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लॉकडाउन की वजह से पूरे देश में कामकाज ठप है. ट्रांसपोर्ट सर्विस से लेकर फैक्ट्रियां बंद हैं. इस वजह से खास तौर से छोटे कारोबारी काफी ज्यादा परेशान हैं. इस दौरान क्विंट ने अलग-अलग इंडस्ट्री की एसोसिएशन के चेयरपर्सन से बात की. क्विंट ने जानना चाह कि वो आखिर वो किस तरह की परेशानी झेल रहे हैं और सरकार से क्या चाहते हैं.
गुजरात डाइज स्टफ मेन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश पारीख अपने सेक्टर के लिए सरकार से तुंरत राहत पैकेज की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि इंडस्ट्री करीब 1 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठा रही है, इसलिए जल्द से जल्द राहत पैकेज की जरूरत है.
लॉकडाउन के बाद ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री में अफरातफरी मच गई है. AIMTC के पूर्व अध्यक्ष और ट्रांसपोर्ट कोर कमेटी के चेयरपर्सन बाल मलकैत सिंह ने बताया, लॉकडाउन की वजह से ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री को हर दिन 2000 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा रहा है.
लॉकडाउन के बाद सप्लाई चैन और लॉजिस्टिक्स पर किस तरह का असर पड़ा है, इस पर क्विंट से मलकैत सिंह ने कहा, 'सभी ड्राइवर्स हाइवे पर ही लॉकडाउन हो गए. कुछ ड्राइवर्स तो सड़क पर ही गाड़ी छोड़कर अपने घर की ओर पलायन करने लगे.'
मलकैत सिंह ने सरकार को सप्लाई चैन में शामिल लोगों के लिए भी बीमा उपलब्ध कराने का भी सुझाव दिया.
वहीं MSME डेवलपकमेंट फोरम के चेयरपर्सन रजनीश गोयनका ने क्विंट से बैंकों के ब्याज में राहत और जीएसटी मुद्दे पर बात की. रजनीश गोयनका ने कहा, "भारत में ऐसे मुश्किल समय में अमेजन, स्नैपडील जैसी बड़ी-बड़ी एमएनसी कंपनियों ने हाथ खड़े कर दिए. देश के छोटे व्यापारी ही आखिरकार काम आए. लेकिन इन व्यापारियों की अब दिक्कतें बढ़ रही हैं. इनके काम चौपट हो चुके हैं. इनका किराया जा रहा है, स्टाफ को सैलेरी देनी है, ब्याज बढ़ता जा रहा है. मेरा केंद्र सरकार और मोदी जी से निवेदन है कि इन व्यापारियों को टैक्स में छूट, बैंकों से ब्याज में राहत दी जाए."
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