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1993 में अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी ने एक अहम सवाल पूछा था "किताबें बहुत सी पढ़ी होंगी तुमने, बता मेरे चेहरे पे क्या-क्या लिखा है?" कहीं आपके चेहरे पर ये तो नहीं लिखा है कि आप अपनी प्राइवेसी, निजी जानकारी और डेटा एक रशियन ऐप को दे रहे हैं?
इसका क्या मतलब है? मतलब है फेसऐप. वायरल फेस एडिटिंग ऐप जिसके बदौलत अब हमें ये भी पता है कि बुजुर्ग कपिल देव युवा रणवीर सिंह जैसे लगते हैं. आपने इसका इस्तेमाल किया ही होगा.लेकिन क्या इसके नियम और शर्तें चेक किए? बिल्कुल नहीं किए होंगे. अगर आप करते तो पूछते कि ये ऐप मेरी इंटरनेट ब्राउजिंग हिस्ट्री क्यों देख रही है?
जी हां, क्विंट ने फेसऐप की प्राइवेसी पॉलिसी और इस्तेमाल के नियम पढ़े. जिसके बाद कई सवाल खड़े होते हैं और ये सवाल हमने ऐप के सीईओ से भी पूछे. ये ऐप हमारे चेहरे की तस्वीरें और जो बाकि डेटा हम देते हैं उसे स्टोर, प्रोसेस और शेयर कैसे करती है? हमने इस बारे में कंपनी को सवाल भी भेजे.जिन पर इस ऐप के फाउंडर और सीईओ यारोस्लाव गोंचारोव का जवाब था:
तो ऐसे में आप पूछ सकते हैं फेसऐप तो एक सीधा-सादा मजाक है. इस पर इतना बखेड़ा क्यों? लेकिन नाक को जरा घुमाकर पकड़िए, हमें लगता है कि हम ये ऐप मुफ्त में इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन ये पूरा सच नहीं है. असल में, हम अपना डेटा देकर इसकी कीमत अदा कर रहे हैं
आप पूछेंगे कि कैसा डेटा?
ये काफी संवेदनशील डेटा हैं, जिसे ऐप मार्केट कंपनी, फेस रिकॉग्निशन सॉफ्टवेयर डेवलप करने वाली कंपनी या सरकारों को भी बेच सकती है. तो क्या वे हमारे चेहरे की तस्वीरें शेयर कर रही हैं?
आइए.. जरा इस्तेमाल की शर्तों पर गौर फरमाइए. सेक्शन 5 कहता है कि फेसऐप किसी इमेज पर अपने अधिकार का दावा नहीं करती. लेकिन ऐप का इस्तेमाल करके यूजर पूरे विश्व में लगातार बिना किसी बदलाव के नॉन-एक्सक्लूसिव रॉयल्टी फ्री और पूरी तरह से पेड अपना डेटा किसी को देने का लाइसेंस दे देता है . अब आप पूछेंगे कि लाइसेंस चाहिए क्यों?
तो जनाब इसलिए ताकि हमारी फोटो कोई नेम या यूजरनेम बिना किसी कंपनसेशन के इस्तेमाल हो सके, दोबारा दिख सके, बदलाव हो सके. बात यहीं खत्म नहीं होती, यही सेक्शन कहता है कि ऐप को हमारी तस्वीर और निजी डेटा को व्यवसायिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल करने का अधिकार है. और हमें ये मालूम है कि इससे कोई ‘’नुकसान’’ यानी हमारी निजता को नुकसान नहीं होगा.
FaceApp के फाउंडर ने क्विंट को बताया:
तो जनाब, हमारी पहचान किसी थर्ड पार्टी को बेची या बताई जा सकती है या नहीं? बिल्कुल बताई और बेची जा सकती है! प्राइवेसी पॉलिसी साफ तौर पर कहती है कि फेसऐप कुकीज, लॉग फाइल्स, डिवाइस आईडेंटिफायर्स, लोकेशन डेटा और यूजेज डाटा से ये जानकारी इकट्ठा करती है. ये सब निजी जानकारी है.
मैंने कहा, इकट्ठा करती है? ओह.. तो मेरा ये मतलब भी है कि ये जानकारी थर्ड पार्टी को बेची जाती है. आखिर में ईमानदारी से बात अगर खत्म की जाए तो कहा जा सकता है कि जो फेसऐप हमने डाउनलोड की है, उसके नियम और शर्तें बड़े स्टैंडर्ड हैं. स्नैपचैट की पॉलिसी भी करीब-करीब फेसऐप जैसी ही है. तो ये सावधानी बरतना काफी अहम है कि आप ऐप को क्या इजाजत देते हैं और ऐप की सेटिंग्स से किन फीचर्स को ना बोल देते हैं.
समझदारी ये याद रखने में हैं कि फेसऐप, फेसबुक और यहां तक कि स्नैपचैट जैसी फ्री ऐप्स की कीमत होती है. और बदकिस्मती से, अक्सर ये कीमत होती है, हमारी डेटा प्राइवेसी.
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