advertisement
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2021-22 के लिए आम बजट पेश किया. अब क्योंकि ये नरेंद्र मोदी सरकार का बजट है तो हमारे कुछ अनुमान सही हो सकते हैं और कुछ गलत, साथ ही चौंकाने वाली बातें भी हैं. सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात है कि ये बजट अभी तक के बजट की तुलना में काफी मेच्योर और थोड़ा ट्रांसपेरेंट है. बजट मूल रूप से पॉलिटिकल डॉक्यूमेंट है और इसमें घनघोर पॉलिटिक्स की गई है. हालांकि, इस बजट से शेयर बाजार को रफ्तार मिली है और मार्केट एक्सपर्ट्स ने इसे औसतन 10 में से 8 नंबर दिए हैं. ऐसा क्यों है, हम समझा रहे हैं.
बाजार और बिजनेस को डर था कि सरकार कोई डायरेक्ट टैक्स न ले आए. लेकिन बजट में इनडायरेक्ट तरीके से एक बड़ा कदम उठाया गया है. कुछ सामान पर कस्टम ड्यूटी घटा दी गई और उसकी जगह एग्रीकल्चर इंवेस्टमेंट डेवलपमेंट फंड सेस लगा दिया गया है.
मोदी सरकार ने बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवेलपमेंट पर काफी जोर दिया है और इसमें शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों पर ध्यान देने की कोशिश हुई है.
लेकिन देश में समस्या नीति लागू करने से संबंधित रहती है. सरकार का दावा है कि इसके जरिए वो जल्दी नौकरियां पैदा करेगी पर अगर लागू ठीक से नहीं किया गया तो इस दावे पर सवालिया निशान लग सकता है.
बजट में सरकार ने अगले तीन साल के अपने विनिवेश के कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी है. सरकार का कहना है कि इस साल कम से कम दो सरकारी बैंक और एक साधारण बीमा निगम में विनिवेश किया जाएगा.
सरकार चाहती है कि डायरेक्ट टैक्स रेवेन्यू की बजाय नॉन-टैक्स रेवेन्यू के जरिए वो इतना पैसा इकट्ठा कर ले, जिससे कि नॉमिनल ग्रोथ के करीब 14 फीसदी के टारगेट के सामने वो 16 फीसदी की रेवेन्यू में बढ़त होते हुए देख पाए.
केंद्र सरकार का पूरा फोकस इस बात पर है कि अगर लोगों को डायरेक्ट पैसा नहीं दे रहे हैं जिससे कि कंजम्प्शन बढ़ जाए या डायरेक्ट नौकरी नहीं मिल रही है, तो इनडायरेक्ट तरीके से इंफ्रास्ट्रक्चर का जरिया चुना गया है.
गरीबों की बढ़ी संख्या कम करने और नौकरियां तेजी से देने के मामले में ये बजट गैंबल लगता है. ऐसा होना संभव है लेकिन उसके लिए चीजों को जोर लगा कर लागू करना होगा.
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)