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दिल्ली: हाथ की मेहंदी भी नहीं छूटी थी और हिंसा ने पति छीन लिया

आगाज ने अपना जवान बेटा खोया है तो मुसकान ने अपना पति.

शादाब मोइज़ी
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दिल्ली: हाथ की मेहंदी भी नहीं सूखी थी और हिंसा ने पति छीन लिया
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दिल्ली: हाथ की मेहंदी भी नहीं सूखी थी और हिंसा ने पति छीन लिया
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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ए़डिटर- अभिषेक शर्मा

कैमरा- शादाब मोइ़़ज़ी

“मेरे बेटे अशफाक की 14 फरवरी को शादी हुई थी, 11 दिन भी नहीं हुए की उसे मार दिया गया, बहू के हाथ की मेहंदी भी नहीं सुखी है. कैसे रहेगी मेरी बहू अब.”

ये बोलते हुए 50 साल के आगाज फूट-फूट कर रोने लगते हैं. आगाज के बेटे अशफाक की 25 फरवरी को मुस्तफाबाद में हिंसा के दौरान गोली लगने से मौत हो गई थी. आगाज ने अपना जवान बेटा खोया है तो मुस्कान ने अपना पति. मुस्कान के पति जाकिर की भी मौत इसी हिंसा के दौरान गोली लगने से हुई है.

दिल्ली में नागरिकता कानून के समर्थन में शुरू हुआ प्रदर्शन इतना हिंसक हो गया जिसके बाद तक 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. घायलों की संख्या भी 500 से ज्यादा है.

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अशफाक की पत्नी रो-रो कर बस एक ही बात कह रही हैं कि मुझे इंसाफ चाहिए. अशफाक मजदूरी करते थे. उसकी शादी 14 फरवरी 2020 को हुई थी. अशफाक के रिश्तेदार अली बताते हैं, “सभी लोग शादी के लिए गांव गए थे, करीब 20 दिन बाद दिल्ली लौटे थे, शादी की खुशी घर में थी. प्रोटेस्ट के लिए गए भी नहीं थे, लेकिन अचानक वहां पर हंगामा हो गया. पुलिस ने लोगों को मारा और कुछ गुंडे भी पुलिस के साथ थे, उन लोगों ने गोली चलाई जिससे इसकी मौत हुई है.”

दो छोटे-छोटे बच्चों को नहीं अब पिता का सहारा

मुस्तफाबाद की गली नंबर 22 में रहने वाली मुसकान को अपने पति जाकिर का इंतजार है, लेकिन जाकिर अब कभी लौटकर नहीं आ सकते हैं. 25 फरवरी को जाकिर को गोली लगी थी. जाकिर की पत्नी मुसकान कहती हैं, “वो नमाज पढ़ने गए थे, बोले थोड़े देर में वापस आ जाएंगे, लेकिन अब तक नहीं आए. मेरी दोनों बेटियों को अब कौन संभालेगा. किसके सहारे हम जिएंगे?”

जाकिर की मौत के बाद उनके पड़ोस के मोहम्मद अजीम उन्हें पास के एक नर्सिंग होम लेकर गए थे. अजीम बताते हैं, “वहां पर पुलिस खड़ी थी, लेकिन किसी ने मदद नहीं की. हम उन्हें चारपाई पर रखकर नर्सिंग होम ले गए. लेकिन वहां इलाज नहीं हो सकता था. जब पास के एक अस्पताल गए तबतक उनकी जान जा चुकी थी.”

डेड बॉडी को ले जाने के लिए 10 घंटे तक एंबुलेंस नहीं आई

मृतक जाकिर के रिश्तेदार राशिद बताते हैं कि शाम में गोली लगी, अस्पताल ले जाने के लिए भी एंबुलेंस नहीं थी. लेकिन मरने के 10 घंटे बाद एंबुलेंस आई तब बॉडी पोस्ट मॉर्टम के लिए भेजा गया.

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Published: 29 Feb 2020,09:26 PM IST

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