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वीडियो एडिटर: विशाल कुमार
कोरोनावायरस अब तक करीब 7000 लोगों की जान ले चुका है. चीन, कोरिया, इटली, ईरान... दर्जनों देशों में ये वायरस कहर बरपा रहा है. टॉम हैंक्स से लेकर ईरान और ब्रिटेन के मिनिस्टर्स तक कोरोना की गिरफ्त में हैं. सबसे बड़ी परेशानी ये है कि इसका इलाज नहीं है.
दुनियाभर में लॉकडाउन है. बॉर्डर्स सील हैं. पूरे के पूरे देश तक क्वॉरनटाइन हो चुके हैं. एयरपोर्ट, स्टेडियम, मॉल, स्कूल, कॉलेज, सिनेमा हॉल या तो बंद हो चुके हैं या खाली पड़े हैं. आईपीएल की तारीख बढ़ चुकी है. ओलंपिक पर भी खतरा मंडरा रहा है. इससे पहले पूरी दुनिया में इतना पैनिक कभी नहीं दिखा.
थोड़ा रिवाइंड कर दूसरी घटनाओं पर नजर डालते हैं जिन्होंने दुनिया को डराया था.
इस डबल झटके को समझने के लिए हमें कोरोना क्राइसिस के बाहर भी देखना होगा. यानी वर्ल्ड इकॉनोमी, जो कि खुद बहुत बुरी हालत में है. 12 मार्च को लंदन और न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज दोनों जगह एक दिन में बाजार इतना गिरा कि तैंतीस साल का रिकॉर्ड टूट गया. ठीक उसी दिन बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स लगभग तीन हजार प्वाइंट टूटा और इंडियन इनवेस्टर्स के 11.4 लाख करोड़ रुपये डूब गए. ये अब तक सबसे बुरा दिन था. टोक्यो का निक्की, हॉन्ग-कॉन्ग का हेंग-संग, शंघाई, सिंगापुर, फ्रैंक्फुट, पेरिस स्टॉक एक्सचेंज कोई भी हो. हेडलाइन एक ही थी. आज बुरी खबर है, कल खबर और बुरी हो सकती है.
दोनों संकट यहीं से शुरु हुए. चीन डबल झटके की असली वजह है. कोरोनावायरस की बीमारी यहीं से शुरू हुई.और यही आज पूरी दुनिया की इकॉनमी का नर्व सेंटर बना हुआ है. इसलिए जहां चीन आज लाइलाज फ्लू की चपेट में है. इसने पूरी दुनिया को एक आईसीयू में डाल दिया है. हेल्थवाइज भी.और इकनॉमिकली भी.
आपको कोई बैक हैंडेड कॉम्प्लिमेंट लग रहा होगा लेकिन इस क्राइसिस से तो यही पता चलता है कि ये जो चाइना है ना..इट रियली मैटर्स टुडे
दुनियाभर में बनने वाले सामान का 28% चीन में बनता है. मतलब 1/4th से भी ज्यादा.और वो भी पूरी दुनिया का. नेच्युरली जब कोरोनावायरस ने चीन को पूरी तरह कब्जे में ले लिया है. तो दुनिया के 1/4th सामान दुकानों, बाजारों, वेअरहाउस, शिपिंग कंटेनर्स से गायब हो गया. चीन से जरूरी कंपोनेंट आने बंद हो गए तो दुनियाभर की फैक्ट्रियां ठप्प पड़ गईं.
चीन सिर्फ सामान बनाता नहीं है. उसे इस्तेमाल भी करता है. वो भी बड़ी लागत में, एक और फन फैक्ट ये है कि – पूरी दुनिया में बनने वाले सीमेंट और स्टील का आधा चीन में खर्च हो जाता हैऔर हां, पूरी दुनिया का आधा कोयला भी.
अगर चीन सामान नहीं बना रहा है.और सामान खरीद भी नहीं रहा है.और किसी को नहीं मालूम कि ऐसा कब तक चलता रहेगा.और सबसे बड़ी बात ये कि हजारों लोग या तो कोरोनावायरस से इन्फेक्टेड हैं या मर रहे हैं. जिसका कि अभी तक कोई इलाज भी नहीं है. तो आपको इतना तो समझ में आ ही गया होगा कि आपका पैसा और आपकी सेहत दोनों अभूतपूर्व खतरे में है. साफ है कि ऐसा क्राइसिस और खौफ पहले कभी नहीं हुआ और ये सब इसलिए हो रहा है क्योंकि China Matters.
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