advertisement
वीडियो एडिटर: पुर्णेंदू प्रीतम
लुटियंस दिल्ली में देश का पावर कॉरिडोर सेंट्रल विस्टा पूरी तरह बदलने के लिए तैयार है. जुलाई 2022 तक तैयार हो जाएगा नया संसद भवन. मार्च 2024 तक नया सेंट्रल सेक्रेटेरिएट
और इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक 3 किमी लम्बा नया राजपथ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा रीडेवलपमेंट प्लान में इन सबके अलावा भी बहुत कुछ है.
लेकिन अलग-अलग क्षेत्रों से लोग इस पर संदेह और आपत्तियां क्यों उठा रहे हैं?इसे समझने की कोशिश करते हैं.
सेंट्रल विस्टा भारत की ताकत का केंद्र है. ये इंडिया गेट के पास राष्ट्रपति भवन से प्रिंसेस पार्क तक राजपथ के दोनों तरफ का क्षेत्र है. राष्ट्रपति भवन, संसद, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, उपराष्ट्रपति भवन और सेंट्रल सेक्रेटरिएट- ये सभी सेंट्रल विस्टा के अंतर्गत आते हैं.
नेशनल म्यूजियम, नेशनल अर्काइव्स, इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स यानी IGNCA, उद्योग भवन, बीकानेर हाऊस, हैदराबाद हाऊस, निर्माण भवन और जवाहर भवन जैसे संस्थान भी सरकार की योजना इस पूरे इलाके को दोबारा बनाने की है. जिसे सेंट्रल विस्टा रीडेवलपमेंट प्रॉजेक्ट का नाम दिया गया है.
अब सवाल ये है कि नया सेंट्रल विस्टा देखने में कैसा होगा? लेकिन सबसे पहले, इसके पीछे दिमाग किसका है.
यही वो फर्म है जिसने ये प्रस्ताव तैयार किया है. इसका नेतृत्व आर्किटेक्ट डॉ बिमल पटेल कर रहे हैं, जो साबरमती रिवरफ्रंट डेवलपमेंट प्रॉजेक्ट, गांधीनगर में सेंट्रल विस्टा को रीडेवलप करने और मुम्बई पोर्ट कॉम्पलेक्स जैसे प्रॉजेक्ट्स से जुड़े रहे हैं. मास्टर प्लान बनाने और लागत के अनुमान के लिए एचसीपी डिजाइन को 229 करोड़ रुपये दिए जाएंगे.
अब जो प्रस्ताव वो रख रहे हैं, वो कुछ ऐसा है.
जहां अभी IGNCA और रक्षा भवन हैं, वहां यह सेंट्रल सेक्रिटेरिएट होगा. इसमें 8 बिल्डिंग होंगी, हर बिल्डिंग में 8 फ्लोर होंगे और यहां सभी मंत्रालयों में काम करने वाले 25 हजार से 32 हजार कर्मचारी होंगे. अभी 51 केंद्रीय मंत्रालयों में केवल 22 सेंट्रल विस्टा के अंतर्गत आते हैं.
नए संसद के बारे में समझने की कोशिश करें तो ये त्रिकोणीय होगा. इसमें 900 से 1200 सांसदों के लिए जगह होगी. कहा यह जा रहा है कि दोनों सदनों के संयुक्त सत्र के हिसाब से यहां जगह होगी. इस नयी डिजाइन के मुताबिक लोकसभा हॉल में हर सांसद के लिए 50% अतिरिक्त जगह होगी. जहां उनके असिस्टेंड रिसर्चर्स रह सकेंगे.
प्रधानमंत्री आवास और उनका दफ्तर नया होगा. माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री का नया आवास रायसीना हिल स्थित साउथ ब्लॉक के पीछे होगा और क्योंकि अधिक जोर क्षमता बढ़ाने पर है, इसलिए नया पीएमओ साउथ ब्लॉक के पीछे साउथ-ईस्ट कॉर्नर पर बनेगा. दोनों एक-दूसरे से करीब 2.8 किमी दूर हैं. इसी तरीके से उपराष्ट्रपति का आवास नॉर्थ ब्लॉक के पीछे होगा.
राष्ट्रपति भवन को जस का तस रखा जाएगा और इसे ‘म्यूजियम ऑफ इंडियन डेमोक्रैसी’ में बदल दिया जाएगा. इसी तरीके से नॉर्थ ब्लॉक को ‘मेकिंग ऑफ इंडिया’ के तौर पर शो-केस में किया जाएगा और साउथ ब्लॉक एक म्यूजियम बन जाएगा, जिसका नाम होगा “इंडिया एट सेवेंटी फाइव”.
इसके अलावा 1960 में बना नेशनल म्यूजियम भी ढहा दिया जाएगा और ये दूसरी जगह बनाया जाएगा. नयी योजना में कोई भी बिल्डिंग इंडिया गेट से ऊंची नहीं होगी. ऐसा इसलिए किया जाएगा ताकि वॉर मेमोरियल की गरिमा बनी रहे.
आखिर क्यों आर्किटेक्ट, अर्बन प्लानर्स, धरोहरों का संरक्षण करने वाले, पर्यावरणविद और यहां तक कि कुछ नेता भी इस पर आपत्ति जता रहे हैं?
लेकिन आगे क्या होगा? क्या इन आपत्तियों का कोई प्रभाव होगा या क्या दिल्ली का लैंडस्केप हमेशा के लिए बदल जाएगा?
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)