advertisement
अगर आप इस वीकेंड ‘मलंग’ देखने की प्लानिंग कर रहे हैं, और आपने इसका ट्रेलर देख लिया है, तो समझिए की आप मलंग भी देख चुके हैं. इस फिल्म की कहानी बिलकुल वैसी ही है, जैसी कि आपने ‘एक विलेन’, ‘बदलापुर’ और ‘काबिल’ में देखी थी.
एक घटना जो 7 लोगों की जिंदगी को बदल कर रख देती है, और इसी के इर्द-गिर्द गोवा में इस फिल्म की कहानी घूमती है. इस फिल्म में डबिंग पर तो बिल्कुल ध्यान नहीं दिया गया है, क्योंकि इतने सुंदर लोग बात करेंगे तो डायलॉग्स पर कौन ध्यान देगा? वहीं, इसमें बहुत ही ज्यादा स्लो-मोशन का इस्तेमाल किया गया है.
दिशा पाटनी ने इस फिल्म में वही किया है, जिसे वो सबसे अच्छा करती हैं, वो है अच्छा दिखना. आदित्य की अपने पेरेंट्स से परेशानी उनकी प्रेजेंट लाइफ में भी दिखती है. फिल्म के सबसे मजेदार कैरेक्टर अनिल कपूर की परेशानी ये है कि 'दिल चाहता है' के बाद, विदेशियों से ज्यादा गोवा में भारतीय आते हैं. इनकी एक्टिंग देखने के लिए आप इनकी दूसरी अच्छी फिल्में देख सकते हैं.
कुनाल केमू की बात करें, तो उन्होंने अच्छा काम किया है और हम सोचने को मजबूर हो जाते हैं कि उन्हें अच्छी फिल्में क्यों नहीं मिलतीं?
और हां... फिल्म में एक चीज और है जो सबसे ज्यादा दिखती है, वो है गो प्रो. 'मलंग' गो प्रो के लिए 2 घंटे का ऐड है!
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)