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वीडियो एडिटर: पुनीत भाटिया
फाइनेंशियल ईयर 2021 की पहली तिमाही में GDP -23.3% तक क्यों गिर गई? लॉकडाउन के दर्द की दवा क्यों नहीं बन पाया कथित 'आर्थिक पैकेज'? इकनॉमी को पटरी पर वापस कैसे लाया जाए? दिग्गज अर्थशास्त्री रथिन रॉय ने क्विंट खास बातचीत में दिए ऐसे कई सवालों के जवाब दिए-
क्यों गर्त में गई इकनॉमी?
2016 से हमारी अर्थव्यवस्था बहुत धीमी हो गई है, ग्रोथ रेट लगातार गिरता जा रहा है, हमारी वित्तीय स्थिति खराब होती जा रही है, कर्ज लेना भी कम हुआ है, अगर आप बाजार से ज्यादा कर्ज लेते हैं, तो आपको ब्याज देना होता है, लेकिन पैसे तो उतने ही हैं, और जितना ज्यादा लोग कर्ज लेंगे उतना ही ज्यादा ब्याज बढ़ेगा. पिछले तीन साल में विनिवेश कार्यक्रम नाकाम हुआ है, स्पेक्ट्रम को लेकर कई बातें हुईं, मुझे लगता है वो फेक था. केंद्र सरकार छोटी होती गई और ग्रोथ भी कम होती गई. हालत ये है कि हम कोरोना से पहले ही 5% नीचे पहुंच गए थे. ये थी सुस्ती. कोरोना के बाद कारोबार सीधे बंद हो गया, काउंटर के लिए हमारे पास कुछ नहीं था. फिर इस पर कहा गया कि ये जल्द खत्म हो जायेगा और स्थिति बेहतर होगी.
क्या सरकार ने वो कदम उठाए जो उठाए जाने चाहिए थे?
मुझे लगता है कि सरकार ने पहले ये सोचा कि जो वो काम कर सकते हैं उस काम को करने की क्षमता उनमें है या नहीं... फिर सरकार ने कहा कि हम वो कम करेंगे जो हमारी क्षमता में है. आपको 3-4 साल आगे का सोचकर काम करना होगा. भारत सरकार अभी टारगेट रख रही है, लेकिन शोर्ट टर्म सोच से काम नहीं बनेगा. जैसे क्रेडिट पॉलिसी वगैरह शोर्ट टर्म सोच है, ऐसे 3-4 महीने की ही सोच के साथ कुछ काम तो हो सकते हैं लेकिन ज्यादा लम्बे समय तक नहीं हो सकता. अगर आप 3 साल के लंबे दृष्टिकोण से देख रहे हैं तो आत्मविश्वास के साथ तो आपकी क्षमता बढ़ेगी.
आर्थिक संकट से उबरने के लिए 5 कदम क्या होने चाहिए?
मेरे हिसाब से 2024 तक हमें स्लम फ्री इंडिया बनाना होगा, प्रवासी मजदूरों का जो संकट आया था उससे हमें सीखना चाहिए कि स्लम हटाना हमारी प्राथमिकता है, हेल्थ केयर पर 300-400% का ज्यादा खर्च करना होगा, पब्लिक और प्राइवेट दोनों में ही, तीसरा होगा कि सरकार को अपनी नीतियां जल्दी-जल्दी नहीं बदलनी चाहिए. चौथा- विमानों पर कम और रेलवे पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत, और आखिरी पर्यावरण पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है.
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