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दुनिया की राजनीति में यह हफ्ता सबसे 'संगीन हफ्ता' है, क्योंकि अमेरिका मे लोकतंत्र की अग्निपरीक्षा हो रही है और इस हफ्ते बुधवार को संभवत: उसका रिजल्ट आ जाएगा. सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विदाई तय है? सारे ओपिनियन पोल बता रहें है कि बाइडेन आगे हैं, ट्रंप शायद हार सकते है. लेकिन अमेरिकी वोटर 2016 के नतीजों को भूल नहीं सकता, जब ओपिनियन पोल का कहना था कि ट्रंप हार रहे हैं लेकिन वो जीत गए थे. ऐसे में इस बार का वोटर 2016 का जला है, जो 2020 के नतीजों को फूंक-फूंककर पीना चाहता है और जब तक रिजल्ट आउट न हो जाए वो उधेड़बुन में है और उसे नतीजों का इंतजार है.
अबतक जो ओपिनियन पोल आए हैं, उनके मुताबिक बाइडेन और ट्रंप के बीच करीब 9 से 10% का फासला है. वहीं जो बैटलग्राउंड स्टेट्स हैं, 50 राज्यों में से 20 में साफ है कि रिपब्लिकन जीत रही है या डेमोक्रेट, लेकिन 20-22 ऐसे राज्य हैं जहां चुनाव मे कांटे की लड़ाई है. इनमें से करीब 5 से 10 राज्य हैं जहां ट्रंप और बाइडेन के बीच का 1 फीसदी का फासला चुनाव तय कर सकता है.
पॉपुलर वोट में बाइडेन आगे हैं. यहां चुनाव चूंकि 538 लोगों के इलेक्टोरल कॉलेज से तय होता है. इसमें अभी के आंकड़ों के मुताबिक, 272 सीटों पर बाइडेन और 125 सीटों पर ट्रंप की जीत पक्की मानी जा सकती है. 141 सीटों पर कड़ी टक्कर है.
बैटलग्राउंड स्टेट्स फ्लोरिडा, अरिजोना, पेंसिल्वेनिया, विसकॉन्सिन में बाइडेन आगे दिख रहे हैं. इनमें से 3 भी अगर बाइडेन के हाथ में आ गए जो 2016 में ट्रंप के हाथ मे गए थे, तो बाइडेन की जीत 270 से भी काफी ज्यादा सीटों के साथ पक्की मानी जा रही है. सबसे बड़ा फोकस फ्लोरिडा पर है लेकिन मान लीजिए बाइडेन को फ्लोरिडा ना मिले लेकिन विस्कॉन्सिन, मिशिगन और पेंसिलविनिया मिल जाए. इसलिए ट्रंप और बाइडेन इस वक्त सबसे ज्यादा जोर वहीं लगा रहे हैं. ये 3 राज्य अगर डेमोक्रेट्स के हाथ में या जाते है तो बाइडेन का व्हाइट हाउस पहुंचना तय है.
इस चुनाव को सदी का सबसे महत्वपूर्ण चुनाव क्यों कहा जा रहा है, इसे समझते हैं. अब तक अर्ली वोटिंग सिस्टम के तहत यहां 9 करोड़ से ज्यादा लोग शनिवार तक वोट डाल चुके हैं. ड्रॉपबॉक्स से अभी भी अर्ली वोटिंग वहां पर जारी है और फाइनल चुनाव 3 नवंबर को होगा.
माना जाता है कि ट्रंप के ज्यादा समर्थक उस दिन निकलेंगे और अभी तक जो वोटिंग हुई है उसका ज्यादा टर्न-आउट ये बताता है कि 2016 के चुनाव में कुल 13.8 करोड़ वोट पड़े थे. इसके सामने इस ताजा चुनाव में 9.3 करोड़ वोट अबतक पड़ चुके हैं.
इसका मतलब साफ है कि लोगों में बेहद उत्साह है. अमेरिकी वोटर ने मन बना लिया है कि एकतरफा फैसला देना है. करीब-करीब का फैसला नहीं रखना है क्योंकि इस स्थिति में मुकदमेबाजी में फंस सकते हैं.
3 नवंबर को जब गिनती शुरू होगी, वोटिंग भी होगी, उसमें करीब 12 राज्य ऐसे हैं जहां काउंटिंग की तैयारी पहले से कर ली गई है तो वहां नतीजे तीन तारीख की शाम और मध्य रात्रि तक आने के पूरे अनुमान हैं. अगर एकतरफा फैसला आया तो बहुत अच्छा रिजल्ट होगा, वरना कई दिन-हफ्तों तक अटक सकता है.
दरअसल, बैटलग्राउंड राज्यों में आखिरी दिनों में कड़ी टक्कर होने की संभावना बहुत बढ़ गई थी. इसलिए आप देखेंगे कि आखिरी दौर में पेंसिल्वेनिया पर ट्रंप, बाइडेन, हैरिस सब लोग पूरा जोर लगाए हुए हैं.
जॉर्जिया, टेक्सास, फ्लोरिडा, पेंसिल्वेनियाइन पर ज्यादा फोकस है. एकतरफ हाउस ऑफ रेप्रेजेंटेटिव्स में डेमोक्रेटिक पार्टी का जीतना तय माना जा रहा है, सीनेट में से तीन सीनेटर डेमोक्रेटिक पार्टी से बढ़ गए और बाइडेन जीत गए तो अमेरिकी संसद में पूरे बहुमत के साथ वो आएंगे. जो चाहेंगे वैसा कर पाएंगे वरना जैसे रिपब्लिकंस को कानून बनाने में दिक्कत होती है, आगे भी ऐसा हो सकता है.
अब देखना ये होगा की जब नतीजे आएंगे और जरा भी ग्रे एरिया वाला कोई मौका मिला तो ट्रंप बैलेट पेपर को अवैध करार देने से मुकदमेबाजी तक की कोशिशें कर सकते हैं. इसलिए इसको 'नेल बाइटिंग फिनिश' कहा जा रहा है. ऐसे में तीन-चार नवंबर को देखना होगा कि क्या नतीजे आते हैं और अमेरिका लोकतंत्र बचाने की इस अग्निपरीक्षा में कामयाब होकर, खरा होकर निकल पाता है या नहीं.
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Published: 02 Nov 2020,07:13 PM IST