Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019कोरोना वायरस ने जीबी रोड के सेक्स वर्कर्स का क्या हाल किया?

कोरोना वायरस ने जीबी रोड के सेक्स वर्कर्स का क्या हाल किया?

3,000 से ज्यादा सेक्स वर्कर्स दिल्ली के जीबी रोड पर रेड लाइट एरिया में रहती हैं.

पूनम अग्रवाल
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<div class="paragraphs"><p>कोरोना के कारण जीबी रोड की सेक्स वर्कर्स की कमाई पर बुरा असर पड़ा है</p></div>
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कोरोना के कारण जीबी रोड की सेक्स वर्कर्स की कमाई पर बुरा असर पड़ा है

फ़ोटो: क्विंट हिंदी

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मुझे एक एनजीओ में नौकरी मिल गई. लेकिन उन्होंने मुझे ये कभी नहीं भूलने दिया कि मैं एक सेक्स वर्कर थी. उन्होंने (एनजीओ) मुझे सपने दिखाए जो कभी पूरे नहीं हुए. मैं वहां ज्यादा देर नहीं टिक सकी और फिर से सेक्स वर्क में लग गई.
सुमन (बदला हुआ नाम)

सुमन 3,000 से ज्यादा सेक्स वर्कर्स में से एक हैं जो दिल्ली के जीबी रोड पर रेड लाइट एरिया में रहती हैं. दुर्भाग्य से, सेक्स वर्कर्स को हमारे समाज का एक महत्वहीन हिस्सा माना जाता है और कोई भी उनसे संबंधित मुद्दों को नहीं उठाता है, चाहे वो राजनेता हों, नीति निर्माता हों या मीडिया.

लेकिन हम सभी की तरह, सेक्स वर्कर्स भी कोविड-19 महामारी से अछूती नहीं हैं. क्विंट ने कई सेक्स वर्कर्स से बात की ताकि पता लगाया जा सके कि उनके व्यापार को कितना नुकसान हुआ है.

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सुमन 17 साल पहले जीबी रोड पर तस्करी कर के लाई गईं थीं, जब वो सिर्फ 24 साल की थी. महामारी और लॉकडाउन के कारण उनकी आय में 60-70% की गिरावट आई है. अपने पेशे में अनिश्चितताओं के कारण, उसने एक एनजीओ से जुड़ने का फैसला किया. लेकिन समाज का हिस्सा बनने का उनका सपना पूरा नहीं हो पाया.

मैं उस एनजीओ का नाम नहीं लूंगी. जहां मैंने काम शुरू किया था. हमारा परिचय इस रूप में होता था - “ये बहनें जीबी रोड की हैं”. मैंने इस मुद्दे पर उनसे बहस की. मैंने कहा अब मैं यहां हूं, तुम मुझे मेरे अतीत की याद क्यों दिलाते रहते हो? अगर ऐसा ही चलता रहा तो मैं वापस&nbsp; चली जाउंगी. आप मुझे अपना वर्तमान और भविष्य बदलने नहीं दे रहे हैं.
सुमन (बदला हुआ नाम)

रेखा जैसी सेक्स वर्कर जनवरी 2021 तक गैर सरकारी संगठनों द्वारा दिए गए राशन पर जीवित रहीं. देश में दूसरी लहर आने के दो महीने के अंतराल के बाद, अप्रैल 2021 से गैर सरकारी संगठनों ने फिर से राशन उपलब्ध कराना शुरू किया.

पहली COVID लहर के दौरान, अधिकांश सेक्स वर्कर्स के पास बचत के पैसे थे, जिसका इस्तेमाल उन्होंने किया, लेकिन, दूसरी लहर उन्हें ज्यादा नुकसान पहुंचा रही है.

रामा जीबी रोड पर करीब 20 साल से सेक्स वर्कर हैं. उनके चार बच्चे हैं. उनकी मां और बहन को अप्रैल में दूसरी लहर के दौरान अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उसके पास इलाज के लिए भी पैसे नहीं थे.

सेक्स वर्कर्स को सरकार की तरफ से कोई आर्थिक मदद नहीं मिली. अप्रैल 2021 से मैंने इस इलाके के लिए सीएम और डिप्टी सीएम से राशन मांगा. ओएसडी (ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी) ने कहा कि उन्हें हमारा पत्र मिला और संबंधित विभाग को भेज दिया है. बस यही मदद हमें दिल्ली सरकार से मिली.
ललिता, उपाध्यक्ष, सोसाइटी फॉर पार्टिसिपेटरी इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट (SPID)

जीबी रोड की कुछ सेक्स वर्कर ऐसी स्थिति में पहुंच गई हैं, जहां वे इस पेशे से बाहर आकर घर जाना चाहती हैं, या वैकल्पिक नौकरी की तलाश करना चाहती हैं. चूंकि उनमें से अधिकांश के पास दूसरा कौशल नहीं है, इसलिए वैकल्पिक नौकरी खोजना कठिन होता जा रहा है. समाज से स्वीकृति एक और चुनौती है.

समय आ गया है कि राज्य और केंद्र सरकारें और महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय सेक्स वर्कर्स के बारे में सोचें और उन्हें महामारी से निपटने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करें.

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