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वीडियो प्रोड्यूसर: मौसमी सिंह/शोहिनी बोस
वीडियो एडिटर: पुर्णेन्दू प्रीतम/संदीप सुमन
कैमरा: अतहर राथर
प्रधानमंत्री ने 7 जून को कई हफ्तों की पॉलिसी पैरालिसिस के बाद देश की वैक्सीन पॉलीसी में बड़े यू-टर्न की घोषणा की. अफसोस की बात ये है कि ये यू-टर्न बड़ी देर से आ रहा है. जब कोविड की दूसरी लहर सैकड़ों जानें ले चुकी है.
विशेषज्ञों ने, सुप्रीम कोर्ट ने, लाखों देशवासियों ने.. सेंटर के वैक्सीन प्लान को लेकर लगातार सवाल उठाए हैं. लेकिन कोई जवाब नहीं मिल रहा था. आज भी पीएम ने देरी के राज्यों पर आरोप लगाए. लेकिन इतनी देर से यू-टर्न की असली वजह एक ही है- कि देश के पास, सरकार के पास बांटने के लिए वैक्सीन थे ही नहीं! हमें ये मान लेना चाहिए कि इस देरी के लिए देश ने भारी कीमत चुकाई है. इसे बेहतर समझने के लिए इन 3 हेडलाइन्स को सुनिए...
भारत में आधे से ज्यादा कोविड मौतें पिछले 2 महीनों में हुईं... लेकिन गृह मंत्री इसे एक सफलता की कहानी बताते हैं.. ऑक्सीजन के लिए बेहताश SOS मैसेज, एंबुलेंस के लिए बेताबी से खोज, अस्पतालों के बाहर बेड के लिए इंतजार, जब कि रिश्तेदार गाड़ियों में लेटे दम तोड़ रहे थे- क्या सरकार ने दूसरी लहर को इस तरह नियंत्रित किया? देशभर के अस्पतालों से ऑक्सीजन के लिए गुजारिश, उन्हीं अस्पतालों में ऑक्सीजन खत्म हो जाने से रोज मौतों की खबर - क्या ये सफलता की कहानी है या विफलता की? ये विडंबना ही थी कि गुजरात में 9 ऑक्सीजन प्लांट के उद्घाटन के अवसर पर अमित शाह ने अपनी पीठ थपथपाई. अगर हमने 9 महीने पहले ऐसे ऑक्सीजन प्लांट का उद्घाटन देशभर में देखा होता, तो आज सरकार असल में अपनी पीठ थपथपाने की हकदार होती..
इस हेडलाइन में सरकार ने अपनी एक काफी गंभीर गलती को स्वीकारा है - कि 2020 में भारत की वैक्सीन उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए, लगभग कुछ नहीं किया गया था. अमेरिकी सरकार ने पिछले साल ही कई फार्मा कंपनियों को 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का एडवांस दिया, जिससे 2 चीजें हासिल हुई - एक, कोरोना वैक्सीन डोज की प्री-बुकिंग, और दूसरा, कि इन अरबों डॉलर से ये फार्मा कंपनियां पिछले साल ही अपना उत्पादन बढ़ा पाई. हमारी सरकार ने ऐसा क्यों नहीं किया? हम नहीं जानते.
उदाहरण के लिए भारत बायोटेक के कोवेक्सीन को ही ले लीजिए. भारत में वैक्सीन की पहली 20 करोड़डोज़ में से 18 करोड़ कोविशील्ड थी और केवल 2 करोड़ कोवैक्सीन. क्यों? क्योंकि भारत बायोटेक की उत्पादन क्षमता कम है. लेकिन हम ये पिछले साल भा जानते थे. तो 12 महीने पहले, सरकार ने भारत बायोटेक को अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए एक बड़ा एडवांस पेमेंट क्यों नहीं दिया? हम नहीं जानते. भारत बायोटेक को सरकार से केवल अप्रैल 2021 में 1500 करोड़ का एडवांस मिला.
इन 3 पीएसयू में से एक मुंबई में स्थित हापकिन फार्मा है. हापकिन के मैनेजिंग डायरेक्टर का कहना है कि कोवैक्सीन के उत्पादन के लिए उनकी बायो सेफ्टी लैबोरेटरी तैयार होने के बाद वे हर साल 22 करोड़ टीके प्रोड्यूस करेंगे. लेकिन, इस बायो सेफ्टी लैब में कितना समय लगेगा? 8 महीने. अगर निर्णय 12 महीने पहले ले लिया गया होता, तो हापकिन 4 महीने पहले कोवैक्सीन प्रोड्यूस कर रहा होता. तो एक साल पहले सरकार ने ऐसा क्यों नहीं किया? हम नहीं जानते.
और ये केवल हमारे प्रश्न नहीं हैं, जिनका उत्तर भारत सरकार द्वारा नहीं दिया जा रहा है. भारत की वैक्सीन नीति से जुड़े कई सवाल सुप्रीम कोर्ट भी सरकार से कर रही है, जिनका संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा है.
और इससे पहले कि कोई मंत्री फिर से कहे- "लेकिन स्वास्थ्य राज्यों का विषय है"प्लीज़ समझ लीजिए कि 31 मई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर स्पष्ट रूप ये कहा- "महामारी का प्रबंधन, कोविड-19 को नियंत्रित करना, भारत की टीकाकरण नीति और वैक्सीन की कीमत, ये सब केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है."
तो केंद्र सरकारमहोदय, ये जो इंडिया है ना.. ये सिर्फ़ सवाल पूछने से थक रहा है. हमें अब जवाब चाहिए.
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