advertisement
कोरोना वायरस से निपटने के लिए 21 दिनों का लॉकडाउन उन लोगों के लिए भी मुश्किल भरा साबित हो रहा है, जो अपने घरों में हैं. मगर जरा उनके बारे में सोचिए, जो इस लॉकडाउन के बीच घर से बाहर फंसे हुए हैं. ऐसे ही कुछ लोग दिल्ली में एम्स हॉस्पिटल के पास एक अंडरपास में रहने को मजबूर हैं.
मगर उसी तेज बदबू के बीच मुझे वहां कई लोग इधर-उधर अस्त-व्यस्त हालत में पड़े दिखे. जब मैंने उन लोगों से बात की तो पता चला कि इन लोगों में कई गंभीर हालात के मरीज मौजूद हैं. मसलन, किसी को कैंसर है, किसी का लीवर ट्रांसप्लांट होना है, तो किसी की हार्ट सर्जरी होनी है.
इन मरीजों में से सबसे पहले बात करते हैं, समस्तीपुर (बिहार) से दिल्ली आए पंकज कुमार की. पंकज बताते हैं, ''मेरी 3 बार सर्जरी हो चुकी है. मेरा लीवर भी खराब हो गया है. हम 3 महीने पहले एम्स आए थे. तभी से वहां मैं भर्ती था. 23 तारीख (मार्च) को डॉक्टरों ने कहा कि एक महीने की डेट दे रहे हैं, उसके बाद आना.''
डॉक्टरों ने पंकज से यह भी कहा कि वह कोरोना वायरस से बचने के लिए एहतियात बरतें. इसके बाद 24 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए देश में 21 दिनों के लॉकडाउन का ऐलान कर दिया.
इस लॉकडाउन के बीच पंकज एक बदबूदार जगह पर रहने को मजबूर हैं, जहां उनके खाने तक की व्यवस्था नहीं है.
पंकज की देखभाल के लिए फिलहाल उनकी मां बिंदू उनके साथ मौजूद हैं.
जितेंद्र चौधरी पिछले महीने गढवा (झारखंड) से अपनी 8 महीने की बच्ची सोनम को लेकर एम्स आए थे. उन्होंने बताया कि रांची में डॉक्टर कुछ साफ-साफ बता नहीं रहे थे.
जितेंद्र के साथ उनकी पत्नी और सास भी हैं.
बिहार की रहने वाली जया देवी अपने 10 साल के बेटे अभिषेक को लेकर दिल्ली आई थीं. उन्होंने बताया, ''हम एक महीने पहले दिल्ली आए थे. डॉक्टर ने कहा कि सब जांच हो गई हैं, अब ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर से मिलो. लेकिन हॉस्पिटल ही बंद हो गया.'' फिलहाल जया के साथ उनके पति भी मौजूद हैं.
उन्होंने कहा,
3 साल की अनुष्का को ट्यूमर है. उत्तर प्रदेश के निवासी अनुष्का के पिता मोरध्वज ने बताया, ''23 मार्च को (अनुष्का को) एक कीमो लगा था. एक 28 को. अब 13 अप्रैल को लगना है.''
मोरध्वज का कहना है कि लॉकडाउन ना होता तो भी वह दिल्ली में ही रुकने वाले थे. मगर कोरोना वायरस के खतरे के बीच वह दो बच्चों (जिनमें से एक बीमार है) और अपनी पत्नी के साथ एक गंदगी और भीड़भाड़ वाली जगह पर रहने को मजबूर हैं, बाहर कहीं खाना बंटता है, उसी से गुजारा कर रहे हैं.
पत्नी के साथ बिहार से अपना इलाज कराने दिल्ली आए रामचरित्र शाह लॉकडाउन की वजह से अंडरपास में रहने को मजबूर हैं. उनका कहना है कि उन्हें 6 अप्रैल को वापस लौटना था, लेकिन फिलहाल वह यहीं रहने को मजबूर हैं.
अंडरपास के पास ही शेल्टर होम भी मौजूद हैं. जब एक शेल्टर होम के केयर टेकर से पूछा गया कि इतने गंभीर मरीजों को यहां जगह क्यों नहीं मिली तो उसने कहा, ''इतनी जगह में हम 40 से ज्यादा लोगों को नहीं रख सकते.'' इसके अलावा उसने कहा, '' इतने लोग रखने पर भी मीडिया वाले पूछते हैं कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन क्यों नहीं हो रहा, अब इतनी जगह में इतने लोगों को रखकर सोशल डिस्टेंसिंग कैसे अपनाएं.''
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)