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दादरी हत्‍याकांड: अखलाक के परिवार के खिलाफ FIR साजिश तो नहीं? 

आखिर दादरी कांड के 10 महीने बाद अखलाक के परिवार के खिलाफ FIR क्यों दर्ज की गई?

द क्विंट
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(फोटो: The Quint)
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(फोटो: The Quint)
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अखलाक की मौत के लगभग 10 महीने बाद गोहत्‍या के मामले में अखलाक और उसके परिवार के खिलाफ दर्ज एफआईआर ने कई सवाल खड़े किए हैं. शिकायतकर्ता और गवाहों के बारे में ज्यादा जानकारी जुटाने करने के लिए द क्विंट ने उत्‍तर प्रदेश के दादरी जिले के बिसाहड़ागांव का दौरा किया. हमारी जांच में यह पाया कि शिकायतकर्ता घटना का चश्मदीद नहीं था. उसने एफआईआर तीन गांव वालों की बातों के आधार पर दर्ज कराई.

इसकेअलावा, प्रेम सिंह, जिन्‍होंने अखलाक और उसके परिवार को कथित तौर पर बछड़े कोकाटते हुए देखा था, संजय राणा के चाचा और अखलाक की हत्‍या के आरोप में गिरफ्तार आरोपीविशाल राणा के पिता हैं. इतना ही नहीं, संजय राणा, जो खुद को बीजेपी के पूर्व नेता होने का दावा करते हैं, का गवाहों और शिकायताकर्ता को नियंत्रित करनेमें कहीं न कहीं ऊपरी हाथ तो जरूर है.

संजयराणा कौन हैं? चश्‍मदीद गवाह से उनका क्‍या संबंध है?

दक्विंट ने अपनी पिछली रिपोर्ट में राणा की अखलाक से कथित आपसी दुश्‍मनी और बादमें उसकी हत्‍या में शामिल होने का जिक्र किया था. इसलिए राणा ने अपने रिश्‍तेदारों और पड़ोसियोंकी मदद से अखलाक के परिवार के खिलाफ एफआईआर लिखवाई. कहीं गोहत्‍या की शिकायतअपने लड़के को सजा से बचाने के लिए तो नहीं की गई?

<i>उन ****बच्‍चों से पूछो जिन्‍होंने गौ काट कर हमारे घरों में फेंकी और हमारी भावना भड़कायी. अखलाक को मारा उस भावना ने.</i>
<i><b>संजय सिंह राणा, अखलाक की हत्‍या में आरोपी के पिता</b></i>

खुफिया कैमरे में रिकार्ड किए जाने से बेखबर राणा ने द क्विंट से बातचीत के दौरान बिसाहड़ागांव में लोगों के बीच अखलाक और उसके परिवार के लिए ये अपमानसूचक शब्‍द बोले.राणा को अखलाक की हत्‍या में अपने बेटे के शामिल होने पर कोई पछतावा नहीं हैबल्कि वे उसका बचाव करते हुए कहते हैं कि पुलिस ने उसे गलत फंसाया है. उन्‍होंनेअपनी उत्‍तेजक बयानबाजी के जरिए गांव वालों को भड़काने का प्रयास किया.

<i>एक लाठी दो मेरे हाथ में और जान मोहम्‍मद </i><i>(</i><i>अखलाक के भाई</i><i>)</i><i> को मेरे सामने कर दो. आपको आधे घंटे में पता चल जाएगा कि उन्‍होंने कैसे काटा. मैं आधे घंटे में तुम्‍हारे सामने ये कहलवा दूंगा कि हाँ मैंने काटा.</i>
<i><b>संजय सिंह राणा </b></i>

उन्‍होंनेलोगों के बीच आपा खोते हुए अखलाक और उसके परिवार को गाली दी.

“ सवाल करों उन बहन...द सारों से जिन लोंगो ने येगाय काटी है.”

संजय सिंह राणा

सभा में गांव केहिंदु और मुसलमानों के बीच की खाई स्‍पष्‍ट देखी गयी. राणा ने धमकी देते हुए कहा कि अगर अखलाक के परिवार को गोहत्या के मामले में गिरफ्तार नहीं किया गया तो गांव में संप्रदायिकतनाव भड़क सकता है.

