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प्रज्ञा ठाकुर हिंसा के लिए उकसा रहीं, क्या देश में पुलिस,कानून और अदालत नहीं है?

BJP MP Pragya Thakur ने कर्नाटक के शिवमोगा में हिंदू रक्षण वेदिका के कार्यक्रम में कहीं विवादित बातें

शादाब मोइज़ी
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<div class="paragraphs"><p>क्यों प्रज्ञा ठाकुर के भड़काऊ बयानों पर नहीं हो रही कार्रवाई</p></div>
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क्यों प्रज्ञा ठाकुर के भड़काऊ बयानों पर नहीं हो रही कार्रवाई

फोटो:द क्विंट

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"उन्होंने चाकू से हमारे हर्षा को गोदा था,उन्होंने चाकू से हमारे वीरों को, हिंदू वीरों को, बजरंग दल, बीजेपी के कार्यकर्ताओं को, युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं को गोदा है, काटा है. तो हम भी सब्जी काटने वाले चाकुओं को जरा तेज कर लें. पता नहीं कब क्या ऐसा मौका आये."
प्रज्ञा ठाकुर, सांसद

आप कल्पना कीजिए.. अगर धर्म से मुसलमान कोई सांसद ये कहे कि मुसलमानों अपने घर में हथियार रखो कुछ नहीं तो सब्जी काटने वाला चाकू जरा तेज रखो. पता नहीं कब ऐसा मौका आ जाए..

आप कल्पना कीजिए अगर, सिख धर्म के मानने वाला कोई सासंद ये कहे कि जब हम हमारी सब्जी अच्छी से कटेगी तब जाकर दुश्मनों के मुंह और सर भी अच्छे से कटेंगे'.

तो देश में क्या माहौल होता? जांच एंजेंसिया एक्टिव होतीं, मीडिया दोनों के विदेशी तार ढूंढ़ रहा होता, संसद से सड़क पर इनकी सदस्यता रद्द कराने की मांग उठ रही होती, ED,CBI, फलाना ढिमकाना सब काम पर लग गए होते, और ये दोनों सलाखों के पीछे होते. लेकिन तन पर भगवा कपड़ा, गले में रुद्राक्ष की माला. नाम के आगे साध्वी लिखने वाली सांसद ने भड़काऊ भाषण भी दे दिया. लेकिन न जांच एजेंसी जागी, न पुलिस, न पार्टी ने एक्शन लिया. न फिर से किसी ने मन से न माफ करने वाला बयान दिया. इसलिए हम पूछ रहे हैं जनाब ऐसे कैसे?

मालेगांव बम धमाके की आरोपी

महाराष्ट्र के मालेगांव में 29 सितंबर 2008 की रात बम धमाका हुआ था जिसमें छह लोग मारे गए और 101 लोग घायल हुए थे. इस ब्लास्ट के केस में आरोपी बीजेपी नेता और भोपाल से सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने एक बार फिर भड़काऊ या कहें विवादित बयान दिया है. हां, एक बार फिर.

कर्नाटक के शिवमोगा में 'हिंदू जागरण वेदिका' के दक्षिण क्षेत्र के वार्षिक समारोह में प्रज्ञा सिंह ठाकुर शामिल हुई थीं, इसी दौरान उन्होंने कथित लव जिहाद का राग अलापते हुए माननीय सांसद से लेकर साध्वी तक की मर्यादा तार-तार कर दी और लोगों को हिंसा के लिए उकसाने वाला बयान दिया. प्रज्ञा ठाकुर ने कहा,

'लव जिहाद करने वालों को लव जिहाद जैसा उत्तर दो, लड़कियों को सुरक्षित रखो,अपनी लड़कियों को संस्कारित करो. अपने घर में हथियार रखो कुछ नहीं तो सब्जी काटने वाला चाकू जरा तेज रखो, स्पष्ट बोल रही हूं. हमारे घरों में भी सब्जी काटने के लिए हथियार तेज होना चाहिए.'
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साल 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान प्रज्ञा ठाकुर ने जब महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त कहा था तब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रज्ञा के इस बयान की आलोचना करते हुए कहा था,

'सभ्य समाज में इस प्रकार की बातें नहीं चलती हैं. उन्होंने माफी मांग ली है, लेकिन मैं अपने मन से उन्हें कभी माफ नहीं कर पाऊंगा.'

कमाल देखिए, प्रधानमंत्री मोदी की नाराजगी के बाद भी प्रज्ञा ठाकुर पार्टी में विराजमान हैं, सांसद हैं, विवादित बयान देने से रुक नहीं रही हैं. क्या प्रज्ञा ठाकुर पीएम मोदी को चैलेंज कर रही हैं?

फिलहाल सोशल मीडिया पर काफी हंगामे के बाद प्रज्ञा के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई है. शिमोगा में कांग्रेस के नेता एचएस सुंदरेश की शिकायत के बाद आईपीसी की धाराओं - 153ए, 153बी, 268, 295ए, 298, 504 और 508 के तहत मामला दर्ज किया गया है.

चलिए प्रज्ञा ठाकुर के ऐसे बयानों से आपकी याददाशत ताजा कर देते हैं. मध्यप्रदेश के भोपाल से बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने देश के लिए अपनी जान देने वाले 26/11 आतंकी हमले में शहीद हुए ATS चीफ हेमंत करकरे को लेकर कहा था.

‘’मैंने (मुंबई ATS चीफ हेमंत करकरे से) कहा था कि तेरा सर्वनाश होगा. ठीक सवा महीने में सूतक लगता है. जिस दिन मैं गई थी, उस दिन इसके सूतक लग गया था और ठीक सवा महीने में जिस दिन आतंकवादियों ने इसको मारा, उस दिन उसका अंत हुआ.’’

संसद में प्रज्ञा का परफॉर्मेंस

एक इंसान और साध्वी के तौर पर प्रज्ञा के बयान तो आप सुन चुके हैं. अब चलिए एक सांसद के तौर पर प्रज्ञा ठाकुर की परफॉर्मेंस पर नजर डालते हैं.

अबतक संसद में प्रज्ञा सिंह ठाकुर की अटेंडेंस 64% रही है. जबकि नेशनल एवरेज 79% है. वहीं मध्यप्रदेश के बाकी सांसदों का संसद में एवरेज अटेंडेस 85 फीसदी है. अगर डिबेट की बात करें तो प्रज्ञा ठाकुर ने अबतक 17 डिबेट में हिस्सा लिया है. जबकि नेशनल एवरेज 39.7 है. वहीं प्रज्ञा ठाकुर ने 34 सवाल पूछे हैं, जबकि नेशनल एवरेज 156 है. मतलब एक सांसद के तौर पर भी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर कमजोर प्रदर्शन करने वाली सांसद हैं.

अब सवाल ये है कि पुलिस, अदालत, संविधान, कानून क्या इस देश में नहीं है? क्या उनपर सख्त एक्शन न लेकर उन्हें ये संदेश नहीं दिया जा रहा है कि आप बोलते रहो, कुछ नहीं होगा. क्यों प्रज्ञा ठाकुर बार-बार महात्मा गांधी से लेकर मुंबई के 26/11 आतंकी हमले में शहीद हुए ATS चीफ हेमंत करकरे और एक समुदाय विशेष के खिलाफ बयान देती हैं और उनके खिलाफ कुछ नहीं होता है? इसलिए हम पूच रहे हैं जनाब ऐसे कैसे?

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