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कब तक पटरी पर आएगी इकनॉमी? केवी कामथ BIG EXCLUSIVE

क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया से न्यू डेवलपमेंट बैंक के पूर्व प्रेसिडेंट केवी कामथ की खास बातचीत 

संजय पुगलिया
वीडियो
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(फोटो: क्विंट हिंदी)
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(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: पुनीत भाटिया

कोरोनावायरस की वजह से इकनॉमी बिल्कुल चौपट हो गई है. चारों तरफ आशंकाओं का दौर है, ऐसे माहौल में चुनौतियां कहां है और कहां नए मौके मिलेंगे, ये जानने के लिए क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने न्यू डेवलपमेंट बैंक के पूर्व प्रेसिडेंट केवी कामथ से खास बातचीत की.

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इस वक्त इकनॉमी की क्या चुनौतियां हैं?

लॉकडाउन-2 के वक्त मूड बहुत खराब था. अनिश्चय के मौहाल में सरकार ने कुछ कदम उठाए. इकनॉमी ठप होने की वजह से -23.9% GDP स्वाभाविक ही था. अब उम्मीद की किरणें नजर आ रही हैं. दूसरी तिमाही के नतीजे बताएंगे आगे क्या होगा. इकनॉमी की हालत इतनी भी खराब नहीं हैं. अभी के दौर में बड़े लक्ष्य सेट करना बहुत जरूरी है.

इकनॉमी पटरी पर कब लौटेगी?

अनुमान अभी पक्के नहीं हैं. अक्टूबर से पहले, साल के बारे में अनुमान लगाना सही नहीं है. आने वाले दिनों में डिजिटल से जुड़े कारोबार और रोजगार बढ़ेंगे. देश में नए बाजार भी उभर रहे हैं, जैसे नॉर्थईस्ट वगैरह.

कितनी मुसीबत में हैं MSME?

छोटे कारोबारी सबसे मुश्किल में हैं. सरकार ने सबसे पहले MSME को ही राहत दी. सप्लाई चेन ठीक हो रही है जिसकी वजह से MSME रिकवर करेगा.

जॉब मार्केट कब सामान्य होगा?

संगठित क्षेत्र में अप्रैल जून में हालत खराब थी. असंगठित क्षेत्र में अभी भी दिक्कत है. मैन्युफैक्चरिंग, सप्लाई चेन में रिकवरी हो रही है. व्हाइट कॉलर जॉब मार्केट में दिक्कत है. डिजिटल के कारण व्हाइट कॉलर जॉब बनेंगे. हुनर हासिल करने पर डिजिटल में नौकरी मिलेगी.

क्या डिजिटल में तेजी का फायदा बड़ी टेक कंपनियां ले जाएंगी?

डिजिटल में नई नौकरियां मिलेंगी. वक्त के साथ हम भी डिजिटल में ताकतवर होंगे. आज हमारे युवा भी दुनिया भर के लिए ऐप बना रहे हैं. डिजिटल एजुकेशन में बहुत गुंजाइश है. उम्मीद है कि डेटा और प्राइवेसी सुरक्षा पर काम होगा.

क्या इंडिया का अपना ‘गूगल-फेसबुक’ बनेगा?

हम इस सेक्टर में महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनेंगे. अगले दो साल बड़े अहम होने वाले हैं. हम पार्टनरशिप भी करेंगे और खुद भी चीजें बनाएंगे.

सरकार क्यों नहीं बढ़ा रही खर्च?

हमारे यहां बहुत सावधानी से कदम उठाने की परंपरा है. कई चीजें हमारे पक्ष में हैं जैसे- मजबूत रुपया, कम ब्जाय दर. ग्रोथ लौटेगी हमें बस सब्र करने की जरूरत है. उम्मीद है कि अगले साल ग्रोथ लौट आएगी.

इकनॉमी में रफ्तार के लिए क्या आइडिया?

बैकिंग, फाइनेंशियल सेक्टर की हालत ठीक है, बाजार की गतिविधियां शुरू होंगी.चीजें बेहतर होंगी. ग्रोथ खुद लौटेगी. बिना सरकारी मदद के जो सेक्टर परेशानी में हैं सिर्फ उन्हें मदद की जरूरत है. 18 महीने बाद 5-6% ग्रोथ की उम्मीद है.

युवा उद्यमियों के लिए क्या सलाह?

ये तरक्की का वक्त है. युवा उद्यमियों को  सोच को रिसेट करने की जरूरत है.

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