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वीडियो एडिटर: राहुल सांपुई
कैमरा: सुमित बडोला/ज़िजाह शेरवानी
क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि बस अब बहुत हो गया? पैसा, टैक्स, जिम्मेदारियां- ये सब कुछ कभी-कभी बहुत तनाव दे रही हैं. ऐसे में ‘चिल्ड्रेंस डे’ जिंदगी को रिवर्स गियर में डालकर वापस बचपन में जाने का सही समय हो सकता है. इसलिए हमने भी कुछ ऐसा ही कैब ड्राइवर्स के साथ किया. उनके बचपन में फिर से जाने की कोशिश की.
लेकिन जिस बात की हम उम्मीद कर रहे थे, हमें वैसा कुछ भी नहीं मिला. हर बच्चा उतना खुशनसीब नहीं होता है.असल जिंदगी में उन्हें अपनी मासूमियत, अपना बचपन खोने को मजबूर होना पड़ता है और तब उनके पास बचती हैं सिर्फ जिम्मेदारियां.
वहीं कैब ड्राइवर जीत सिंह कहते हैं कि लोग बाल श्रम के खिलाफ बोलते हैं. वो कहते हैं कि बच्चों से काम नहीं कराना चाहिए. हमें ये देखने की जरूरत है कि किन परिस्थितियों की वजह से बच्चे काम करना शुरू करते हैं. एक बच्चे को सबसे पहले क्या चाहिए? शायद उसे कुछ खाने के लिए चाहिए.
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