<i>उन्‍हें (पुलिस) अखलाक के परिवार को अरेस्‍ट करना पड़ेगा. अगर उन्‍होंने नहीं किया तो मुझे सिर्फ अपने संप्रदाय के लोंगो को इकठ्ठा करना पड़ेगा. वो तुरंत अरेस्‍ट करेंगे.</i>
<i><b>संजय सिंह राणा</b></i><i> </i>

एफआईआरके बारे में और अधिक पड़ताल करने के लिए, हमनें शिकायतकर्ता सूरजपाल से मिलने कानिर्णय लिया. हमने पाया कि सूरजपाल रिपोर्टरों से केवल राणा के जरिए ही बात कररहे थे. इसके बावजूद उन्‍होंने सभा में हमारी सहायता करने का समर्थन दिया.

शिकायतकर्ता सूरजपाल ने अफवाह के आधार पर अखलाक के परिवार के खिलाफ गोहत्या की शिकायत दर्ज कराई.

70साल के सूरजपाल ने अपना पूरा जीवन बिसाहड़ा गांव में बिताया है. काफी असहज होनेके बाद, उन्‍होंने बताया कि उन्‍होंने कुछ भी नहीं देखा है. उन्‍होंने अफवाह के आधारपर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. उन्‍होंने बताया कि तीन गांव वालों ने उन्‍हेंघटना के बारे में बताया था.

<i>मैंने कुछ नहीं देखा. मुझे तो प्रेम सिंह, जतिन और रणवीर ने सब बताया. जब उन्‍होंने मुझे बताया जब जाकर मैंने एफआईआर करवायी.</i>
<i><b>सूरजपाल, शिकायतकर्ता </b></i>

पिछलेसाल सितंबर में, बिसाहड़ा गांव में अखलाक की भीड़ के हाथों हत्‍या हुई थी. लेकिनउसका छोटा लड़का दानिश गंभीर चोंटो के बावजूद भी बच गया. पुलिस ने दानिश और परिवारके अन्‍य सदस्‍यों के बयान के आधार पर 19 लोंगो को गिरफ्तार किया था.

हाँलाकि सूरजपाल ने अपनी एफआईआर में अखलाक की हत्‍याके आरोप में गिरफ्तार सभी आरोपियों के बेगुनाह होने का दावा किया. जब हमनें उनसे अपनेबयान को साबित करने को कहा, तो उन्‍होंने ये जवाब दिया:

सूरजपाल, शिकायतकर्ताः “ जी, वोसारे बच्‍चे बेगुनाह हैं, उन्‍हें गलत पकड़ा है.”

रिपोर्टर:अगर उन्‍होंने नहीं मारा तो फिर किसने मारा?

सूरजपाल, शिकायतकर्ताः “अखलाकको तो भीड़ ने मारा है. अब इसमें कैसे पता चलेगा कि किसने मारा?”

जबहमने जोर देकर पूछा कि दानिश आरोपियों के नामों के संबंध में गलत कैसे हो सकता हैजबकि उसने अपनी आँखों के सामने अपने पिता की हत्‍या होते हुए देखा, सूरजपाल चुप होगये.

सूरजपालने हमें यह भी बताया कि अखलाक की हत्‍या के बाद जब वे यह शिकायत दर्ज कराने पुलिसस्‍टेशन गए तो किसी ने भी उनकी बात नहीं सुनी.

चश्‍मदीदगवाह: प्रेम सिंह, अखलाक की हत्‍या में आरोपी के बड़े चाचा

सूरजपालसे बात करने के बाद हमने यह महसूस किया कि चश्‍मदीद गवाह और अन्‍य गवाहों से बातकरना कितना अहम है. हमनें कुछ गांव वालों से प्रेम सिंह से मिलने के लिए पूछा. एकगांव वाले ने हमें बताया कि प्रेम सिंह अखलाक की हत्‍या के आरोपी के पिता संजयराणा के चाचा हैं.

“प्रेमसिंह तो संजय राणा का ताऊ या चाचा लगता है.”

- बिसाहड़ा गांव का एक निवासी

एक सप्‍ताहतक सिंह की तलाश करने के बाद, अन्‍तत: हम उनसे लोगों के साथ बैठक में मिले, जिसमेंराणा और सूरजसिंह भी शामिल थे. सिंह हमसे बात करने से बच रहे थे और मीडिया परअखलाक की हत्‍या को अनावश्‍यक बढ़ा-चढ़ा कर पेश करने का आरोप लगा रहे थे. इसकेअलावा, उनके साथ बैठे लोगों ने हमें सिंह से बात करने से रोकने का प्रयास किया.लेकिन हमने किसी तरह से कुछ सवालों के जवाब हासिल कर लिए.

