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वित्तमंत्री अरुण जेटली के लिए इस बार का बजट यानी तलवार की धार चलने जैसा है. उनके सामने चैलेंज है कि टैक्स की दर ना बढ़े लेकिन सरकार की कमाई बढ़ जाए. लेकिन ये कैसे होगा?
टैक्स बढ़ाना राजनीति के लिहाज से मुश्किल होगा क्योंकि 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार का ये आखिरी पूर्ण बजट होगा. जाहिर है टैक्स बढ़ाने में जोखिम है. साथ ही कहा जा रहा है सरकार किसानों और लोगों के स्वास्थ्य बीमा के पैकेज का ऐलान कर सकती है तो इसके लिए भारी भरकम धन चाहिए. क्या ये संतुलन मुमकिन है?
बजट के बारे में जानना है तो आईकैन इन्वेस्टमेंट के चेयरमैन अनिल सिंघवी की इन सलाह को सुनना जरूरी है
अनिल सिंघवी ने बजट के जरिए इकनॉमी की सेहत सुधारने की पूरी थेरेपी बताई जिससे लोग भी खुश हो सकते हैं और सरकार भी. बस जरूरी है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली बजट में इन बातों का ध्यान रखें.
अनिल सिंघवी का कहना है कि इनडायरेक्ट टैक्स में अब बदलाव मुमकिन नहीं है. यही नहीं, देश में प्राइवेट इन्वेस्टमेंट नहीं के बराबर है.
अनिल सिंघवी के मुताबिक,
अनिल सिंघवी ने कहा, "बजट के जरिए 6-8 महीनों में मर्जर का काम किया जाना चाहिए. दुनियाभर में मर्जर ने ही बैंकों को संकट से निकाला है"
ये मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होगा. अनिल सिंघवी के मुताबिक, इस बजट को सरकार सभी तबकों को ध्यान में रखकर बनाएगी. लेकिन सरकार के सामने सबसे बड़ी समस्या वित्तीय घाटा है. सरकार को देखना होगा कि उनके पास बांटने के लिए कितना पैसा है.
अनिल सिंघवी के मुताबिक, सरकार को हर हालत में टैक्स चोरी रोकनी होगी और दायरा बढ़ाना होगा. लेकिन ध्यान रखें टैक्स की दर नहीं बढ़नी चाहिए.
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