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(वीडियो एडिटर - आशुतोष भारद्वाज)
लॉकडाउन की सबसे बड़ी मार जिस ग्रुप पर पड़ी है वो हैं छोटे दुकानदार, छोटे कारोबारी. ग्राहक हैं नहीं, कारोबार ठप हो गया और चूंकि कारोबार छोटा है तो इतना जमा पैसा भी नहीं है कि ग्राहकों के आने तक अपनी गाड़ी चला पाएं. ऐसे में इन करोड़ों लोगों के लिए क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने बात की, बिजनेस कोच विवेक बिंद्रा से जो लाखों कारोबारियों को कामयाबी का मंत्र दे चुके हैं. डॉ. बिंद्रा को आप छोटे कारोबारियों का बड़ा उस्ताद भी कह सकते हैं. इस बेहद काम की बातचीत में बिंद्रा ने कारोबारियों को वो नुस्खे दिए हैं, जिनके जरिए वो लॉकडाउन के संकट में बचे रह सकते हैं. साथ ही बिंद्रा ने कुछ टिप्स भी दिए हैं, जिनके जरिए कारोबारी लॉकडाउन के बाद अपने कारोबार को तेजी से बढ़ा सकते हैं.
बड़े और छोटे हर तरह के कारोबारी के सामने जो एक तुरंत की समस्या है, वो है वर्किंग कैपिटल की. छोटे कारोबारियों के सामने तो समस्या यहां तक खड़ी हो गई है कि कर्मचारियों को अगले महीने की सैलरी कहां से देंगे. विवेक बिंद्रा के मुताबिक इस वक्त न बैंक से ज्यादा मदद मिलने वाली है और न ही निजी निवेशक पूंजी देंगे. ऐसे में बिंद्रा की सलाह है कि-
1.किराए की दुकान है तो ओनर से राहत मांगिए- बिंद्रा के मुताबिक इस वक्त दुकानदारों को प्राकृतिक आपदा के समय काम आने वाले प्रावधानों का इस्तेमाल करना चाहिए. या तो ओनर से दो-तीन महीने का पूरा किराया माफ करने के लिए कहना चाहिए या फिर उसमें आधी कटौती की बात करनी चाहिए. किराया बढ़ने वाला था तो उसे रोकने के लिए कहिए. ये भी कह सकते हैं कि ओनर पूरे साल किराया कुछ कम ले.
2. कॉस्ट कटिंग कीजिए-जैसे क्लाउड का खर्च, कैंटिन का खर्च, हाउस कीपिंग का खर्च, प्रोफेशनल फी में कटौती कीजिए. कैश बचाकर चलिए, बिजनेस विस्तार की योजनाओं को फिलहाल रोक दीजिए. कुल मिलाकर जहां भी संभव है वहां कटौती कीजिए. लेकिन बिना सोचे समझे कटौती न कीजिए.
लाखों नौकरियां जा रही हैं, आने वाले समय में टीम छोटी हो जाएंगी. तो समय के साथ बदलिए. पांच लोगों का काम एक को करना पड़ सकता है. कोविड-19 आम जीवन का हिस्सा बनने वाला है. अलग से जो पहल करेगा, वो ही बचेगा. कर्मचारियों को ये समझने की जरूरत है कि जब कंपनी के पास पैसा नहीं है तो वो कहां से देगी. लेकिन कंपनियों और नौकरियों को बचाने के लिए मैनेजमेंट को बड़ी भूमिका निभानी होगी. उन्हें एक पायलट की तरह लीड करके प्रोडक्ट लेवल पर कुछ नया करना होगा.
डॉ. बिंद्रा के मुताबिक इस देश के छोटे कस्बों और शहरों के छोटे कारोबारी को दिशा देने वाला कोई नहीं था. ये लोग महंगे एमबीए स्कूलों में भी नहीं जा सकते थे और वहां उनकी भाषा में पढ़ाई भी नहीं होती थी, तो इसलिए उन्होंने इन छोटे शहरों के बड़े महत्वाकांक्षी कारोबारियोंं को अपना टारगेट बनाया.
ये पूरा इंटरव्यू देखिए. लॉकडाउन को लेकर हताश हैं तो कुछ जोश जरूर आ जाएगा.
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