advertisement
आप कल्पना कीजिए.. अगर धर्म से मुसलमान कोई सांसद ये कहे कि मुसलमानों अपने घर में हथियार रखो कुछ नहीं तो सब्जी काटने वाला चाकू जरा तेज रखो. पता नहीं कब ऐसा मौका आ जाए..
आप कल्पना कीजिए अगर, सिख धर्म के मानने वाला कोई सासंद ये कहे कि जब हम हमारी सब्जी अच्छी से कटेगी तब जाकर दुश्मनों के मुंह और सर भी अच्छे से कटेंगे'.
तो देश में क्या माहौल होता? जांच एंजेंसिया एक्टिव होतीं, मीडिया दोनों के विदेशी तार ढूंढ़ रहा होता, संसद से सड़क पर इनकी सदस्यता रद्द कराने की मांग उठ रही होती, ED,CBI, फलाना ढिमकाना सब काम पर लग गए होते, और ये दोनों सलाखों के पीछे होते. लेकिन तन पर भगवा कपड़ा, गले में रुद्राक्ष की माला. नाम के आगे साध्वी लिखने वाली सांसद ने भड़काऊ भाषण भी दे दिया. लेकिन न जांच एजेंसी जागी, न पुलिस, न पार्टी ने एक्शन लिया. न फिर से किसी ने मन से न माफ करने वाला बयान दिया. इसलिए हम पूछ रहे हैं जनाब ऐसे कैसे?
महाराष्ट्र के मालेगांव में 29 सितंबर 2008 की रात बम धमाका हुआ था जिसमें छह लोग मारे गए और 101 लोग घायल हुए थे. इस ब्लास्ट के केस में आरोपी बीजेपी नेता और भोपाल से सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने एक बार फिर भड़काऊ या कहें विवादित बयान दिया है. हां, एक बार फिर.
कर्नाटक के शिवमोगा में 'हिंदू जागरण वेदिका' के दक्षिण क्षेत्र के वार्षिक समारोह में प्रज्ञा सिंह ठाकुर शामिल हुई थीं, इसी दौरान उन्होंने कथित लव जिहाद का राग अलापते हुए माननीय सांसद से लेकर साध्वी तक की मर्यादा तार-तार कर दी और लोगों को हिंसा के लिए उकसाने वाला बयान दिया. प्रज्ञा ठाकुर ने कहा,
साल 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान प्रज्ञा ठाकुर ने जब महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त कहा था तब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रज्ञा के इस बयान की आलोचना करते हुए कहा था,
कमाल देखिए, प्रधानमंत्री मोदी की नाराजगी के बाद भी प्रज्ञा ठाकुर पार्टी में विराजमान हैं, सांसद हैं, विवादित बयान देने से रुक नहीं रही हैं. क्या प्रज्ञा ठाकुर पीएम मोदी को चैलेंज कर रही हैं?
चलिए प्रज्ञा ठाकुर के ऐसे बयानों से आपकी याददाशत ताजा कर देते हैं. मध्यप्रदेश के भोपाल से बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने देश के लिए अपनी जान देने वाले 26/11 आतंकी हमले में शहीद हुए ATS चीफ हेमंत करकरे को लेकर कहा था.
एक इंसान और साध्वी के तौर पर प्रज्ञा के बयान तो आप सुन चुके हैं. अब चलिए एक सांसद के तौर पर प्रज्ञा ठाकुर की परफॉर्मेंस पर नजर डालते हैं.
अब सवाल ये है कि पुलिस, अदालत, संविधान, कानून क्या इस देश में नहीं है? क्या उनपर सख्त एक्शन न लेकर उन्हें ये संदेश नहीं दिया जा रहा है कि आप बोलते रहो, कुछ नहीं होगा. क्यों प्रज्ञा ठाकुर बार-बार महात्मा गांधी से लेकर मुंबई के 26/11 आतंकी हमले में शहीद हुए ATS चीफ हेमंत करकरे और एक समुदाय विशेष के खिलाफ बयान देती हैं और उनके खिलाफ कुछ नहीं होता है? इसलिए हम पूच रहे हैं जनाब ऐसे कैसे?
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined