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कैमरापर्सन: आकांक्षा कुमार
वीडियो एडिटर्स: विवेक गुप्ता और विशाल कुमार
हर दिन, उत्तर पश्चिम दिल्ली में भलस्वा लैंडफिल में लगभग 2,200 मीट्रिक टन कचरा डाला जाता है. यानी लगभग 73,333 बाल्टी कचरा जो दिल्ली के सबसे बड़े डंपिंग ग्राउंड में उड़ेला जाता है. इसमें प्लास्टिक रैपर, हॅास्पिटल का कचरा जैसे ब्लड बैग, बैग, जूते और पॉलिथिन बैग समेत रोजमर्रा का घरेलू कचरा शामिल है.
जाहिर है, ऐसे में इस कूड़े के पहाड़ पर आग लगना यानी दिल्ली की हवा में जहर का घुलना तय है. भलस्वा लैंडफिल साइट पर 20 अक्टूबर को आग लगी थी. साइट के कई हिस्सों के सुलगने की वजह से हवा की क्वॉलिटी बेहद खराब हो गई है.
क्विंट ने भलस्वा के आसपास की काॅलोनी में जाकर मुआयना किया और वहां रहने वाले लोगों से बातचीत की. कालेंदर काॅलोनी, जेजे काॅलोनी, श्रद्धानंद काॅलोनी के लोगों में सांस की बीमारियां आम है. वहां हालात सामान्य नहीं है.
अलग-अलग जगह पर हमने हवा की क्वॉलिटी को जांचा और फर्क पाया. कई जगह एयर क्वॉलिटी इंडेक्स खतरनाक हालात बयां कर रही है.
डाॅक्टरों का कहना है कि सर्दी के मौसम में ये समस्या और भी गहरी हो जाएगी.
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