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3 दिन
3 एयरपोर्ट
3 हादसे
28 जून 2024 को दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट के टर्मिनल-1 के डिपार्चर एरिया की छत बारिश के दौरान ढह गई. एक कैब ड्राइवर की जिंदगी का सफर वहीं खत्म हो गया. करीब 8 घायल हुए. हादसे से साढे़ 3 महीने पहले 10 मार्च 2024 को इसी एयरपोर्ट के एक हिस्से का पीएम मोदी ने को उद्घाटन किया था.
अब बीजेपी वाले कह रहे हैं कि जो हिस्सा गिरा है वो 2009 में कांग्रेस की सरकार के दौरान बना था. बात सही है, लेकिन अगर यही लॉजिक है तो सवाल ये है कि 2009 में एवियेशन मिनिस्टर एनसीपी लीडर प्रफुल पटेल थे, जोकि अब महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार में ही मंत्री हैं. लेकिन सवाल है कि 15 साल पुराने एयरपोर्ट की छत का मेंटेनेंस क्यों नहीं हुआ?
इस स्टोरी में हम आपको सिर्फ ये नहीं बताएंगे कि कब, कहां, क्या हादसे हुए, बल्कि आपको एक-एककर उन हादसों से जुड़े स्टेकहोल्डर और आपके टैक्स के पैसे कहां कितने खर्च हुए हैं वो भी बताएंगे, ताकि आपको भी पता चले कि फीता काटने और उद्घाटन की रेस में आपकी सुरक्षा और जिंदगी के साथ कैसे खिलवाड़ हो रहा है. और आप भी पूछें जनाब ऐसे कैसे?
तारीख 27 जून 2024, मध्य प्रदेश के जबलपुर में डुमना एयरपोर्ट पर टर्मिनल की छत टूट कर एक सरकारी अधिकारी की कार पर गिरी, गाड़ी चकनाचूर हो गई. शुक्र है कि कार में उस वक्त कोई मौजूद नहीं था. इस एयरपोर्ट का 3 महीने पहले 10 मार्च 2024 को पीएम मोदी ने उद्घाटन किया था.
14 मई 2022 को पीआईबी के अपने प्रेस रिलीज में लिखा था, "जबलपुर हवाई अड्डे को मिलेगी नई टर्मिनल बिल्डिंग. जबलपुर एयरपोर्ट के अपग्रेडेशन के लिए 412 करोड़ का बजट था."
एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को जबलपुर टर्मिनल का ठेका मिला था. एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की वेबसाइट पर भी लिखा है कि Hyperbolic roof design for natural lighting, RCC Pre-fab structure work किया गया है.
बता दें कि किसी एयरपोर्ट पर क्या, कैसे, कौन काम करेगा इसके लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया टेंडर जारी करती है, फिर एयरपोर्ट अथॉरिटी को भी जवाब देना चाहिए कि गुणवत्ता की जांच क्यों नहीं हुई, अधिकारियों पर क्या एक्शन हुआ?
27 जुलाई 2023 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 1,405 करोड़ रुपये की लागत से गुजरात के राजकोट में बने नए अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन किया था. और 11 महीने बाद 29 जून को एयरपोर्ट के पैसेंजर पिकअप और ड्रॉप एरिया की कैनोपी का एक हिस्सा भरभरा कर गिर गया.
राजकोट का नया एयरपोर्ट का निर्माण एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया और गुजरात सरकार के नागरिक उड्डयन विभाग के बीच एमओयू साइन हुआ था. इसके कंस्ट्रक्शन की जिम्मेदारी Yashnand Engineers & Contractors Pvt. Ltd. को मिली थी.
सिर्फ एयरपोर्ट ही नहीं जून 2024 की ही बात करें तो देशभर में सड़कें, पुल, टनल, पानी की टंकी कहीं टूटी तो कहीं बहीं. ऐसे में सवाल उठता है कि आपके टैक्स का पैसा कहां खर्च किया जा रहा है?
