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इन दो बच्चों की मां ही थी, कोरोना ने उसे भी छीन लिया

नाजिया और आयुब के माता-पिता को कोरोना ने छीना, नाना-नानी को बच्चों की पढ़ाई की चिंता

पूनम अग्रवाल
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<div class="paragraphs"><p>कोरोना ने छीन लिया सहारा</p></div>
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कोरोना ने छीन लिया सहारा

(Photo:Quint Hindi)

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6 साल की नाजिया (बदला हुआ नाम) ने रोना शुरू कर दिया जब उसने अपनी नानी को शब्बो (नाजिया की मां) के बारे में बोलते सुना कि उनकी तबीयत खराब है. नाजिया का भाई आयुब (बदला हुआ नाम) भी काफी उदास था. नाजिया और आयुब ने अप्रैल 2021 में अपने मां शब्बो को कोरोना (Coronavirus) के कारण खो दिया. 30 साल की शब्बो तलाक के बाद अपने मां-पिता के घर अपने बच्चों के साथ रह रही थी. शब्बो एक टेलर थीं और अपनी सारी कमाई बच्चों की पढ़ाई में ही लगाती थीं.

मैं आयुब और नाजिया से कुछ हफ्तों पहले ही मिली थीं. दोनो के पास अपनी मां की ढेर सारी कहानियां थीं. ‘मेरी अम्मी मुझे पढ़ती थीं, वो चाहती थीं कि मैं डॉक्टर बनूं’ और नाजिया कहती है, ‘हां वो हमें उर्दू, गणित अंग्रेजी भी सिखाती थीं’

जब नाजिया और आयुब से पूछा गया कि उन्हें मां से पढ़ना कैसा लगता था तो नाजिया बताती हैं कि, आयुब को मां से पढ़ना अच्छा नहीं लगता था. ‘आयुब को अम्मी से पढ़ने में डर लगता था.’

आयुब और नाजिया अपने नाना-नानी परवीन बेगम और नसीम अहमद के साथ उनके घर पर रह रहे हैं, उन्हें अपने नातियों की और उनके भविष्य की चिंता है. उन्हें सबसे ज्यादा चिंता है कि वो उन्हें स्कूल कैसे भेज सकेंगे.

मैं बच्चों को पाल सकती हूं, खाना खिला सकती हूं, लेकिन उन्हें पढ़ाने के लिए हमें मदद की जरूरत है.
परवीन बेगम, शब्बो की मां
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बच्चों का खयाल रखने में शब्बो की बहन नूर अपने माता-पिता की मदद करती है, नूर अपनी बहन के काफी करीब थी, नूर अपनी बहन की कोरोना से लड़ाई बताते हुए काफी भावुक होती हैं.

नूर बताती हैं कि उनका परिवार शब्बो के लिए ऑक्सीजन और अस्पताल में बेड के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहा था, लेकिन असफलता ही मिली. जब शब्बो का ऑक्सीजन लेवल 75 चला गया तो भी वो उसके लिए ऑक्सीजन का इंतजाम नहीं कर पाए.

आयुब और नाजिया शब्बो की बहन नूर के भी काफी करीब थे, लेकिन नूर की शादी हो चुकी है और शब्बो की मौत के 15 दिन के बाद ही उन्होंने अपने पहले बच्चे को जन्म दिया. नूर फिलहाल अपने माता-पिता के घर पर है और शब्बो के बच्चों का खयाल रखने में अपने माता-पिता का हाथ बंटा रही हैं. लेकिन नूर को चिंता है कि जब वो वापस अपने घर लौट जाएंगी तो बच्चों को कौन संभालेगा. उनके माता-पिता बूढ़े हो गए हैं.

मैं शादीशुदा हूं, मेरा भी एक बच्चा है, जब मैं अपने घर चली जाऊंगी तो इन बच्चों का क्या होगा? किसी को नहीं पता कि उनके नाना-नानी कब तक रहेंगे, वो बहुत बूढ़े हैं
नूर, शब्बो की बहन

हिंदी में कहावत है, ‘गम बांटने से काम होता है’ लेकिन नाजिया और आयुब अभी बहुत छोटे हैं. अभी अपने अंदर की तकलीफ शब्दों में बयां नहीं कर सकते. वो सिर्फ रो सकते हैं और अपनी मां को याद ही कर सकते हैं. शब्बो ने अपने बच्चों के लिए अच्छा भविष्य सोचा था. लेकिन उनकी मौत के बाद बच्चों की देखभाल कौन करेगा?

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