Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019 बजट को ‘प्रधानमंत्री व्यग्र-व्याकुल योजना’ कहें, तो गलत नहीं होगा

बजट को ‘प्रधानमंत्री व्यग्र-व्याकुल योजना’ कहें, तो गलत नहीं होगा

सरकार ने इस बजट में जो बड़े ऐलान किए, उससे पता चलता है कि सरकार की दुखती रग क्या है.

संजय पुगलिया
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बजट को ‘प्रधानमंत्री व्यग्र-व्याकुल योजना’ कहें तो गलत नहीं होगा
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बजट को ‘प्रधानमंत्री व्यग्र-व्याकुल योजना’ कहें तो गलत नहीं होगा
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो प्रोड्यूसर- अभय कुमार सिंह

वीडियो एडिटर- विशाल कुमार

मोदी सरकार में योजनाओं के तरह-तरह के नाम रखे जाते हैं. ऐसे में जो 2019 का 'चुनावी बजट' है, इसे प्रधानमंत्री व्यग्र-व्याकुल वोट प्राप्ति योजना का नाम दिया जा सकता है. सरकार ने इस बजट में जो बड़े ऐलान किए, उससे पता चलता है कि सरकार की दुखती रग क्या है. जो सबसे बड़े दो ऐलान हैं, उनमें पहला किसान के बारे में है. छोटे और सीमांत किसानों को हर साल 6 हजार रुपये मिलेंगे और ये काम अभी से शुरू हो जाएगा.

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इसी तरह से मिडिल क्लास, दुकानदार, सैलरीड लोगों को खुश करने के लिए टैक्स स्लैब में तो बदलाव तो नहीं किया गया, लेकिन रिबेट का सिस्टम लाया गया है. 5 लाख रुपये तक की इनकम को टैक्स फ्री किया गया है. मतलब अर्बन मिडिल क्लास और गांव में किसान ये जो दो वर्ग हैं, इन्हें लुभाने की कोशिश की गई है.

सरकार की और कौन-कौन सी दुखती रग है, इसका पता गाय के लिए ‘कामधेनु योजना’ और घरेलू कामगारों के लिए पेंशन स्कीम से लगता है. बजट से साफ है कि नई स्कीम के जरिए वोटबैंक जुटाने की कोशिश है, लेकिन इसके पीछे का डर भी दिखता है.

नंबरों पर कैसे करें भरोसा?

अभी जो रिएक्शन आ रहे हैं, उनमें सबसे बड़ी आलोचना है कि सरकार के नंबरों पर कैसे भरोसा किया जाए? लोग कह रहे हैं कि जब ब्योरा आएगा, तब देखा जाएगा. ये सरकार डेटा की प्रमाणिकता को लेकर घिरती आई है.

किसान के मुद्दे पर सरकार कह रही है कि इसे दिसंबर 2018 से लागू किया जाएगा और मार्च 2019 में पहली किश्त मिल जाएगी. इस पैसे का इंतजाम कहां से होगा, ये बजट भाषण में वित्तमंत्री ने नहीं बताया.

ये समझने की जरूरत है कि बजट में देश की विकास दर बढ़ाने के लिए, कमाई बढ़ाने के लिए सिर्फ बातें हैं, किसी कदम के बारे में नहीं बताया गया है. इन बातों के आधार पर कोई सरकार इसे नया गवर्नेंस बताती है, तो वो सही नहीं होगा.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 01 Feb 2019,07:43 PM IST

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