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वाराणसी:चुनाव लड़ने आए किसान खूब हुए परेशान,आखिर छोड़ना पड़ा मैदान

पीएम मोदी की सीट पर दूसरे उम्मीदवारों की राह में  क्यों आ रहे हैं रोड़े?

विक्रांत दुबे
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नामांकन नहीं भरने दिए जाने का आरोप लगाकर वाराणसी में किसानों ने किया प्रदर्शन
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नामांकन नहीं भरने दिए जाने का आरोप लगाकर वाराणसी में किसानों ने किया प्रदर्शन
फोटो: क्विंट हिंदी

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वीडियो एडिटर: विशाल कुमार

ये खबर सुर्खियां बनी कि तमिलनाडु और तेलंगाना से कई किसान वाराणसी में पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने आए हैं. खबर थी कि तमिलनाडु से 111 और तेलंगाना से 54 किसान वाराणसी से चुनाव लड़ना चाहते थे. अब हम आपको उसके आगे की कहानी सुनाते हैं.

इन किसानों में से सिर्फ 25 नामांकन कर पाए और आखिर में सिर्फ एक किसान का पर्चा स्वीकार किया गया. ये किसानों के शब्द हैं जो हम आपको सुना रहे हैं - ‘‘चुनाव आयोग खुलेआम पीएम मोदी के पक्ष में काम कर रहा है. ’’

नामांकन खारिज किए जाने के बाद तमिलनाडु और तेलंगाना के किसानों ने वाराणसी की सड़कों पर चुनाव आयोग के खिलाफ धरना भी दिया.

चुनाव आयोग ने ग्यारह बजे से शुरू करके तीन बजे तक प्रोसेस बंद कर दिया. 11 बजे बुलाकर चालान फार्म देने के लिए 2 बजे तक लाइन में खड़ा कर दिया. 2 बजने के बाद कोई भी सारे कानूनी प्रावधान जैसे डीडी, नोटरी को पूरा नहीं कर पाता. यही चुनाव आयोग की मंशा भी थी. वो इसमें सफल भी रहे.
<b>नरसिम्हा नायडू</b><b>, हल्दी किसान</b>

किसानों का आरोप है कि उन्हें पुलिस ने नामांकन दाखिल करने के लिए कलेक्ट्रेट में प्रवेश करने से रोक दिया. उन्हें घंटों तक लाइन में खड़ा रहना पड़ा. बैंक ने कथित तौर पर उन्हें चालान देने से इनकार कर दिया. उनका दावा है कि ऑफिस एक घंटा देरी से खोला गया.

हालांकि किसानों का ये भी कहना है कि भले ही चुनाव आयोग ने उन्हें चुनाव लड़ने से रोक दिया लेकिन वो अपने मकसद में कामयाब रहे क्योंकि उन्होंने अपनी बात देश तक पहुंचाई.

तेलंगाना के किसान हल्दी के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरीऔर हल्दी बोर्ड के गठन की मांग कर रहे हैं. उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देने के बाद उन्होंने पीएम मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ने का फैसला किया.
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किसानों के अलावा भी कई ऐसे लोग थे जो पीएम के खिलाफ चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन नामांकन नहीं कर पाए. जिसमें दिल्ली के एक व्यापारी भी थे.

प्रोसेस बहुत स्लो था. डेढ़ घंटे तक उस पेपर के लिए लाइन में खड़ा होना पड़ा, जो शायद ऑनलाइन ही मिल जाना चाहिए. हम बुलेट ट्रेन लाने की बात कर रहे हैं, लेकिन यहां आदमी को फॉर्म तक नहीं मिल रहा.
<b>पीयूष नरुला, बिजनेसमैन, दिल्ली</b>

एसपी प्रत्याशी तेज बहादुर के नामांकन पर भी बवाल हुआ था. सही वक्त पर चुनाव आयोग से सर्टिफिकेट लाकर न देने के कारण उनका पर्चा रद्द कर दिया गया. वो सुप्रीम कोर्ट गए लेकिन उन्हें वहां से भी राहत नहीं मिली और वो चुनाव मैदान से बाहर हो गए. वाराणसी में 19 मई को सातवें फेज में वोटिंग होनी है.

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Published: 11 May 2019,05:58 PM IST

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