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कैमरा: संजॅाय देब
प्रोडक्शन असिस्टेंट: गौतम शर्मा
मुंबई के युवा बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल वनडे में दोहरा शतक बनाने वाले सबसे कम उम्र के क्रिकेटर बन गए हैं. साथ ही वो विजय हजारे ट्रॉफी में दोहरा शतक लगाने वाले तीसरे बल्लेबाज बन गए. जायसवाल ने यहां झारखंड के खिलाफ जारी विजय हजारे ट्रॉफी के ग्रुप-ए के मैच में 203 रनों की दमदार पारी खेली और ये रिकॉर्ड बनाया.
क्रिकेट के मैदान तक पहुंचने का यशस्वी का सफर मिसाल है. यशस्वी उत्तर प्रदेश के भदोही से हैं. उनके पिता एक छोटी सी दुकान संभालते हैं. गुजारा भी बमुश्किल था. परिवार के आर्थिक हालात ऐसे नहीं थे कि यशस्वी करियर के तौर पर सिर्फ क्रिकेट को चुनें.
लेकिन जायसवाल शुरुआत से ही एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी रहे थे, जिसके टैलेंट को सीनियर नजरअंदाज नहीं कर पाएं. उन्होंने उसे छोटे शहर में अपना टैलेंट ‘बर्बाद’ न करने और मुंबई जैसे शहर में जाकर अपने सपने को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया.
जायसवाल अपने पिता के साथ मुंबई पहुंचे, वहां अपने चाचा के पास एक महीने तक रहे. लेकिन जगह की कमी की वजह से वो एक डेयरी में शिफ्ट हो गए, जहां उन्हें कमाई के साथ-साथ रहने का भी ठिकाना मिल गया.
डेयरी में रहने और काम करने की वजह से वो अपने खेल पर ध्यान नहीं लगा पा रहे थे. सुबह 5 बजे उठना, प्रैक्टिस पर जाना और दोपहर में देर से वापस आना. इस रुटीन की वजह से वो डेयरी के काम पर रेगुलर नहीं रह पा रहे थे, नतीजा ये हुआ कि उन्हें काम से निकाल दिया गया.
तीन साल तक आजाद मैदान ग्राउंड का मुस्लिम यूनाइटेड टेंट यशस्वी का घर रहा, जहां वो मालियों के साथ रहते थे. हालांकि ग्राउंड पर पहुंचना उनके लिए अब ज्यादा आसान था, लेकिन टेंट में रहना आसान नहीं था. वहां रहने वाले माली उनके साथ ठीक से पेश नहीं आते थे और उनसे जबरदस्ती खाना बनवाते थे. वहां आराम करने की जगह नहीं थी, न किसी का साथ था और न ही कोई ऐसा शख्स जिसके साथ वो अपनी दिक्कतें बांट सके.
वो उत्तर प्रदेश में अपने परिवार के साथ बिताए संघर्ष के दिनों को भी नहीं भूलते.
अकेले और थक चुके जायसवाल ने खेल छोड़ने का फैसला किया, जब तक वो सही कोच से नहीं मिले. ज्वाला सिंह, जिन्होंने सेलेक्शन टूर पर यशस्वी को मैदान पर खेलते देखा था, कहते हैं, "मैंने उससे घर के बारे में पूछा, उसने मुझे बताया कि मैं वहां रह लेता हूं जहां मुझे जगह मिल जाए. ये सुनकर मैं चौंक गया."
उस दिन से आज तक, ज्वाला सिंह जायसवाल के साथ हमेशा खड़े और डटे रहे. यशस्वी को प्रशिक्षित करने के इस डेडिकेशन के पीछे उनकी पृष्ठभूमि और संघर्षों में समानता थी. जब ज्वाला मुंबई आए थे, तब उन्हें भी कुछ ऐसी ही दिक्कतों का सामना करना पड़ा था.
जायसवाल अब श्रीलंका दौरे के लिए भारतीय अंडर-19 टीम की तरफ से खेलेंगे.
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