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वीडियो एडिटर: मो. इब्राहिम
कैमरा: अक्षय
दिल्ली की पहचान वैसे भी एकअग्रेसिव सिटी की है. सबसे ज्यादा गुस्सा लोग रोड पर चलते वक्त निकालते हैं, जिसके सामने बिग बाॅस शो के कंटेस्टेंट की चिल्लम-चिल्ली भी फेल हो जाए.
लेकिन दिल्ली के मोती नगर में 7 अगस्त को कुछ शिव भक्त कांवड़ियों ने जो उत्पात मचाया उसके सामने तो कुछ नहीं टिक सकता. एक कांवड़िए को गाड़ी हल्की सी छू गई तो आसपास मौजूद कांवड़ियों ने गाड़ी में जमकर तोड़फोड़ की. इतना ही नहीं कांवड़ियों की भीड़ ने कार पर एक के बाद एक लाठियां बरसानी शुरू कर दीं.
चलिए उस उत्पात वाले वीडियो की बात करते हैं जिसमें साफ दिख रहा है कि पुलिस तोड़फोड़ करने वाले लोगों को रोकने के लिए कुछ नहीं कर रही और तमाशा देख रही है.
वाह सर, शुक्रिया कि आपने हर कीमत पर हमें बचाने की कसम खाई थी!
लेकिन वहां जो हुआ ये शायद इसलिए हुआ क्योंकि आपको तो हमेशा क्राइम के बाद स्पाॅट पर पहुंचने की आदत है. इसलिए क्राइम के वक्त घटनास्थल पर मौजूद होने पर आपको समझ ही नहीं आता कि क्या करें!
लेकिन इसमें पुलिसवालों की क्या गलती. जब एडीजी ही चाॅपर से कांवड़ियों पर फूल बरसाएंगे तो वो कंफ्यूज तो होंगे ही कि उन्हें करना क्या है? उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के दौरान हेलिकॉप्टर से मेरठ जोन के एडिश्नल जनरल ऑफ पुलिस (एडीजी) प्रशांत कुमार ने फूल बरसाये थे. उनके मुताबिक सरकार के कहने पर ही उन्होंने ऐसा किया, ताकि कांवड़ियों की सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित किया जा सके.
एडीजी ‘ग्राउंड रिएलिटी’ नोटिस करना भूल गए थे क्योंकि वो तो आसमान से तैयारियों का जायजा ले रहे थे.
इस बीच, बरेली में लोगों को 5 लाख रुपये के 'प्रतीकात्मक' बॉन्ड पर साइन करने के लिए कहा जा रहा है, ताकि जब कांवड़िया इलाके से गुजरें तो शांति बनी रहे. इस वजह से 70 परिवार अपने घरों से भाग गए हैं.
लेकिन इस गुस्से का क्या फायदा? हम जानते हैं कि अगली बार तोड़फोड़, उत्पात की ऐसी कोई घटना हुई तो भी हमें बचाने के लिए कोई नहीं आनेवाला. इसलिए मेरा सुझाव, अब मामले को अपने हाथ में लीजिए और कार का ‘कांवड़ इंश्योरेंस’ करा ही लीजिए!
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