Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Feature Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019यशस्वी: सीनियर्स के लिए खाना बनाया, मार खाई, अब बनाई डबल सेंचुरी

यशस्वी: सीनियर्स के लिए खाना बनाया, मार खाई, अब बनाई डबल सेंचुरी

पानी पूरी बेचे, भूखे पेट रातें गुजारीं, अब क्रिकेट में भारत का नाम रोशन करने को तैयार ये सितारा

वीनू जोसेफ
फीचर
Updated:
जायसवाल का सेलेक्शन आगामी श्रीलंका दौरे के लिए भारतीय अंडर-19 टीम में हुआ है .
i
जायसवाल का सेलेक्शन आगामी श्रीलंका दौरे के लिए भारतीय अंडर-19 टीम में हुआ है .
(फोटो: द क्विंट)

advertisement

कैमरा: संजॅाय देब

प्रोडक्शन असिस्टेंट: गौतम शर्मा

मुंबई के युवा बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल वनडे में दोहरा शतक बनाने वाले सबसे कम उम्र के क्रिकेटर बन गए हैं. साथ ही वो विजय हजारे ट्रॉफी में दोहरा शतक लगाने वाले तीसरे बल्लेबाज बन गए. जायसवाल ने यहां झारखंड के खिलाफ जारी विजय हजारे ट्रॉफी के ग्रुप-ए के मैच में 203 रनों की दमदार पारी खेली और ये रिकॉर्ड बनाया.

क्रिकेट के मैदान तक पहुंचने का यशस्वी का सफर मिसाल है. यशस्वी उत्तर प्रदेश के भदोही से हैं. उनके पिता एक छोटी सी दुकान संभालते हैं. गुजारा भी बमुश्किल था. परिवार के आर्थिक हालात ऐसे नहीं थे कि यशस्वी करियर के तौर पर सिर्फ क्रिकेट को चुनें.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

लेकिन जायसवाल शुरुआत से ही एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी रहे थे, जिसके टैलेंट को सीनियर नजरअंदाज नहीं कर पाएं. उन्होंने उसे छोटे शहर में अपना टैलेंट ‘बर्बाद’ न करने और मुंबई जैसे शहर में जाकर अपने सपने को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया.

जायसवाल अपने पिता के साथ मुंबई पहुंचे, वहां अपने चाचा के पास एक महीने तक रहे. लेकिन जगह की कमी की वजह से वो एक डेयरी में शिफ्ट हो गए, जहां उन्हें कमाई के साथ-साथ रहने का भी ठिकाना मिल गया.

डेयरी में रहने और काम करने की वजह से वो अपने खेल पर ध्यान नहीं लगा पा रहे थे. सुबह 5 बजे उठना, प्रैक्टिस पर जाना और दोपहर में देर से वापस आना. इस रुटीन की वजह से वो डेयरी के काम पर रेगुलर नहीं रह पा रहे थे, नतीजा ये हुआ कि उन्हें काम से निकाल दिया गया.

दुकान से बाहर निकाले जाने पर सबसे पहले वो आजाद मैदान पहुंचे. वहां इमरान सर से मुलाकात की, क्योंकि उन्होंने यशस्वी से कहा था कि अगर उन्होंने क्रिकेट मैच में अच्छा प्रदर्शन किया, तो उन्हें वहां टेंट में रहने की जगह मिल जाएगी.

तीन साल तक आजाद मैदान ग्राउंड का मुस्लिम यूनाइटेड टेंट यशस्वी का घर रहा, जहां वो मालियों के साथ रहते थे. हालांकि ग्राउंड पर पहुंचना उनके लिए अब ज्यादा आसान था, लेकिन टेंट में रहना आसान नहीं था. वहां रहने वाले माली उनके साथ ठीक से पेश नहीं आते थे और उनसे जबरदस्ती खाना बनवाते थे. वहां आराम करने की जगह नहीं थी, न किसी का साथ था और न ही कोई ऐसा शख्स जिसके साथ वो अपनी दिक्कतें बांट सके.

यशस्वी पुराने दिनों को याद करते हुए कहते हैं कि मुझे याद है जब कुछ एक्स्ट्रा पैसों के लिए और कभी-कभी अपना पेट भरने के लिए मैं रात में पानी-पूरी बेचा करता था.

वो उत्तर प्रदेश में अपने परिवार के साथ बिताए संघर्ष के दिनों को भी नहीं भूलते.

अकेले और थक चुके जायसवाल ने खेल छोड़ने का फैसला किया, जब तक वो सही कोच से नहीं मिले. ज्वाला सिंह, जिन्होंने सेलेक्शन टूर पर यशस्वी को मैदान पर खेलते देखा था, कहते हैं, "मैंने उससे घर के बारे में पूछा, उसने मुझे बताया कि मैं वहां रह लेता हूं जहां मुझे जगह मिल जाए. ये सुनकर मैं चौंक गया."

उस दिन से आज तक, ज्वाला सिंह जायसवाल के साथ हमेशा खड़े और डटे रहे. यशस्वी को प्रशिक्षित करने के इस डेडिकेशन के पीछे उनकी पृष्ठभूमि और संघर्षों में समानता थी. जब ज्वाला मुंबई आए थे, तब उन्हें भी कुछ ऐसी ही दिक्कतों का सामना करना पड़ा था.

जायसवाल अब श्रीलंका दौरे के लिए भारतीय अंडर-19 टीम की तरफ से खेलेंगे.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 26 Jul 2018,09:57 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT