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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इब्राहीम/संदीप सुमन
वीडियो प्रोड्यूसर: कनिष्क दांगी
उत्तर प्रदेश की राजनीति में मायावती की गिनती अलग मिजाज वाले नेताओं में होती है. उनकी सियासत में दलित महापुरुषों और संतों का अहम रोल रहा है. इन्हीं महापुरुषों की बदौलत मायावती ने दलितों को राजनीति का ऐसा ब्रांड बना दिया, जिसे पाने की चाहत हर पार्टी को है. यूपी में बीजेपी, मायावती की इसी पॉलिटिक्स को अब ‘हाईजैक’ करने की कोशिश में जुट गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी दौरे पर इसकी झलक भी देखने को मिली. 19 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संत रविदास की जन्मस्थली पर सिर झुकाया.
श्रद्धालुओं से सत्संग किया और सामाजिक समरसता का संदेश देने की कोशिश की. वैसे तो रविदास की जन्मस्थली पर बीएसपी अपना एकाधिकार समझती है. लेकिन पिछले कुछ सालों से यहां पर राजनीतिक दलों के सियासी दौरे खूब हुए हैं.
राहुल गांधी से लेकर अरविंद केजरीवाल तक यहां मत्था टेक चुके हैं. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और पीएम नरेंद्र मोदी भी यहां आ चुके हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो यहां दो दो बार आ चुके हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि राजनेताओं के इस दौरे में कितनी श्रद्धा और कितना सियासत है. प्रधानमंत्री के संत रविदास की जन्मस्थली पर जाने को लेकर जालंधर से आईं विमला कहती हैं,
पंजाब के मलोट से आए लालचंद कहते हैं कि ये सिर्फ स्टंट है, कोई बदलाव नहीं है.
वाराणसी के सीरगोवर्धन में ही दलितों के सबसे बड़े संत रविदास का जन्म हुआ था. हर साल 19 फरवरी को उनकी जन्मस्थली पर यहां बड़ा जलसा लगता है. देश के कोने-कोने से उनके अनुयायी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. लेकिन चुनावी माहौल में सीरगोवर्धन सियासत का नया अड्डा बन गया है. पीएम मोदी की पैनी नजर उत्तर प्रदेश से लेकर पंजाब और हरियाणा तक है, क्योंकि इन प्रदेशों में बड़े पैमाने पर संत रविदास के अनुयायी है. यहां की सियासत में रैदासियों का बड़ा रोल रहता है. 19 फरवरी को हर साल रैदासी अपने गुरु की जन्मभूमि पर पहुंचते हैं. ऐसे में ठीक लोकसभा चुनाव से पहले मोदी के पास इन्हें लुभाने के लिए ये अच्छा मौका है.
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