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दिल्ली में बाहर खाना कितना सेफ? कई रेस्टोरेंट से रिपोर्ट

कोरोना काल में बाहर खाएं या ना खाएं?

ज़िजाह शेरवानी
फीचर
Published:
कोरोना काल में बाहर खाएं या ना खाएं?
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कोरोना काल में बाहर खाएं या ना खाएं?
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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एक तरफ अनलॉक 4 के साथ दिल्ली मेट्रो का वापस पहले की तरह खुल गया है वहीं दूसरी तरफ रोजाना बढ़ते हुए कोविड 19 के मामले से परेशानी मौजूद है और इन सब के बीच में हम सब ये सोच रहे हैं कि क्या अब बाहर निकलने की बहादुरी दिखाई जा सकती है या अब भी घर पर बैठना चाहिए.

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हममें से कुछ लोग बीच का कोई रास्ता तलाश रहे हैं. ये जानते हुए भी कि इसमें रिस्क बहुत है लोगों ने बाहर खाना खाना शुरू कर दिया है. क्योंकि शायद अब तक ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जिससे ये पता चले कि खाने और पीने से कोरोना संक्रमण हो सकता है. आज चलते हैं दिल्ली के कुछ रेस्त्रां में और देखते हैं कि क्या SOP का पालन किया जा रहा है?

  • 6 फीट की दूरी
  • हाथों की सफाई
  • थर्मल स्क्रीनिंग
  • मास्क
  • ग्लव्स
  • लगातार सफाई
  • सैनिटाइजेशन
  • बैठने की क्षमता
  • वेंटीलेशन की व्यवस्था

कोरोना काल में बाहर खाएं या ना खाएं?

जिस तीन रेस्त्रां में हम गए थे उन तीनों में हाथों की सफाई का पूरा ध्यान रखा गया. साथ ही अंदर जाने के पहले ही टेम्परेचर भी चेक किया गया. सभी कर्मचारियों ने मास्क और ग्लव्स पहने थे
यहां तक कि वेट करने के लिए भी कारण समझाए गए.


जब हमने बाहर बैठने की व्यवस्था कर रहे आदमी से बात की तो उन्होंने बताया कि इंतजार करने के पीछे जो वजहें हैं, उनमें सबसे पहले तो यही है कि सैनिटाइजेशन में और सफाई में काफी समय लग जाता है.
दूसरा, बैठने की क्षमता 50% से भी कम कर दी गयी है, जिससे एक बार में कम संख्या में ही ग्राहक अंदर आ सके. इसे स्कैन करते ही मेन्यू फोन में खुल जाएगा. इंटरनेट नहीं चलने पर यहां मेन्यू की फोटो क्लिक करके खाना ऑर्डर करने को कहा गया.

नॉर्मल मेन्यू से दिक्कत ये है कि इसे कई लोगों ने छुआ होगा जिससे संक्रमण फैलने के ज्यादा आसार हैं और तो और खाने की जो प्लेटें मिल रही हैं वो भी डिस्पोजेबल नहीं है. हमें लगा हमसे कम से कम पूछा जाएगा कि हमें डिस्पोजेबल प्लेट्स चाहिए या नहीं. गुलाटीज में हमें एक अलग बात देखने को मिली कि यहां स्टाफ मेंबर्स मास्क के साथ फेस शील्ड्स भी इस्तमाल कर रहे हैं. हाथों में ग्लव्स भी थे.

गुलाटीज में बैठने के लिए भी अच्छी खासी दूरी रखी गयी थी. एक फ्लोर में सिर्फ 6 टेबल लगाए गए हैं. एक और चीज जो यहां ध्यान रखी गयी थी वो ये है कि एसी भी खुली जगह पर है. जिससे क्रॉस वेंटिलेशन हो रहा था. तो यहां घुटन बिल्कुल भी नहीं थी. सभी रेस्त्रां साफ-सफाई और सैनिटाइजेशन का बहुत सावधानी से ख्याल रख रहे हैं.

क्रॉस वेंटिलेशन की व्यवस्था उतनी नहीं है क्योंकि हर जगह उतनी स्पेस नहीं है तो इसलिए कहीं भी बाहर जाने से पहले आपको ध्यान रखना है कि वो जगह बहुत भीड़-भाड़ वाली न हो. रेस्त्रां सिर्फ 40-50% सीट ही भरी है. 6 फीट की दूरी नहीं है. सबसे सही तरीका यही होगा कि आप जिस भी ब्रांड पर भरोसा करते हैं, उन्हें कॉल करके उनकी व्यवस्था पता कीजिए और तब अप तय कीजिए कि कहां जाना सही रहेगा.

आपको रिस्क फैक्टर पहचानने होंगे जैसे टॉयलेट का इस्तेमाल नहीं करना है. अगर किसी बंद जगह आप जाएं तो खिड़की या किसी खुली जगह के आस-पास बैठने की कोशिश करें. सरकार की गाइडलाइन्स के अनुसार टेम्परेचर 25 से 30 डिग्री तक ही होना चाहिए. इस बात का ध्यान हर जगह हमें देखने को मिला.

रेस्त्रां इंडस्ट्री पर लॉकडाउन और महामारी से बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ा है तो इस समय हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम उनकी मदद करें तो अगर आप भी अभी बाहर जाए या ना जाए की दुविधा में फंसे हैं तो मुझे उम्मीद है कि ये वीडियो आपकी कुछ मदद करेगा. निश्चित तौर पर बाहर खाने पर अब भी खतरा है लेकिन रेस्त्रां जाने से पहले जरूर चेक करें कि जरूरी गाइडलाइन्स फॉलो कर रहे हैं या नहीं.

एक बात तो पक्की है लॉकडाउन के बाद की दुनिया में जो बात नहीं बदली कि इन रेस्त्रां का खाना कितना स्वादिष्ट है. अल जवाहर की बिरयानी, गुलाटी के गलौटी कबाब और बिग चिल का चिल्ड चॉकलेट शेक.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

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