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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इब्राहिम
चंद्रयान 2 अपनी मंजिल से अब थोड़ी ही दूर है. 22 जुलाई को चांद के लिए निकला चंद्रयान-2, अब है कहां, क्या कर रहा है?
2 सितंबर को दोपहर 1 बजकर 15 मिनट पर चंद्रयान-2 का लैंडर ‘विक्रम’ ऑर्बिटर से सफलतापूर्वक अलग हो गया है. चंद्रयान-2 मिशन का सबसे चुनौतीपूर्ण चरण 7 सितंबर को आएगा. इस दिन लैंडर ‘विक्रम’ की चांद पर लैंडिंग होनी है. ये लैंडिंग चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास होगी.
चंद्रयान 2 में 3 कंपोनेंट हैं.
इसने 22 जुलाई को भारत के श्रीहरिकोटा से उड़ान भरी. इसे 14 जुलाई को उड़ान भरना था लेकिन हीलियम लीक होने की वजह से इसरो को ये लॉन्च टालनी पड़ी थी.
चंद्रयान को चांद तक पहुंचने में कुल 48 दिन लग रहे हैं.
ऐसा क्यों? इसे इस उदाहरण से समझा जा सकता है.
चांद तो सिर्फ 3.8 लाख किमी दूर है, हम सीधा क्यों नहीं जा सकते? घूमकर क्यों जाना है?
चंद्रयान-2 की पूरी लागत सिर्फ 980 करोड़ रुपये है जबकि नासा ने अपोलो 11 पर सिर्फ 4 दिनों में धरती से चांद पर नील आर्मस्ट्रांग को पहुंचाने के लिए बहुत ज्यादा खर्च किया था. शुक्रवार, 6 सितंबर को और भारतीय समय के हिसाब से 7 सितंबर को सुबह 1.55 पर लैंडर विक्रम चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरेगा.
ये बहुत आराम से लैंड करेगा जिसे सॉफ्ट लैंडिंग कहते हैं जिससे लैंडर से बहुत ज्यादा मून डस्ट नहीं उड़ेगा. लैंडिंग के बाद लैंडर से 6 पहियों वाला रोवर निकलेगा जिसका नाम है प्रज्ञान और ये प्रज्ञान ‘एक दिन ‘ का एक्सपेरिमेंट करेगा. एक लुनर डे, धरती के 14 दिन के बराबर होता है तो ये 14 दिन तक एक्सपेरिमेंट करेगा. खासकर ये चांद की सतह के नीचे पानी की खोज करेगा.
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