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उर्दूनामा: कितना ‘मुख़्तसर’ है जिंदगी को लेकर हमारा नजरिया 

मुख़्तसर ये है हमारी दास्तान-ए-ज़िंदगी...

फबेहा सय्यद
फीचर
Updated:
उर्दूनामा के इस एपिसोड में समझिए हमारी जिंदगी में ‘मुख़्तसर’ वक्त के लिए साथ रहने वाली चीजों की अहमियत.
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उर्दूनामा के इस एपिसोड में समझिए हमारी जिंदगी में ‘मुख़्तसर’ वक्त के लिए साथ रहने वाली चीजों की अहमियत.
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: प्रशांत चौहान

मुख़्तसर ये है हमारी दास्तान-ए-ज़िंदगी
इक सुकून-ए-दिल की ख़ातिर उम्र भर तड़पा किए

'मुख़्तसर' वक्त तक साथ रहने वाले शख्स की याद आपको सताती हैं? 'मुख़्तसर' सा वो लम्हा आपको आगे बढ़ने नहीं दे रहा? उर्दूनामा के इस एपिसोड में समझिए हमारी जिंदगी में 'मुख़्तसर' वक्त के लिए साथ रहने वाली चीजों की अहमियत.

मुख़्तसर यानी संक्षेप में, छोटा, ‘दास्तान- ए-जिंदगी’ का मतलब है जिंदगी की कहानी. ‘मुख़्तसर ये है हमारी दास्तान-ए-ज़िंदगी’ मतलब मेरी जिंदगी की कहानी ये है, और यही निचोड़ है.

‘इक सुकून-ए-दिल की ख़ातिर उम्र भर तड़पा किए’ इसका मतलब है कि मैं मेरी आंतरिक शांति की तलाश में जिंदगी भर तड़पता रहा और तरसता रहा.

ये शायरी कितनी सुंदर है, इतनी सच है लेकिन काफी निराशा भरी भी है. इसलिए ये जरूरी है कि हम इसे पॉजिटिव नजरिए से देखें. वरना, हम इसे पढ़ने के बाद छटपटाते रहेंगे.

दरअसल बात ये है, कि हमारी जिंदगी दुखों की एक श्रृंखला से बनी है. बैकग्राउंड में इस भव्य त्रासदी का खेल चल रहा है और इस बीच छोटी-छोटी खुशियां हमारे जीवन से आती-जाती रहती हैं.

उदाहरण के लिए, आपको वो काम मिलता है जो आप चाहते थे, लेकिन आपकी बॉस से नहीं बनती या आपके सहकर्मी आपके साथ बहुत बुरा व्यवहार करते हैं. यही कारण है कि मुख़्तसर, यानी जीवन की छोटी-छोटी खुशियां बहुत महत्वपूर्ण हैं और खुश रहना एक विकल्प है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 10 Aug 2019,07:43 PM IST

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