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देश के अलग-अलग हिस्सों में लॉकडाउन का असर होगा. एक तरफ जिंदगी बचाने की चिंता है वहीं दूसरी ओर जिंदगी चलाने की चिंता है. देश में क्या हो रहा है, क्या किया जा सकता है ताकि चलती रहे जिंदगी. आज कहानी किसान की क्योंकि मैं किसान आंदोलन से जुड़ा रहा हूं. पिछले दो-तीन दिन से देशभर के किसान साथियों से बात होती रही है. सबकी कहानी सुन रहा हूं. इस लॉकडाउन का क्या-क्या असर हुआ है किसानों पर?
तीन बातें हैं. फूल, फल और फसल. फूल भी खेती करके प्रोड्यूस किए जाते हैं. जहां 40-50 क्विंटल फूल रोज बेचे जाते थे वहां अब सिर्फ चार-पांच क्विंटल फूल बेचे गए हैं बाकी बचे फूल खत्म हो जाएंगे. बड़े-बड़े शहरों में फल-सब्जी के मार्केट बंद हो रहे हैं. मुंबई का सब्जी मार्केट बंद होने वाला है. ऐसे हालात में हम सब्जी की जगह दाल बना लेंगे काम चला लेंगे लेकिन उन किसानों का क्या होगा? उनके लिए इसका मतलब है कि ज्यादातर फसल सड़ जाएंगे, बर्बाद हो जाएंगे और किसान कुछ नहीं कर सकता. ये पेरिशेबल कमोडिटीज है. इसके लिए उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिलेगा, कोई इंश्योरेंस नहीं होगा. क्योंकि पेरिशेबल कमोडिटीज के लिए कोई ऐसी योजना नहीं है.
किसान के लिए ये पूरे 6 महीने एक सीजन की कमाई की बात है. फूल और फल से बड़ी समस्या फसलों के बारे में है. ये रबी की फसल का समय है. ये सीजन फसलों को मंडी में लाने का है. चना, जौ, दालें, सरसों, गेहूं जैसी फसलें अब मंडी में आनी शुरू होती है. मंडिया बंद हो रही है. दाम गिरने शुरू हो रहे हैं. किसान अपनी फसल गारंटीड दाम पर बेच सके इसके लिए सरकार प्रोक्योरमेंट सेंटर खोल दे. प्रोक्योरमेंट सेंटर बना दे. इसके बिना किसान अपनी फसल सही दाम पर नहीं बेच पाएगा.
किसानों को बहुत भारी नुकसान होने वाला है. किसानों की पेमेंट पेंडिंग है.
अब ऐसे में क्या किया जा सकता है- चार सुझाव हैं.
देश का लॉकडाउन है,ख्याल रखना होगा कि किसान के किचन का लॉकडाउन ना हो जाए!
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