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वीडियो प्रोड्यूसर- हेरा खान
वीडियो एडिटर- प्रशांत चौहान
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 1 फरवरी को आम बजट पेश किया. सरकार ने इनकम टैक्स स्लैब्स में कोई बदलाव नहीं किया है. अधिकतर एक्सपर्ट्स इस बजट को ग्रोथ-ओरिएंटेड बता रहे हैं. ऐसा भी कहा जा रहा है कि अगले कुछ महीनों में महंगाई बढ़ सकती है. विपक्ष ने इस बजट की आलोचना की और कहा कि 'गरीबों की अनदेखी हुई है.'
बजट 2021 पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम क्या सोचते हैं? फिस्कल डेफिसिट और विनिवेश का जो टारगेट सरकार ने तय किया है, क्या वो प्रैक्टिकल है? क्विंट ने बजट से जुड़े हर मुद्दे पर चिदंबरम से बातचीत की.
चिदंबरम ने कहा कि लुभाना किसे कहते हैं. उन्होंने कहा, "36 महीनों से प्रभावित लोगों की मदद, गरीब और प्रवासी मजदूरों, किसानों, दिहाड़ी मजदूरों, महामारी की वजह से नौकरी खोने वालों और नौकरी ढूंढने वालों पर ध्यान देना लोकलुभावन है?"
बजट के आलोचक कह रहे हैं इसमें 85-90% लोगों को नजरअंदाज किया गया है और सिर्फ 10% लोगों का खयाल रखा गया है. इस पर चिदंबरम कहते हैं कि 'इस बजट में 10% का भी ख्याल नहीं रखा गया.'
चिदंबरम ने कहा कि जितने समय में इकनॉमी स्टार्ट होगी, उस बीच लोग भूखे मरेंगे, लोगों पर कर्ज बढ़ेगा और लोग आत्महत्या करेंगे.
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, "1 अप्रैल से महामारी के साथ नए वित्त वर्ष की शुरुआत हुई और हम अभी चौथे क्वार्टर के आखिर में हैं, जो -9, -10, -11 कुछ भी हो सकता है. 36 महीनों तक लोगों ने झेला है और आप चाहते हैं कि लोग इंतजार करें. आप लोगों से कहिए कि कुछ भी नहीं होगा, 2-4 सालों तक इंतजार कीजिए, नौकरियां आएंगी."
पूर्व केंद्रीय मंत्री चिदंबरम ने कहा कि 'ज्यादा कर्ज ज्यादा खर्च की वजह से नहीं है, बल्कि कम रेवेन्यू की वजह से है.' उन्होंने कहा, "आप सिर्फ वित्त मंत्री के भाषण को देख रहे हैं, बिना नंबरों पर ध्यान दिए. उन्होंने 10.5 लाख करोड़ कर्ज लिया. ये इतना बड़ा इसलिए है क्योंकि उन्हें 5 लाख करोड़ रेवन्यू का नुकसान हुआ है."
चिदंबरम ने कहा, "मेरा अनुमान कहता है कि करीब 1.5 लाख करोड़ एडिशनल एक्सपेंडिचर था. क्या सिर्फ 1.5 लाख करोड़ से रोजगार पैदा होंगे? जिनकी नौकरी चली गई हैं, क्या उन्हें वापस मिलेंगी?"
पी चिदंबरम ने कहा कि फिस्कल रिस्पांसिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट एक्ट (FRBM) को नजरअंदाज कर दिया है. उन्होंने बताया कि FRBM एक्ट फिस्कल डेफिसिट के 3% का टारगेट तय करता है, मतलब डेफिसिट 3% से ज्यादा नहीं होना चाहिए.
चिदंबरम ने कहा कि निर्मला सीतारमण बजट में अगले वित्त मंत्री के लिए 2025-26 में 4.5% डेफिसिट का लक्ष्य तय कर रही थीं. उन्होंने कहा, "इसलिए कल दो रेटिंग एजेंसियों ने कहा कि हम भारत की रेटिंग कम करने के बारे में गंभीरता से सोच रहे हैं."
पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि 'सरकार, इकनॉमिक सर्वे और चीफ इकनॉमिक एडवाइजर इस मामले में गलत हैं कि जीडीपी और डेब्ट का रेश्यो मायने रखता है और फिस्कल डेफिसिट नहीं.'
