advertisement
वीडियो एडिटर: मोहम्मद इब्राहीम
छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य है, जिसने कोरोना संकट का काफी हद तक मजबूती से सामना किया है. इसके आसपास के राज्यों में कोरोना मामलों का उफान आया, लेकिन यहां केस उतने नहीं बढ़े. छत्तीसगढ़ ने ये कैसे किया, केंद्र से मदद में उससे क्या दिक्कतें आ रही हैं, अपने गरीबों और मजदूरों को छत्तीसगढ़ किस तरह से राहत पहुंचा रहा है, ये सब समझने के लिए क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने बात की छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल से.
इंटरव्यू में बघेल ने केंद्र पर राज्यों से भेदभाव करने का आरोप लगाया. उन्होंने दिल्ली में अफसरों के निलंबन पर सवाल उठाया और कहा कि इस वक्त भारत के संघीय ढांचे का कोई मतलब नहीं रह गया है, क्योंकि देश में राष्ट्रीय आपदा कानून लागू है.
भूपेश बघेल ने एक बार फिर छत्तीसगढ़ के CSR का पैसा पीएम केयर फंड की ओर डायवर्ट करने पर आपत्ति जताई. उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ के किसी आदिवासी इलाके में कोई इंडस्ट्री है तो CSR का पैसा, वहां के लोगों के विकास में लगना चाहिए, लेकिन पीएम ने ये पैसा भी ले लिया है. हमने मांग की है लेकिन अभी तक कुछ हुआ नहीं है.
बघेल ने बताया कि लॉकडाउन को भी अफरातफरी में लागू किया गया. जब मालूम था कि लॉकडाउन लंबा चलने वाला है तो क्यों नहीं मजदूरों और प्रवासियों को उनके घर पहुंचने की मोहलत दी गई.
बघेल ने ये भी कहा कि जो 20 लाख करोड़ का राहत पैकेज आया है, वो पुरानी चीजों को नया बताकर पेश करने की कोशिश है. छत्तीसगढ़ चूंकि खनिज प्रधान राज्य है, ऐसे में उन्होंने इस तरफ ध्यान दिलाया कि आज जब बिजली की मांग देश में बहुत कम रह गई है तो ऐसे वक्त में कोयला खदानों को लेकर सहूलियत की बात उल्टी पड़ सकती है. बिजली जरूरत कम है तो कंपनियां बिडिंग कम करेंगी और खदान सस्ते में नीलाम हो जाने का डर है. वीडियो में सुनिए ये पूरा इंटरव्यू.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)