Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Feature Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019शॉक थेरेपी,मारपीट,जबरन शादी-ये है देश में लेस्बियन कपल्स की जिंदगी

शॉक थेरेपी,मारपीट,जबरन शादी-ये है देश में लेस्बियन कपल्स की जिंदगी

समलैंगिकता: गांवों तक पहुंचते-पहुंचते दम तोड़ता कानून

वत्सला सिंह
फीचर
Updated:
(फोटो: क्विंट हिंदी)
i
(फोटो: क्विंट हिंदी)
समलैंगिकता: गांवों तक पहुंचते-पहुंचते दम तोड़ता कानून

advertisement

वीडियो एडिटर: प्रशांत चौहान
कैमरा: अभिषेक रेंजन, वत्सला सिंह
इलस्ट्रेशन: इरम गौड़

28 और 30 साल की अनु* और लक्ष्मी* ने अहमदाबाद के एलिस ब्रिज से कूदकर आत्महत्या कर ली. इनमें से एक ने अपने बेटे को भी कुदा दिया, जो महज 3 साल का था. क्या वजह थी कि इन महिलाओं ने अपनी जान ले ली? पुलिस को एक प्लेट पर लिपस्टिक से लिखा हुआ सुसाइड नोट मिला है, जिसमें लिखा था ''हमारे साथ कोई भी पुरुष नहीं था"

ये महिलाएं एक चीज साफ करना चाहती थीं कि ये 'ऑनर किलिंग' का मामला नहीं है. तो फिर उन्होंने अपनी जान क्यों ली? सड़क किनारे पड़े एक नोट पर लिखा था ''हमने इस दुनिया से खुद को दूर कर लिया जिससे हम साथ में रह सकें लेकिन दुनिया ने हमें जीने नहीं दिया''

8 जून 2018 को ये महिलाएं अपने घरों से उस जगह की तलाश में भागी थीं जहां वो साथ में रह सकें. दुर्भाग्य से उन्हें ऐसी कोई जगह नहीं मिली.

इस डॉक्यूमेंट्री में हम छोटे शहरों और गांवों की समलैंगिक महिलाओं से मिले. आप उनके चेहरे नहीं देख पाएंगे. हम आपको ये नहीं बताएंगे कि उनके नाम क्या हैं और वे कहां रहती हैं. ये महिलाएं डरी हुई हैं, उनकी जान खतरे में है. उन्हें पता है कि उनके सच के नतीजे गंभीर हो सकते हैं.

8 साल की संजना उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले से हैं. वो पिछले साल से अपनी मौजूदा पार्टनर के साथ रिश्ते में हैं लेकिन एक गांव में पलने-बढ़ने वाली लड़की जो दूसरी लड़की को पसंद करे, उसके लिए ये सब इतना आसान नहीं था.

जब मैं क्लास 6 में पढ़ रही थी, मैं बाहर बैठी थी. डॉक्टर मेरी मम्मी और चाचा को बता रहे थे कि आपकी बेटी होमोसेक्सुअल है. उन्हें लग रहा था कि होमोसेक्सुएलिटी बीमारी है. डॉक्टर से उन्होंने पूछा कि इसका इलाज क्या है? तब डॉक्टर ने कहा कि अभी फिलहाल शॉक ट्रीटमेंट दिया जाता है तो उन्होंने कहा कि शॉक ट्रीटमेंट से मेरी बेटी ठीक हो जाएगी? मेरी छोटी बहन काफी चंचल थी. मुझसे बहुत प्यार करती थी. उसने मुझे धीरे-धीरे सारी बातें बताई कि कैसे मैं 5 दिनों तक बेहोश थी. बेहोश रहती थी तो मां थप्पड़ मार कर चली जाती थीं कि मैंने ऐसी बेटी क्यों पैदा कर दी. इस तरह की बातें वो मुझसे कहती थीं.  
संजना*, कंप्यूटर साइंस प्रोफेसर  

कई माता-पिता समलैंगिकता को 'ठीक' करने के लिए 'कन्वर्जन थ्योरी' का सहारा लेते हैं. संजना से तंग आकर, उनकी मां ने 14 साल की उम्र में उनकी जबरन शादी करवा दी. संजना बताती हैं कि “मैं जब शादी करके आई, सास ने पकड़ा और धक्का दिया. ये कहा कि इसे लड़कियां ज्यादा पसंद है. 2-4 दिन में करके छोड़ देंगे, तब समझ में आ जाएगा. पति-पत्नी के बीच जो होता है वो ठीक है लेकिन हद तब हुई जब मेरे पति की जगह मेरे ससुर को मैंने कमरे में देखा. 2-3 दिन के बाद मेरे पति के दोस्त, उसके बाद ससुर के दोस्त, हैवानियत हो गई थी.”

संजना अपने ससुराल से भाग निकलीं और तलाक के लिए अर्जी दी कुछ हफ्तों बाद, उन्हें पता चला कि वो गर्भवती हैं. उन्होंने बच्चे को जन्म देने का फैसला किया.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

अनु और लक्ष्मी गुजरात के सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग ठाकोर समुदाय से थीं. दोनों की बचपन में शादी हुई. ये महिलाएं अपने काम के दौरान मिलीं और एक-दूसरे के प्यार में पड़ गईं.

पुलिस को शक हुआ कि उनके परिवार को ये पता था, जिससे दोनों घरों में तनाव पैदा हुआ होगा.   महिलाओं के रिश्तेदार उनकी लाशों को उनके गृहनगर नहीं ले गए और अहमदाबाद में ही उनका अंतिम संस्कार किया. पुलिस के मुताबिक ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि वे शर्मिंदा थे और ये नहीं चाहते थे कि उनके पड़ोसियों को कुछ पता चले.

जब जेहरा* को कॉल सेंटर में पहली नौकरी मिली तो उसने कभी नहीं सोचा था कि उसे एक लड़की से प्यार हो जाएगा, जो हिंदू है. रश्मि* के लिए, ये पहली नजर का प्यार था.उसी ने प्रपोज भी किया था.

मुझे इसकी आंखें, स्टाइल और बातचीत करने का ढंग बहुत अच्छा लगता है.
रश्मि*

दोनों एक साथ लंच करते फिल्म देखने जाते और स्कूटी पर घूमते. जब जेहरा* के परिवार ने उस पर शादी करने का दबाव डालना शुरू किया. वे दोनों समझ गए कि ये भागने का समय है. उन्हें नहीं पता था कि एक हिंदू-मुस्लिम लेस्बियन कपल का गायब हो जाना. इतनी बड़ी हेडलाइन बन जाएगी और जो बाद में उनके गांव में सांप्रदायिक तनाव पैदा करेगा.

रजनी बैरवा* और उमा महार*, दोनों 24 साल की हैं और अनुसूचित जाति से हैं. वे क्लास 9 से ही एक-दूसरे के साथ हैं. उनकी 'दोस्ती' को उनके गांव में स्वीकृति नहीं मिली और उन्हें ताने और धमकियां दी गईं. इस डर के बीच पिछले साल 20 दिसंबर को उन्हें राजस्थान हाई कोर्ट से एक डॉक्यूमेंट मिला जिसमें कहा गया कि वे एक जोड़े के रूप में रह सकते हैं लेकिन ये डॉक्यूमेंट परिवार और ग्रामीणों के उत्पीड़न पर रोक नहीं लगा सका और पुरुष उन्हें 'दोस्ती' और 'सेटिंग' के लिए लगातार परेशान करते रहे.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 07 Sep 2019,01:12 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT