advertisement
''अगर विपक्षी एकजुटता बनी रही तो 2024 के आम चुनाव में कम से कम 400 सीटों पर बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का एक संयुक्त उम्मीदवार उतारा जा सकता है. बाकी सीटों पर भले ही TRS, BJD जैसी पार्टियां साथ न आएं लेकिन वो बीजेपी के खिलाफ लड़ेंगी.''
पेगासस मुद्दे (Pegasus Scandal) पर संसद का पूरा मॉनसून सत्र (Monsoon Session) धुल गया है. बिना किसी सार्थक बहस और चर्चा के सत्र खत्म हो गया और अहम मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पाई. पेगासस जासूसी कांड और विपक्षी एकजुटता पर क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने पूर्व गृह मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम से खास बातचीत की है.
पेगासस मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है और इस पर जानकारी न देने के पीछे केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला दिया है. इस पर चिदंबरम ने कहा, "विपक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर जानकारी नहीं चाहता है. चुनाव आयुक्त, पत्रकारों और नेताओं की जासूसी होने का अंदेशा है तो हम जानना चाहते हैं क्या सरकार या उसकी किसी एजेंसी ने पेगासस स्पाईवेयर खरीदा था?"
सरकार का इस मुद्दे पर 'राष्ट्रीय सुरक्षा' का हवाला देना ये संकेत देता है कि केंद्र सुप्रीम कोर्ट में सील कवर में अपना जवाब सौंप सकता है. पूर्व गृह मंत्री चिदंबरम ने कहा कि दो साल पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने 'बंद लिफाफे' की प्रक्रिया पर नाराजगी जताई थी, इस बार पता नहीं क्या होगा.
चिदंबरम ने कहा, "सरकार को लगता है कि वो किसी भी चुनौती या संकट से आराम से निकल सकती है. अगर यही खुलासे किसी और सरकार में होते या किसी लोकतांत्रिक देश में होते तो सरकार गिर गई होती. यहां कुछ नहीं हुआ."
पूर्व गृह मंत्री ने कहा कि 'आजादी सबसे बड़ा अधिकार होता है लेकिन लोग अगर अपनी आजादी को कुचलने की स्वीकृति देंगे तो मैं क्या कह सकता हूं.'
चिदंबरम ने कहा कि कमेटी में कौन है, सब कुछ इस पर निर्भर करता है और आखिर में कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजानिक करना ही होगा. उन्होंने कहा, "किसी भी कमेटी की रिपोर्ट को छुपाया नहीं जा सकता है. कभी भी लीक हो सकती है."
चिदंबरम ने बताया कि विपक्ष ने सरकार से कहा था वो पहले पेगासस, दूसरा कृषि कानून और फिर महंगाई पर चर्चा चाहता है और उसके बाद किसी बिल पर चर्चा होनी चाहिए.
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, "बिना चर्चा के बिल पास कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को फटकार लगाई थी. चीफ जस्टिस ने पूछा था कि बिना चर्चा के बिल पास कराने का क्या मतलब है. एक बिल 1 मिनट में पास हो गया और सबसे लंबी बहस किसी बिल पर 39 मिनट तक चली."
चिदंबरम का कहना है कि ये कहना गलत होगा कि विपक्ष मुकाबला नहीं कर रहा है. उन्होंने बताया, "20 सितंबर को देशभर में प्रदर्शन किया जाएगा. लोग दिल्ली में बैठकर दिल्ली के नजरिये से चीजों को देखते हैं. आप तमिलनाडु, महाराष्ट्र, केरल जाइए, वहां काफी ज्यादा चर्चा है."
चिदंबरम ने कहा, "विपक्षी एकता को हर सीट पर बीजेपी के खिलाफ एक उम्मीदवार में बदलना होगा. आने वाले राज्य चुनावों में विपक्ष ने संयुक्त उम्मीदवार उतारा तो नतीजे रोचक होंगे."
चिदंबरम ने ये अनुमान भी लगाया है कि 2024 के आम चुनाव में 400 सीटों विपक्ष संयुक्त रूप से लड़े, ये असंभव नहीं. विपक्ष में लीडर को लेकर मतभेदों के सवाल पर चिदंबरम बोले कि विपक्ष के तमाम बड़े लीडर देश के हालात, छिनती आजादी से परेशान हैं लिहाजा वो साथ चलने का कोई न कोई रास्ता निकाल लेंगे.
पढ़ें ये भी: हर्ष मारीवाला EXCLUSIVE: 'बेटा ही संभालेगा कंपनी, ये कल्चर बदलना होगा'
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)