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वीडियो एडिटर: कनिष्क दांगी
जो बाइडेन अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव जीत चुके हैं और ट्रंप हार गए हैं. अमेरिका के सभी चैनलों और खुद बाइडेन ने खुद को इलेक्ट प्रेसिडेंट लिखना शुरू कर दिया है. अब काफी कम वोटों की गिनती बची है, इसीलिए फैसला अब पलट नहीं सकता है. तो पेंसिल्वेनिया अब बाइडेन के पास आ जाने के बाद उनकी जीत पक्की हो गई है. एक तरह से अमेरिका ने खुद को सैनिटाइज कर लिया है. लोकतंत्र के खिलाफ एक बहुत बड़ा टेंडेंसी का वायरस जो था उसे उबारने का काम अमेरिका ने चुनाव का टीका लगाकर कर लिया है. इसका दुनिया, अमेरिका और भारत पर क्या असर पड़ेगा, इसे समझने की कोशिश करते हैं.
तो कोरोना वायरस महामारी के बीच दो चुनाव हुए, एक हमारे रिपब्लिक ऑफ बिहार का और एक डिवाइडेट स्टेट्स ऑफ अमेरिका का, जहां बाइडेन ट्रंप को रिकॉर्ड वोटों से हराकर जीत गए हैं. वहां डेमोक्रेटिक कैंडिडेट को कभी इतने वोट नहीं मिले थे. ये भी इतिहास का एक रिकॉर्ड बना है कि एक ऐसा राष्ट्रपति जो इनकंबेंट है, वो पिछले 25 साल की हिस्ट्री में हारा है.
भारतीय मूल की अश्वेत महिला कमला हैरिस अमेरिका में उपराष्ट्रपति बनने वाली पहली महिला हैं, ये भी बड़े रिकॉर्ड की बात है. कोविड में बिहार में भी बहुत वोट पड़े और अमेरिका में भी बहुत वोट पड़े. बाइडेन 40 लाख से ज्यादा वोटों से जीते हैं, अमेरिका में नतीजा आ गया कि जंगलराज खत्म हो गया है. हो सकता है कि अब बिहार में "जंगलराज" वापस आ जाए, जैसा कि एग्जिट पोल बता रहे हैं.
अब एक तरफ तो राहत ये है कि बाइडेन को राष्ट्रपति बनने से रोका नहीं जा सकता है, वहीं दूसरी तरफ तनाव इस बात को लेकर है कि रिपब्लिकन नेता चुप हैं और ट्रंप अभी भी कह रहे हैं कि चुनाव तो मैं जीत रहा हूं. मेरी हार का मतलब चुनाव में धोखाधड़ी है. वो अब काफी अड़ंगे लगाने की कोशिश करेंगे, कई केस कर चुके हैं और भी करवाएंगे. वो सिर्फ इतना कर सकते हैं कि कुछ राज्यों में रिकाउंटिंग करवाकर नतीजों के औपचारिक ऐलान में थोड़ी देरी कर दें.
ट्रंप का हारना दुनिया के लिए बड़ी बात क्यों है? वो इसलिए क्योंकि अमेरिका दुनिया का सबसे अच्छा लोकतंत्र माना जाता है, वहां लोकतंत्र खत्म हो रहा था. वहां ये नस्लवाद की पॉलिटिक्स को बढ़ावा दे रहे थे, नफरत को बढ़ावा दे रहे थे. ट्रंप डिवाइडर इन चीफ बन गए थे और अब उनके सामने 77 साल के बाइडेन यूनिफायर इन चीफ बनकर आए हैं. वो कह रहे हैं कि मेरे इस समाज को काफी जख्म लगे हैं और मेरे राष्ट्रपति बनने के बाद सबसे बड़ा काम होगा कि इस विभाजित समाज को जोड़ा कैसा जाए. दुनियाभर के लोकतांत्रिक देश अमेरिका पर नजर बनाए हुए थे कि इसका असर बाकी दुनिया पर न हो, लेकिन अब लगता है कि अब हवा बदलेगी. अब अमेरिका में जब ट्रंप जैसे व्यक्ति पर ब्रेक लगा है तो इसका दुनिया पर काफी अच्छा असर पड़ेगा, भारत पर क्या असर पड़ेगा?
अब डेमोक्रेट हों या रिपब्लिकन भारत के रिश्ते अमेरिका से काफी गहरे हैं और किसी एक पार्टी के आने-जाने से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है. लेकिन क्योंकि हमारे पीएम की डिप्लोमेसी की स्टाइल काफी पर्सनल है और उन्होंने ट्रंप से बहुत ज्यादा दोस्ती दिखाई है तो इसलिए ये सवाल खड़ा हो रहा होगा. इसका सीधा जवाब ये है कि भारत के लिए बाइडेन का आना एक अच्छी बात है. भारत पर क्या असर होगा, ये इससे ज्यादा तय होगा कि अमेरिका चीन को लेकर अब क्या पॉलिसी बनाता है. तो बाइडेन की चाइना नीति से काफी कुछ साफ होगा.
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