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2014 के बाद लोकप्रियता की ढलान पर लगातार फिसल रही है बीजेपी
विधानसभा नतीजों ने की 2019 की राह मुश्किल
नीरज गुप्ता
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तमाम योजनाओं की बावजूद रूरल इंडिया में बीजेपी सीटें जबरदस्त तरीके से घटी हैं.
(फोटो ग्राफिक्स : अरूप मिश्रा)
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जीत एक ऐसा कालीन है जिसके नीचे जमीन के गड्ढे, उसका ऊबड़-खाबड़पन या कहें कि कमियां छुपी रहती हैं. 2014 लोकसभा चुनाव की छप्परफाड़ जीत बीजेपी का वही कालीन है. लेकिन 5 राज्यों के चुनाव नतीजों के बाद बीजेपी का पॉलिटिकल पोस्टमार्टम जरा हट के करने की जरूरत है.
कथा जोर गरम है...
हिंदी पट्टी के तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की हार से पहले भी बीजेपी का ग्राफ लगातार गिरा लेकिन वो जीत के जश्न में गुम हो गया. आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद ज्यादातर विधानसभा चुनाव में बीजेपी का वोट परसेंटेज कम हुआ. जहां बढ़ा वो त्रिपुरा, मणिपुर और नागालैंड जैसे नॉर्थ-ईस्ट के कुछ राज्य हैं जहां लोकसभा सीटों की कुल संख्या है 5.
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इन आंकड़ों पर नजर डालिए
2014 की मोदी लहर में बीजेपी को मध्य प्रदेश में बंपर 54.76 फीसदी वोट मिले जो नवंबर 2018 में घटकर 41 फीसदी रह गए.
इसी तरह 2014 में राजस्थान में बीजेपी का आंकड़ा था 55.61 फीसदी जो दिसंबर 2018 में घटकर रह गया 38.8 फीसदी.
छत्तीसगढ़ का आंकड़ा करीब 49 फीसदी से घटकर 33 फीसदी पर आ गया.
थोड़ा पीछे चलकर 2014, 15 और 16 के कुछ विधानसभा चुनावों पर नजर डालते हैं.
हरियाणा के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 34.84 फीसदी वोट मिले जो सिर्फ 5 महीने बाद हुए विधानसभा चुनाव में घटकर 33. 20 पर आ गए.
इसी तरह झारखंड में बीजेपी का ग्राफ 40.71 से घटकर 31.26 फीसदी तो जम्मू-कश्मीर में 32.65 फीसदी से घटकर 22.98 पर पहुंच गया. यानी करीब 9 फीसदी की गिरावट
फरवरी 2015 के दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी की आंधी में सभी पार्टियां उड़ गईं और बीजेपी का ग्राफ 2014 के 46.63 फीसदी से गिरकर सिर्फ 32.19 पर सिमट गया.
अक्टूबर 2015 में नीतीश और लालू के महागठबंधन ने बीजेपी को 5 फीसदी से ज्यादा का नुकसान करवाया
लोकसभा चुनाव में असम में सबको हैरान करनेवाली बीजेपी का वोट प्रतिशत 36.86 से घटकर 29.50 पर आ गया.
फरवरी 2017 के उत्तर प्रदेश चुनाव में बीजेपी ने 403 में से 312 सीट जीतीं लेकिन 2014 के मुकाबले वोट परसेंटेज में करीब 3 फीसदी में गिरावट आई.
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से लेकर ग्रामीण रोजगार योजना और उज्जवला से लेकर किसानों की आय दोगुनी करने जैसी योजनाओं के जरिये पीएम नरेंद्र मोदी लगातार ये जताते रहे कि ग्रामीण इंडिया उनके दिल के कितना करीब है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि ग्रामीण इंडिया में भी बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा. अगर सिर्फ हालिया तीन राज्यों के नतीजों की तुलना पिछले विधानसभा नतीजों से करें तो
2013 के विधानसभा चुनाव में ग्रामीण राजस्थान में बीजेपी का सीट शेयर था 80 फीसदी जो 2018 में रह गया महज 31 फीसदी
इसी तरह ग्रामीण मध्य प्रदेश में ये ग्राफ 67 से घटकर 42 फीसदी पर आया
और ग्रामीण छत्तीसगढ़ में 52 फीसदी से घटकर 17 फीसदी
चर्चा है कि 2019 के लिए पीएम मोदी कोई ऐसा ब्रह्मास्त्र निकालकर लाएंगे जो विरोधियों को नेस्तनाबूद कर देगा. लेकिन लोकप्रियता की ये फिसलती ढलान साफ एलान कर रही है कि 2019 की राह बीजेपी के लिए आसान नहीं है.