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पहले जान से मारने की धमकियां दे कर आपने फिल्म को राजनीतिक मुद्दा बनाया, फिर विरोध के नाम पर हिंसा फैलाई.अब आप चाहते हैं कि अगर फिल्म थियेटर में रिलीज हो, तो राजपूत महिलाएं खुदकुशी करें. आपकी बातें बेतुकी हैं. लेकिन हम यहां आपका मजाक नहीं उड़ा रहे
हम यहां आपको और राजस्थान पुलिस को कानून के बारे में याद दिला रहे हैं जो आपके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही. अगर आप महिलाओं को आत्महत्या के लिए उकसा रहे हैं, तो आप कानून के खिलाफ जा रहे है लेकिन
खैर, इससे पहले कि आप फिर 'नाक काट देंगे', 'सर कलम कर देंगे' जैसी धमकियों पर आयें
मेरी बात गौर से सुनिए और इन सवालों के जवाब दीजिये
आप सोचते हैं कि एक फिल्म के काल्पनिक किरदार का विरोध करने के लिए इन जीती-जागती महिलाओं का मर जाना बिल्कुल सही है. आप ये सोचते हैं कि हम मान लें कि ये धमकियां इसलिए दे रहे हैं, क्योंकि आपकी भावनाओं को ठेस पहुंची है?
जी नहीं करणी सेना, हम इतने नासमझ नहीं हैं. आप ये सब राजनीतिक फायदे के लिए कर रहे हैं. इस फिल्म के आने से पहले राजनीतिक दृष्टि से आपकी कोई पहचान नहीं थी. आपने इस फिल्म के बहाने विवाद का खाका तैयार किया, जिसका फायदा आप लगातार उठाते जा रहे हैं...सुर्खियों में बने हुए हैं. न्यूज चैनलों की बहसों में छाए हुए हैं. जिन आपराधिक हरकतों का मैंने जिक्र किया है, उसके लिए आपको जेल के अंदर होना चाहिए.
हमने आपके लिए इंडियन पेनल कोड की कुछ धाराएं ढूंढ निकाली हैं. जिनके तहत आप करणी सेना के नेताओं के खिलाफ केस दर्ज कर सकते हैं. जब उन्होंने दीपिका पादुकोण की नाक काटने धमकी दी, तब उन पर लगनी चाहिए थी IPC की धारा 506 यानी आपराधिक धमकी और धमकी देकर गंभीर आघात पहुंचाना. जब बीजेपी नेता सूरजपाल अमू ने दीपिका और संजय लीला भंसाली के सिर पर 10 करोड़ रुपये का इनाम रखा तब भी IPC की धारा 506 के तहत उन्हें जेल में होना चाहिए था.
जब करणी सेना धमकी देती है कि फिल्म 'पद्मावत' रिलीज होने पर महिलाएं आत्महत्या करेंगी तो IPC की धारा 306 यानी आत्महत्या के लिए उकसाने के तहत उन पर केस दर्ज होना चाहिए तो करणी सेना, कानून तो मौजूद हैं, लेकिन आपकी किस्मत अच्छी है कि राजस्थान पुलिस और सरकार आपके जुर्म को नजरअंदाज कर रही है. आपका विरोध हम इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि आप लोग कानून न मानने वाले उपद्रवियों का समूह हैं.
आप राजपूत महिलाओं के सम्मान की रक्षा करना चाहते हैं? कैसा हो, अगर आप सिर्फ अपने राजनीतिक फायदे के लिए उनकी मौत न चाहें? आप महिलाओं के सम्मान की रक्षा करना चाहते हैं ? कैसा हो अगर आप उनकी नाक काटने की जिद छोड़ दें? क्या आप खुद की घटती हुई शान और आत्मसम्मान की रक्षा करना चाहते हैं?
सिर्फ हत्या की धमकियों और आत्महत्या के उकसावे को ही अपनी पहचान मत बनाइये और हां, अगर आपको राजस्थानी महिलाओं के हालात की इतनी ही चिंता हैं. तो कुछ असली और जरूरी मुद्दों पर ध्यान क्यों नहीं देते? भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में महिला साक्षरता के मामले में राजस्थान सबसे पीछे है. 2011 की जनगणना के मुताबिक राजस्थान में महिला साक्षरता है-महिला साक्षरता- 52.7% लेकिन पुरुष साक्षरता- 80.5 % है.
2014 में NCRB के मुताबिक राजस्थान देश के उन शीर्ष तीन राज्यों में से था जहां महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध होते हैं. असली मुद्दे हैं ये करणी सेना...असली मुद्दे विवादों के इस मौसम में आप कई लड़ाई जीत चुके हैं. आपने सेंसर बोर्ड को फिल्म पर कैंची चलाने पर मजबूर कर दिया. आप फिल्म के नाम में से 'I' हटवाने में कामयाब रहे. आपने निर्माताओं को चिंता में डाल दिया कि एक गाने को एडिट किया जाए. दीपिका की ड्रेस में सुधार किया जाए. आपने उन्हें फिल्म पर सफाई देने के लिए फुल पेज विज्ञापन छपवाने पर मजबूर किया
25 जनवरी को ये फिल्म रिलीज होगी. आपको क्या लगता है कि आप इसे रोक पाएंगे? ये लड़ाई करणी सेना और कॉमन सेंस के बीच है. ये उन्मादी लोगों और हम सबके बीच की लड़ाई है. आप क्या सोचते हैं, कौन जीतेगा?
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