में ही, ट्रांसपोर्ट के अन्य साधनों से है. लोग हाइवे पर गाड़ी चलाना पसंद करते हैं. देश में 70 फंक्शनल एयरपोर्ट हैं. अगले कुछ साल में ये संख्या 100 से ऊपर हो जाएगी. इस समय के हालात 1924 से अलग हैं. बजट का बहुत कम हिस्सा रेलवे पर खर्च होता है. रक्षा पर रेलवे की तुलना में ज्यादा खर्च किया जाता है. सरकार का खर्च रेलवे की तुलना में ज्यादा है. हाइवे पर रेलवे की तुलना में ज्यादा खर्च होता है. इसलिए अलग रेल बजट की कोई वजह नहीं है.
“इस मोड़ पर न घबरा कर थम जाइए आप
जो बात नई है उसे अपनाइए आप
डरते हैं नई राह पर क्यों चलने से?
हम आगे-आगे चलते हैं, आइये आप”
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