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CAA-NRC: 3 मांओं का एक ही सवाल, मेरे बेटे को किसने गोली मारी?

पुलिस का आरोपों से इंकार. कहा- पुलिस की गोली से मौत की बात किसी भी FIR में नहीं है.

शादाब मोइज़ी
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पुलिस का आरोपों से इंकार. कहा- पुलिस की गोली से मौत की बात किसी भी FIR में नहीं है.
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पुलिस का आरोपों से इंकार. कहा- पुलिस की गोली से मौत की बात किसी भी FIR में नहीं है.
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: दीप्ति रामदास

"पुलिस वाले ने गोली मारी. पुलिस के अलावा किसी ने गोली नहीं चलाई. मुझे इंसाफ चाहिए और कुछ नहीं." उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ विरोध और फिर हिंसा को एक साल का वक्त बीत चुका है, लेकिन बिल्किस के आंसू उनके बेटे की मौत का दर्द बयान कर रही है. बिल्किस के बेटे शफीक को 20 दिसंबर 2019 को फिरोजाबाद के नैनी चौराहा पर गोली लगी थी. जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी. किसकी गोली? इस सवाल का जवाब एक साल बाद भी किसी के पास नहीं है.

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दरअसल, दिसंबर 2019 में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन और फिर हिंसा में फिरोजाबाद में सात लोगों की मौत हुई थी.

क्विंट ने पीड़ित परिवार वालों से, उनके वकील और पुलिस से मुलाकात की और ये जानने की कोशिश की कि एक साल बाद क्या मरने वाले 7 लोगों के परिवार को इंसाफ मिला, क्या इन्हें कोई मुआवजा मिला?

“मेरा बेटा किसी विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं था”

शफीक की तरह ही 26 साल के हारून की भी मौत गोली लगने से हुई थी. शफीक की मां बेटे की मौत के गम में बीमार हो गई हैं. बेटे की फोटो दिखाते हुए हारून की मां नईमा बेगम कहती हैं,

“मेरा बेटा भैंस बेचकर उसी रास्ते से आ रहा था, तब ही रास्ते में हंगामा होने लगा. उसने फोनकर हम लोगों को बताया था कि गोली चल रही है, जैसे ही सब शांत होगा आ जाउंगा, लेकिन थोड़ी देर बाद हमें खबर मिली की उसे गोली लग गई है. वो किसी विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं था. फिर उसे क्यों मारा गया.”

परिवार का आरोप, पुलिस ने अपनी मर्जी से लिखवाई FIR

मृतक हारून के जीजा मोहम्मद जकी बताते हैं कि पुलिस ने अपनी मर्जी से एफआईआर लिखी थी, हमें कहा गया कि पब्लिक के हंगामे में उसे गोली लग गई है, लेकिन कोई ये नहीं बताता कि किसकी गोली से मौत हुई, अगर पुलिस की गोली से हुई है तो उन्हें सजा मिले या किसी और ने गोली मारी है तो उसे सजा मिले.

परिवार का डर- मीडिया से बात करने के बाद, बढ़ न जाए और परेशानी

फिरोजाबाद हिंसा में गोली लगने से मौत होने वाले अबरार की मां तजम्मुल डरी हुई हैं. उन्हें डर है कि मीडिया से बात करने पर कहीं उन्हें पुलिस परेशान न करे. वो कहती हैं,

“अब हमें और परेशानी में नहीं फंसना है. हम इस वक्त बहुत मजबूर हैं, बहुत परेशान हैं. किसी को बता भी नहीं सकते हैं, कितने परेशान हैं, ये मेरा बस अल्लाह ही जानता है.”

पुलिस का आरोपों से इंकार

क्विंट ने इन केस को लेकर फिरोजाबाद के एसपी अजय कुमार से फोन पर बात की. उन्होंने कहा,

“7 लोगों की मौत के मामले में SIT के द्वारा विवेचना चल रही है. पुलिस की गोली से मौत की बात किसी भी FIR में नहीं है. ऐसी कोई FIR नहीं हुई जिसमें पुलिस की गोली की बात हो. जो FIR है उसके मुताबिक जांच हो रही है.”

परिवार पर प्रेशन बनाने के आरोपों पर SP फिरोजाबाद ने कहा, "आरोप का क्या है, जो मुकदमे लिखे गए हैं, उसमें SIT गठित है, SIT के द्वारा विवेचना हो रही है. सीनियर अफसर रिव्यू कर रहे हैं. चार्जशीट अभी फाइल नहीं हुई है, इन्वेस्टिगेशन चल रही है."

फिलहाल इन केस में 7 लोगों की मौत की स्वतंत्र रूप से जांच के लिए एक रिट पिटिशन इलाहाबाद हाईकोर्ट में लगाई गई है. वकील के मुताबिक एक रिट पिटिशन इलाहाबाद हाईकोर्ट में पेंडिंग है. उस पर अब तक कुछ नहीं हुआ है. क्योंकि उसका काउंटर नहीं आया है अभी और सबसे बड़ी बात कोरोना की वजह से सही से सुनवाई नहीं हुई है.

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Published: 05 Jan 2021,03:49 PM IST

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