Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019इस वड़ा पाव वाले की मदद करने उसके दोस्त ही बन गए डिलिवरी बॉय

इस वड़ा पाव वाले की मदद करने उसके दोस्त ही बन गए डिलिवरी बॉय

ओंकार ने कहा- मरने से पहले मां ने खाना बनाना सिखाया, उसी ने मुझे बचाया

दिव्या तलवार
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<div class="paragraphs"><p>22 साल के वड़ा पाव विक्रेता ने मां-पिता,नौकरी खोने के बाद 300 रुपये से शुरू किया</p></div>
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22 साल के वड़ा पाव विक्रेता ने मां-पिता,नौकरी खोने के बाद 300 रुपये से शुरू किया

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22 साल के ओंकार गोडबोले का जीवन संघर्षों से भरा रहा है. उनके पिता, जो छह महीने की उम्र से पोलियो से जूझ रहे थे, डोंबिवली नगरी सहकारी बैंक में क्लर्क के रूप में काम करते थे. लेकिन, जब ओंकार छठी कक्षा में थे, तब उनकी नौकरी चली गई. कुछ साल बाद उनकी मां की किडनी फेल हो गई और उन्हें डायलिसिस से गुजरना पड़ा.

गोडबोले और उनकी बहन को स्कूल छोड़ना पड़ा और अपने परिवार की जिम्मेदारी संभालनी पड़ी. 17 साल की उम्र में, उनकी बहन परिवार की एकमात्र कमाने वाली थी और ओंकार ने घर पर रहने और अपने माता-पिता दोनों की देखभाल करने का फैसला किया.

2018 में, ओंकार ने अपने माता-पिता दोनों को खो दिया. घर, नौकरी या शैक्षिक योग्यता न होने के कारण, उनके लिए अपनी आजीविका अर्जित करना कठिन था. उन्होंने कुछ महीनों के लिए एक इवेंट कंपनी में काम किया, लेकिन महामारी के दौरान अपनी नौकरी खो दी और दो महीने में उनकी सारी बचत खत्म हो गई. अपनी जेब में सिर्फ 300 रुपये के साथ, उन्होंने बिलों का भुगतान करने के लिए अपने खाना पकाने के कौशल का उपयोग करने का फैसला किया.

"जब मेरी बहन काम पर जाती थी, तो मैंने अपने माता-पिता और घर की देखभाल की. ​​मैंने खाना बनाना सीखा. मुझे खाने और खाना पकाने के बारे में जो कुछ भी पता है, वह मुझे मेरी मां ने सिखाया है. कभी-कभी मुझे आश्चर्य होता है कि मैं घर का काम क्यों कर रहा हूं. जब इसे एक महिला की 'नौकरी' माना जाता है. इस तरह समाज ने हमें संस्कार में दिया है. हमारे चारों ओर लिंग असमानता मौजूद है. अब समय आ गया है कि हम इन रूढ़ियों को तोड़ दें. अगर मैं जिद्दी होता और अपनी मां से कहता कि खाना बनाना सिर्फ औरतों का काम है तो, एक साल पहले जब मेरे पास सिर्फ 300 रुपये थे तो मैं कुछ नहीं कर पाता. अगर मुझे खाना बनाना नहीं आता तो मैं क्या बेचता? मेरी मां हमेशा मुझसे कहती थी कि जब तुम खाना बनाते हो, इसमें अपना दिल और आत्मा लगाओ. हां, आपको मूल सामग्री की जरूरत है, लेकिन अगर आप पूरे मन से नहीं पकाते हैं, तो खाना कभी भी अच्छा नहीं लगेगा और यह मेरा एकमात्र गुप्त नुस्खा है, और कुछ नहीं."
ओंकार गोडवोले, बिनधास्त वड़ा पाव
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उन्होंने वड़ा पाव घर से बेचना शुरू किया और डोंबिवली में उन्हें वितरित करना जारी रखा. उनके दोस्त ने उन्हें एक इंस्टाग्राम पेज शुरू करने का सुझाव दिया और इससे उन्हें अपना ब्रांड नाम बनाने में मदद मिली. आज, वो कुरकुरे, स्वादिष्ट भारतीय बर्गर के लिए डोंबिवली के पसंदीदा व्यक्ति हैं.

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Published: 28 Aug 2021,08:01 PM IST

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