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11 दिन के गणपति उत्सव में भाग लेने वाले ढोल पथक ग्रुप की काफी धूम होती है. हर गणपति पंडाल के अलग-अलग ढोल पथक होते हैं. इनके ढोल और तासे शहर की आवाज को बदल देते हैं. ढोल पथक ग्रुप में, करीब 10 साल पहले तक मुख्य रूप से पुरुष ही होते थे. लेकिन अब महिलाओं ने भी अपने ढोल की थाप से दस्तक दी है.
मुंबई का ढोल पथक ग्रुप 60 महिलाओं से बना है. हमने बारह से पचास साल की उम्र वाली तीन कलाकारों से बात की, जिसे इस वीडियो में फीचर किया गया है.
अस्मी अमित तावड़े, जो 11 साल की है. 2 साल से वो इस ग्रुप से जुड़ी है. स्कूल और ढोल की प्रैक्टिस साथ-साथ करती है. अस्मी की मां नेवी में हैं और पिता दुबई में इलेक्ट्राॅनिक इंजीनीयर हैं. उन दोनों ने अस्मी के इस शौक को सपोर्ट किया और वो अपनी बेटी पर गर्व करते हैं.
अपूर्वा रोहन गावड़े 30 साल की हैं और स्वरगंधार पथक में पिछले 4 सालों से ढोल बजा रही हैं.
50 साल की हेमा रवि साॅफ्टवेयर प्रोग्रामर के तौर पर काम कर चुकी हैं. ग्रुप में सीनियर होने की वजह से वो सबके लिए हौसला बनती हैं. वो महिलाओं से कहना चाहती हैं कि “आओ और ऐसी चीजें सीखो. ढोल या तासा, ध्वज या कुछ और ऐसा सीखो. ये मत सोचो कि ये ढोल तो मर्द बजाते हैं. आप आओ , सीखो और ढोल बजाओ.”
ढोल की थाप से दकियानूसी सोच पर चोट करतीं इन महिलाओं की पूरी कहानी, वीडियो में इनकी ही जुबानी सुनी जाए...
काॅन्सेप्ट: दिव्या तलवार
कैमरा: संजॉय देब
एडिटर: आशीष मैक्यून
कैमरा असिस्टेंट: गौतम शर्मा
प्रोड्यूसर: बिलाल जलील
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