एफआर्इआरमें, सूरजपाल ने कहा है कि सिंह ने अखलाक और उसके परिवार को बछड़े की हत्‍या करतेहुए देखा. इसलिए, वह अपराध स्‍थल पर मौजूद एकमात्र चश्‍मदीद गवाह हैं.

“सूरजपालने जो भी एफआर्इआर में कहा है वो सब सच है. उन्‍होंने गोहत्‍या 25 तारीख को कीथी.”

- प्रेमसिंह, चश्‍मदीद गवाह

तो फिरप्रेम सिंह इतने महीनों से चुप क्‍यों थे? और उन्‍होंने अपराध के बारे में पुलिसको बताने के बजाय सूरजपाल को क्‍यों बताया? सिंह ने कहा कि यदि वो पुलिस के पासपहले जाते तो उन्‍हें अखलाक की हत्‍या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया जाता.

“ अगर हमपहले कंप्‍लेंट करते तो अभी मैं जेल में होता अखलाक के मर्डर के लिए.”

- प्रेमसिंह, चश्‍मदीद गवाह

न हीसिंह और न राणा ने स्‍वीकार किया कि वे इससे जुड़े थे क्‍योंकि उन्‍हें पता था किइससे हाल ही में दर्ज एफआईआर पर कई सवाल खड़े हो सकते हैं.

हमनेएफआईआर में उल्‍लेखित अन्‍य दो गवाहों से भी बात की. ये जतिन सिंह हैं जो यह दावाकरते हैं कि उन्‍होंने अखलाक को अपने घर बछड़े को ले जाते हुए देखा, कहते हैं:

रिपोर्टर: आपने क्‍या देखा?

जतिन: हमनेतो उन्‍हें बछड़े को ले जाते हुए देखा. हमनें पूछा कहाँ ले जा रहे हो. तो उसनेबोला कि ऐसे ही घूम रहा है ये तो इसे पाल लूँगा. फिर उसे काट दिया उसने.

रिपोर्टर: आपने अखलाक को देखा ले जाते हुए?

जतिन: अखलाक ले जा रहा था. अब यह नहीं पता कि उसदिन काटा उसे या दो दिन बाद.

तीसरागवाह रणवीर, जिन्‍होंने अखलाक को बछड़े का शव सड़क पर फेंकते हुए देखा.

रिपोर्टर: क्‍या आप घटना के समय मौजूद थे?

रणवीर: कालीपन्‍नी में कुछ पकड़े हुए देखा अखलाक को.

रिपोर्टर: कब देखा?

रणवीर: लगभग 8 बजे 28 सितंबर को.

रिपोर्टर: कहाँ फेंकते देखा?

रणवीर:ट्रांसफार्मर के पास... उसके अंदर सफेद खाल थी.

रिपोर्टर: आपको कैसे पता कि वो बछड़े की थी?

रणवीर: यहहमें नहीं पता, हमें तो यह पता है कि वो सफेद पशु की खाल है, बाकि तो लैब बतायेगा.

रिपोर्टर: फिर आपने क्‍या किया?

रणवीर: फिरक्‍या, हम चले गये अपने घर.

कठिनप्रयासों के बावजूद भी हमें अन्‍य लोगों की अनुपस्थिति में गवाहों से मुलाकात करनेके लिए रोका गया. किसी भी गवाह ने हमें उनके बयानों को सही ठहराने लायक कोई ठोससबूत पेश नहीं किया.

अनसुलझेसवाल: क्‍या आगे एफआईआर अखलाक के परिवार को दोषी करार देगी?

क्‍या यूपीपुलिस सच सामने लाने के लिए निष्‍पक्ष जांच करायेगी या स्‍वार्थ में तत्‍पर लोगोंके हाथ की कठपुतली बन कर रह जायेगी?

क्‍या बिसाहड़ागांव आने वाले उत्‍तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में संप्रदायिक तनाव का मुख्‍य केंद्रबनेगी?

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Published: 13 Aug 2016,09:19 AM IST

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