Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019सीमापुरी श्मशान घाट: “दिल्ली में इंसान नहीं, इंसानियत मर रही है”

सीमापुरी श्मशान घाट: “दिल्ली में इंसान नहीं, इंसानियत मर रही है”

कुछ लोग हैं जो कोविड संकट में भी जरूरतमंदों की मदद में लगे हैं

पूनम अग्रवाल
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कुछ लोग हैं जो कोविड संकट में भी जरूरतमंदों की मदद में लगे हैं
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कुछ लोग हैं जो कोविड संकट में भी जरूरतमंदों की मदद में लगे हैं
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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कोरोना की दूसरी वेव की वजह से हम लोगों में से कई घर पर बैठे हैं. लेकिन कुछ लोग हैं जो जरूरतमंदों की मदद में लगे हैं. ऐसे ही एक व्यक्ति जितेंद्र सिंह शंटी हैं, जो दो दशकों से भी ज्यादा समय से पूर्वी दिल्ली में शहीद भगत सिंह सेवा दल के नाम से मुफ्त एम्बुलेंस सर्विस चलाते हैं.

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जितेंद्र ने सीमापुरी शमशान घाट के बाहर ही अपना एक ऑफिस बना लिया है. उनकी टीम अस्पतालों और घरों से शवों को मुफ्त में उठाती हैं. लेकिन उनका कहना है कि पिछले कुछ हफ्ते बहुत डरावने बीते हैं.

“मैं एक दिन में 115 शव लेकर आया हूं. जिनमें से 40-45 शव घर से उठाए थे. होम क्वॉरंटीन में होते हुए लोगों की घरों पर मौत हो गई. अधिकतर कोई एम्बुलेंस शव उठाने नहीं जाती है. हम शव उठाते हैं, सैनिटाइज कर उसे पैक करते हैं और फिर सीमापुरी शमशान घाट पर दाह-संस्कार करते हैं.” 
जितेंद्र सिंह शंटी

क्विंट ने सीमापुरी श्मशान घाट से 27 अप्रैल को एक ग्राउंड रिपोर्ट की थी. हमने वहां लगभग छह घंटे बिताए थे और देखा कि हर 10-20 मिनट में कई शव आ रहे थे.

शंटी का एम्बुलेंस हेल्पलाइन नंबर लगातार बजता रहा. हम शंटी की एम्बुलेंस के साथ घरों तक शव उठाने भी गए.

जितेंद्र सिंह शंटी ने कहा, "मैंने अपनी जिंदगी में ऐसा कुछ नहीं देखा है. दूसरी वेव बहुत खतरनाक है. 10 अप्रैल के बाद शवों की तादाद श्मशान घाट पर बढ़ती चलती गई. अभी तक एक दिन में सबसे ज्यादा 125 शवों का दाह-संस्कार हुआ है."

27 अप्रैल को सीमापुरी श्मशान घाट पर 105 शवों का अंतिम संस्कार हुआ था. शंटी ने कहा कि दिल्ली सरकार कोविड मौतों की असल संख्या नहीं बता रही है.

जितेंद्र कहते हैं कि दूसरी वेव में सभी आयु सीमा के लोग प्रभावित हुए हैं, इस बार जवान लोग भी नहीं बच पाए.

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Published: 01 May 2021,06:51 PM IST

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