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वीडियो एडिटर: विशाल कुमार
कैमरापर्सन: शिव कुमार मौर्य
पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की गिरफ्तारी के बाद अब सियासी घमासान शुरू हो चुका है. कांग्रेस ने इसे चिदंबरम का चरित्रहनन और लोकतंत्र की हत्या बताया है. कांग्रेस का कहना है कि सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए और बदले की भावना से ऐसा कर रही है.
वहीं बीजेपी कह रही है कि कानून अपना काम कर रहा है और अदालती आदेश का पालन हो रहा है.
यहां ये याद दिला देना मौजूं होगा कि 5 दिसंबर 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के सुमेरपुर में रैली की थी. अपने चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने बिना चिदंबरम का नाम लिए इस ओर लगभग एक इशारा कर दिया था.
आज अगर किसी को ये मामला चौंकाने वाला लग रहा है तो ध्यान देना जरूरी है कि पीएम मोदी बहुत सारा काम खुले तौर पर और पारदर्शी तौर पर करते हैं. जब वो बात करते हैं तब लोग इसे नोटिस नहीं कर पाते कि आगे इसका क्या असर देखने को मिल सकता है.
पीएम मोदी ने कहा था-
आज चिदंबरम की गिरफ्तारी के बाद मोदी जी का वो बयान सुनें तो समझ में आएगा की मोदी जी फ्रंटफुट पर बीजेपी के भ्रष्टाचार विरोधी रुख पर डटे रहने वाले हैं.
सीबीआई और ईडी ने बुधवार को चिदंबरम के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था. करीब 24 घंटे तक गायब रहने के बाद चिदंबरम बुधवार शाम नाटकीय ढंग से कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे. सीबीआई ने बुधवार रात ही चिदंबरम को उनके घर से गिरफ्तार कर लिया था.
यहां एक बात और ध्यान देने वाली है, जिसकी चर्चा सोशल मीडिया पर गरम है. चिदंबरम की गिरफ्तारी को गृह मंत्री अमित शाह से जोड़कर देखा जा रहा है. क्योंकि चिदंबरम के साथ जो कुछ भी घट रहा है, करीब 9 साल पहले अमित शाह के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था. उस वक्त पी. चिदंबरम केंद्रीय गृहमंत्री थे, जब शाह की गिरफ्तारी हुई थी. वहीं आज बाजी पलट गई, शाह के गृहमंत्री रहते हुए चिदंबरम गिरफ्तार हुए हैं. इसे लोग ‘स्वीट रिवेंज’ यानी मीठा बदला कह रहे हैं.
अब पी. चिदंबरम की गिरफ्तारी से पहले के घटनाक्रम पर नजर डालें तो एक और साइड स्टोरी निकलती है. पी. चिदंबरम को दिल्ली हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी से राहत नहीं दी थी. दिल्ली हाईकोर्ट के जज सुनील गौड़ ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी और उसी समय साफ हो गया था कि चिदंबरम पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है.
पी. चिदंबरम की जमानत याचिका खारिज करने वाले जज सुनील गौड़ गुरुवार को रिटायर हो गए हैं.
सरकार ने तो दावा कर दिया है कि एजेंसियों के पास भ्रष्टाचार के पुख्ता सबूत हैं, जिसके आधार पर वो कार्रवाई कर रही है.
एक और बात पर नजर रहेगी कि क्या कानूनी प्रक्रिया पर भी राजनीति का असर होता है? क्या ये गिरफ्तारी अपवाद नहीं है? सीबीआई ने पूरे घटनाक्रम को जांच प्रक्रिया का हिस्सा बताया है.
अब आगे सियासी तौर पर इस मामले को कांग्रेस कैसे देखती है? क्या चिदंबरम बेदाग निकलकर जवाब दे पाएंगे? आरोप-प्रत्यारोप की ये अदालती लड़ाई लंबी चलने वाली है.
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