प्रगति मैदान इंटीग्रेटेड ट्रांजिट कॉरिडोर परियोजना को 920 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनाया गया. 19 जून 2022 को पीएम मोदी ने उद्घाटन किया. अब दो साल से भी कम समय के बाद उसमें क्रैक की खबरें हैं. दिल्ली के प्रगति मैदान मेन टनल (Pragati Maidan Tunnel) में कहीं पानी का रिसाव हो रहा है तो कहीं टनल के फाउंडेशन में दरारें देखी गई हैं.
जिस राम मंदिर के नाम पर देशभर में वोट मांगे गए, अधूरे कंस्ट्रक्शन के बाद भी प्राण प्रतिष्ठा चुनाव से पहले की गई, वहां भी पहली बारिश ने सब पोल खोल दिए. 22 जनवरी को पीएम मोदी ने राम मंदिर उद्घाटन किया. लेकिन राम मंदिर मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने दावा किया कि मंदिर के छत से बारिश का पानी टपकने लगा है. मुख्य पुजारी ने कहा कि जहां रामलला विराजमान हैं पहली बरसात में ही पानी चूने लगा.
हालांकि मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने परिसर में रिसाव के दावों को खारिज कर दिया. वहीं दूसरी ओर बारिश का पानी अयोध्या में बनी नई सड़कों पर भी भर गया. राम पथ कहे जाने वाली सड़क में गड्ढे हो गए.
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक अहमदाबाद की भुवन इंफ्राकॉम प्राइवेट लिमिटेड, जिसे काम का ठेका मिला था उसे उत्तर प्रदेश सरकार ने नोटिस जारी किया है, साथ ही निर्माण कार्य में लापरवाही के लिए छह अधिकारियों को सस्पेंड किया गया है.
30 जून 2024 को उत्तर प्रदेश के मथुरा में 2.5 लाख लीटर की पानी की टंकी गिर गई. जिसकी वजह से दो लोगों की मौत हो गई. 12 से ज्यादा लोग घायल हुए. मथुरा की इस पानी की टंकी को बनने में 3 साल लगे और सिर्फ डेढ़ साल में ढह गई.
नवंबर 2023 में उत्तराखंड के उत्तरकाशी के सिलक्यारा में सुरंग ढह गया. इसमें 17 दिनों तक 41 मजदूर फंसे रहे. बता दें कि20 फरवरी 2018 को पीएम मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने 'चारधाम महामार्ग परियोजना' को मंजूरी दी थी. इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 1383 करोड़ रुपए थी. सिल्कयारा टनल का निर्माण नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड कर रही है. ये वही कंपनी है जिसने BJP को तीन साल में 55 करोड़ रुपए का चुनावी चंदा दिया था.
30 अक्टूबर 2022 को गुजरात के मोरबी शहर में मच्छू नदी पर बना एक झूला पुल ढह गया था. इस घटना में 135 लोगों की मौत हुई थी. गुजरात की ओरेवा ग्रुप को मोरबी के सस्पेंशन ब्रिज के रेनोवेट और रिपेयरिंग की जिम्मेदारी थी.ये लिस्ट बहुत लंबी है, लेकिन क्या सरकारों को इन हादसों से लोगों की मौत से फर्क पड़ता है. और तो और यह सब उस देश में है जो आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए वैश्विक गठबंधन (सीडीआरआई) का प्रमुख है.
क्या किसी की जिम्मेदारी तय नहीं होनी चाहिए? क्या बस हादसे होते जाए और हम भूलते जाएं और फिर खतरों के साथ चलते जाएं.. वेडनेसडे मूवी में नसीरुद्दीन शाह का डायलोग है, "मैं वो हूं जो आज बस और ट्रेन में चढ़ने से डरता है. मैं वो हूं जो काम पे जाता है तो उसकी बीवी को लगता है जंग पे जा रहा है, पता नहीं लौटेगा या नहीं." इसलिए हम सब पूछ रहे हैं जनाब ऐसे कैसे?
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