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36 घंटों की लंबी शिफ्ट और कई बार बदसलूकी की शिकार होने के बावजूद डॉ अंजलि* (बदला हुआ नाम) प्राइवेट सेक्टर की तरफ जाना नहीं चाहतीं. अप्रैल 2019 में एक मरीज के घरवालों ने डॉक्टर अंजलि को थप्पड़ मार दिया था. घरवालों का कहना था कि डॉक्टर मरीज को सही इलाज नहीं दे रहे हैं.
दिल्ली के RML हॉस्पिटल में हिंसा और गालीगलौज आम है. अंजलि पिछले कुछ सालों से इसी हॉस्पिटल में काम कर रही हैं.
हालांकि डॉ अंजलि के पास दस साल का अनुभव है. इसके बावजूद वे प्राइवेट सेक्टर की ओर मुड़ना नहीं चाहतीं. वे लोगों की सेवा करने के जज्बे से भरी हुई हैं.
यहां तक कि चाय पीने से पहले भी हमें दस बार सोचना पड़ता है. वह भी तब जब हम इमरजेंसी वार्ड में 10 से 13 घंटे तक लगातार काम करते हैं.
हालांकि दिल्ली में मेडिकेयर प्रोफेशनल के लिए 2008 में एक एक्ट आया था. लेकिन इसके बावजूद डॉक्टर्स पर होने वाले हमलों में कमी नहीं आई. हॉस्पिटल की तरफ से की गई FIR मददगार साबित नहीं होतीं. पुलिस किसी की गिरफ्तारी ही नहीं करती.
वहीं हिंदूराव हॉस्पिटल में डॉक्टर दवाई की कमियों को लेकर परेशान हैं. डॉ राहुल चौधरी जो 2011 से मेडिकल प्रैक्टिस कर रहे हैं, वो कहते हैं-
डॉक्टर और पेशेंट के बीच टकराव में खराब इंफ्रास्ट्रक्चर बड़ा कारण है.
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