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वीडियो एडिटर: विवेक गुप्ता
कोरोना लॉकडाउन से किसान और खेतिहर मजदूर को बड़ा नुकसान हुआ है, जिसकी भरपाई के लिए मंडियों से मनरेगा तक बड़ी राहत की जरूरत है. ये कहना है कृषि और किसानों के मामलों के जानकार और भारत कृषक समाज के अध्यक्ष अजय वीर जाखड़ का.
क्विंट हिंदी से खास बातचीत करते हुए जाखड़ ने कहा कि केंद्र सरकार ने पीएम-किसान योजना के तहत किसानों के खातों में दो-दो हजार रुपये डालकर अच्छा काम किया है. लेकिन मौजूदा नुकसान को देखते हुए और बहुत किए जाने की जरूरत है.
3 मई तक बढ़ाए गए लॉकडाउन 2.0 के दौरान 20 अप्रैल से किसान-मजदूरों को दी गई छूट का जाखड़ ने स्वागत किया है. गृह मंत्रालय की गाइडलाइन के मुताबिक कृषि संबंधी गतिविधियां जैसे फसल और कृषि उत्पादों की खरीद, कटाई और बुआई की मशीनों की आवाजाही, मछली पालन और पशुपालन से जुड़ी चुनिंदा गतिविधियां, डेरी उत्पादों की शहरी इलाकों तक आवाजाही जैसी चीजें छूट के दायरे में आती हैं. जाखड़ के मुताबिक राज्य सरकारों को इन दिशानिर्देशों पर अमल करना चाहिए.
जाखड़ के मुताबिक
जाखड़ कहते हैं कि ‘अलग-अलग वक्त पर किसानों के मंडियों में आने से मंडियों में भीड़ कम होगी और कोरोना वायरस के संक्रमण पर भी लगाम कसेगी. केंद्र सरकार ने इस पर आज तक कोई जवाब नहीं दिया है.’
जाखड़ सरकार से गुजारिश करते हैं कि
नुकसान सिर्फ अनाज उगाने वाले किसानों का ही नहीं है. दूध और उससे जुड़े डेरी उत्पादों की मांग जबरदस्त तरीके से कम हुई है. कोरोना के डर से चिकन और अंडों की मांग में कमी आई है. स्पलाई चेन के टूटने की वजह से फल-सब्जियां उगाने वाले किसानों को भी भारी नुकसान हुआ है.
जाखड़ के मुताबिक देश के ‘अन्नदाता’ के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के स्तर पर बहुत कुछ करने की जरूरत है.
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