एक्सपर्ट्स इस बजट को 'ऐतिहासिक बता रहे हैं.' लेकिन चिदंबरम का कहना है कि बजट इसके उलट है. उन्होंने कहा, "इसके लिए किसी दूसरी सरकार पर आरोप नहीं लगा सकते हैं."
चिदंबरम ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, "आपने नोटबंदी और अव्यवस्थित जीएसटी लागू किया. आप इकनॉमिक मैनेजमेंट करने में असफल रहे. आपने विनाशकारी निर्णय लिए. किस दूसरे देश के पास -23.9 की मंदी है. ये इसलिए है क्योंकि आपने ऐसे हालात पैदा किए."
क्या सरकार ने जानबूझकर ऐसा बजट पेश किया? हर सरकार जब चुनाव जीतना चाहती है तो ये सरकार 'खराब बजट' क्यों लाई? चिदंबरम ने कहा कि 'मोदी सरकार को लगता है कि वो चुनाव से पहले कुछ आतिशबाजी कर लेंगे.'
उन्होंने कहा कि इस देश में मिडिल क्लास बढ़ा है और कांग्रेस की सरकार ने मीडिल क्लास बनाया है.' चिदंबरम बोले, "लेकिन ये मत भूलिए की देश के 30% लोग बेहद गरीब हैं. उनको साथ लेके नहीं चलें तो वो और गरीब हो जाएंगे और वो देश के लिए अच्छा नहीं होगा."
पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, "नोटबंदी, जीएसटी, एक साल की मंदी के बावजूद मोदी सरकार पहले से ज्यादा संख्या से चुनाव जीतकर आईं. आर्थिक हालात के मुताबिक इनका पैकअप हो गया होता."
चिदंबरम ने कहा कि उन्होंने इस 'ब्लफ' का जिक्र किया है और अर्थव्यवस्था को 'जर्जर' बता चुके हैं.
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने एक कथित 'मीडिया लीक' को लेकर भी सवाल उठाए. चिदंबरम ने कहा कि सुबह 11.32 बजे ब्लूमबर्ग ने फिस्कल डेफिसिट और रेवेन्यू डेफिसिट के आंकड़े ट्वीट किए थे, जबकि वित्त मंत्री ने इससे संबंधित पैराग्राफ ही 12.10 पर पढ़ा था.
UPA सरकार के समय पी चिदंबरम वित्त मंत्री रहते हुए निजीकरण और एसेट रिकंस्ट्रक्शन की बात किया करते थे. अब मोदी सरकार ने इसे लेकर बड़े ऐलान किए हैं. इस पर चिदंबरम ने कहा कि 'कांग्रेस ने कभी पीएसयू बैंक के निजीकरण का समर्थन नहीं किया है.'
चिदंबरम ने कहा, "मैं ये नहीं कह रहा कि प्राइवेट बैंक का राष्ट्रीयकरण करें. उन्हें भी आगे बढ़ाने दीजिए. स्कोप है तो और लाइसेंस दे दीजिए. लेकिन आप एक रेडीमेड बैंक प्राइवेट सेक्टर को क्यों दे रहे हैं."
चिदंबरम ने कहा कि अगर सरकार प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनी में FDI बढ़ाना चाहती है तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं. उन्होंने कहा, "1997 में बीजेपी ने गुजराल सरकार के इंश्योरेंस बिल का विरोध किया था क्योंकि 20% FDI का प्रावधान किया गया था."
चिदंबरम ने कहा कि सांसदों तक को हार्ड कॉपी न देना पारदर्शिता कम करना है. उन्होंने कहा, "क्या उन्हें कम से कम सांसदों के लिए 1000 हार्ड कॉपी नहीं छपवानी चाहिए थी. सभी को डिजिटल डॉक्यूमेंट डेखना होगा और 800-900 पन्नों का डिजिटल डॉक्यूमेंट देखना इतना आसान नहीं होता. लेकिन फिर भी हम लोग नंबर देख रहे हैं, और पता चल रहा है कि कैपिटल एक्सपेंडिचर बढा चढ़ा कर बताया गया है."
चिदंबरम ने कहा कि और ज्यादा देखने पर बढ़े-चढ़े नंबर देखने को मिल रह हैं और हम इन्हें अभी देख रहे हैं.
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