Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019आज की बैठक के पहले किसान नेताओं से जानिए आंदोलन की आगे की रणनीति

आज की बैठक के पहले किसान नेताओं से जानिए आंदोलन की आगे की रणनीति

मांगे नहीं मानी गई तो किसान क्या करेंगे?

एंथनी रोजारियो
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कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन अब भी जारी है. 4 जनवरी को किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच सातवें दौर की बातचीत होगी. पिछली सभी बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला है. किसान नेताओं का कहना है कि अगर सातवें दौर की बातचीत भी फेल होती है तो किसान 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली की सड़कों पर ट्रेक्टर ट्रॉली और बाकी वाहनों के साथ 'किसान गणतंत्र परेड' करेंगे. सरकार से बातचीत से पहले द क्विंट ने किसान नेताओं से बात की और जाना कि किसान क्या चाहते हैं.

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3 जनवरी को भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि '4 जनवरी की बातचीत का एजेंडा स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट रहेगा." टिकैत बोले, "इसके अलावा तीन कृषि कानूनों की वापसी और MSP पर कानून एजेंडा रहेगा. हम वापस नहीं जाएंगे. अब तक 60 किसान शहीद हो चुके हैं. सरकार को जवाब देना होगा."

मांगे नहीं मानी गई तो किसान क्या करेंगे?

क्विंट से बात करते हुए स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव ने बताया कि 'किसान शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली के अंदर आएंगे और सिर्फ दिल्ली ही नहीं, बल्कि पूरे देश में 26 जनवरी को ट्रेक्टर परेड आयोजित की जाएगी.'

सरकार ने अभी क्या मांगे मंजूर की हैं?

केंद्र सरकार का कहना है कि किसानों की ज्यादातर मांगे मान ली गई हैं. क्विंट ने जब किसान नेता डॉ दर्शन पाल से मंजूर की गई इन मांगों के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, "वायु प्रदूषण या वायु गुणवत्ता का जो अध्यादेश है, उसमें से खेती और किसानों को बाहर निकालना और दूसरा है पावर बिल को वापस लेना."

डॉ पाल ने कहा कि दो मांगे मानी गई हैं, लेकिन ये उनके लिए 15-20 फीसदी से ज्यादा नहीं है.

किन मांगों पर नहीं बनी सहमति?

किसान अभी भी कुछ मांगों को लेकर दिल्ली की कई सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. छह दौर की बातचीत के बाद भी किन मांगों पर सहमति नहीं बन पाई है, इसके बारे में किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने क्विंट को जानकारी दी.

केंद्र सरकार ने जो तीन कानून बनाए हैं, उन्हें वापस लेने की मांग हम पहले दिन से कर रहे हैं. दूसरी मांग है एसेंशियल कमोडिटी कानून में जो बदलाव किए हैं, उन्हें भी वापस लेने की मांग है. और तीसरी मांग है कि MSP पर किसान को कानूनी गारंटी दी जाए कि इसके नीचे उसकी फसल नहीं खरीदी जाएगी.  
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल

एक विकल्प ये भी दिया जा रहा है कि सरकार अगर कमेटी बना दे और उसकी रिपोर्ट आने तक कृषि कानूनों को निलंबित कर दे तो क्या किसानों को मंजूर होगा. इस पर योगेंद्र यादव ने क्विंट से कहा, "अगर सरकार कह देती है कि हम MSP पर इन-प्रिंसिपल कमिटमेंट देने को तैयार नहीं हैं, तो कमेटी क्या करेगी?"

बाकी किसान नेताओं का भी कहना है कि कानून निलंबित करने पर वो राजी नहीं हैं और उनकी मांग कानून वापस लेने की ही है.

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Published: 03 Jan 2021,09:37 PM IST

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