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भारत में व्रत रखना बहुत पसंद किया जाता है. कुछ इसे परंपरा और धार्मिक कार्य के तौर पर रखते हैं और कुछ राजनीति और विरोध दर्शाने के लिए रखते हैं. कुछ सिर्फ वजन कम करने के लिए व्रत करते हैं.
लोग अलग-अलग तरीके से व्रत रखते हैं, कुछ लोग 12 घंटे के लंबे समय तक कुछ नहीं खाते. कुछ लोग भारी खाना नहीं खाते और फलाहार या अन्य चीजों का सेवन करते हैं.
लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि व्रत रखने का आपके शरीर पर क्या असर होता है? क्या यह सेहतमंद है?
आजकल व्रत रखने में एक छोटी सी समस्या है. वह ये है कि व्रत खोलते समय हम कितना खाना खा रहे हैं.
नवरात्र को उदाहरण के तौर पर लेते हैं. मान लेते हैं कि आप व्रत के दौरान बहुत स्वस्थ खाना खा रहे हैं जैसा कि डाइटीशियन अक्सर खाने के लिए बोलते हैं. लेकिन, व्रत खोलते वक्त आप तले हुए स्नैक्स और तैलीय खाना खा लेते हैं, तो यही समस्या है!
खाना वास्तव में आपके शरीर को ऊर्जा की आपूर्ति करता है- कार्बोहाइड्रेट्स, फैट्स प्रोटीन.
जब आप खाते हैं, तो आपका इंसुलिन स्तर बढ़ता है और यह आपके शरीर को आपके खाने से ग्लूकोज लेने और उसे ऊर्जा के रूप में उपयोग करने के लिए कहता है. ध्यान रहे कि आपका शरीर इस तरह का नहीं है कि बचा हुआ बर्बाद हो जाए. इसलिए अतिरिक्त भोजन ग्लाइकोजिन के रूप में आपके लीवर में जमा हो जाता है.
जब हम नहीं खाते हैं, तो यह ऊर्जा किसी दूसरी जगह से आती है.
आपके अंतिम भोजन के 6 से 24 घंटे बाद आपके इंसुलिन का स्तर कम होने लगता है और पहले से इकट्ठा हुए ग्लाइकोजेन का इस्तेमाल ऊर्जा के लिए होने लगता है.
पहला दिनः आपका लीवर ग्लूकोज बनाने के लिए एमिनो एसिड का इस्तेमाल करना शुरू कर देता है.
दूसरा दिनः जब ग्लूकोज देने के लिए आपके कार्बोहाइड्रेड्स का पूरा स्टॉक खत्म हो जाता है, तो आपातकालीन सेवा शुरू होती है और शरीर एक प्रक्रिया के तहत जिसे लिपोलाइसिस कहते हैं, फैट को तोड़ना शुरू कर देता है.
तीसरा दिनः लीवर के फैटी एसिड किटोन्स में टूटना शुरू हो जाते हैं, जिसका इस्तेमाल ऊर्जा के रूप में होता है.
चौथा दिनः आपके दिमाग के लिए 75 प्रतिशत ऊर्जा इन किटोन्स से आती है.
वजन कम करने के लिए व्रत रखना बिल्कुल भी एक अच्छा तरीका नहीं है. इससे उस दौरान कुछ किलो कम होता दिखाई देता है, लेकिन इसमें ज्यादातर फ्लूइड्स या पानी का वजन कम होता है.
यह वास्तविक फैट को सुरक्षा प्रदान करता है? इस फैट को इससे बहुत कम नुकसान पहुंचता है. वजन कम करने के लिए व्रत करना अपने आप को पराजित करना है. जितना भी वजन आप कम करते हैं, वो सामान्य या ज्यादा खाना शुरू करने के तुरंत बाद वापस आ जाता है.
व्रत करना आपके मेटाबॉलिज्म को धीमा भी करता है. इसलिए जब आप फिर से खाना खाते हैं, तो वजन बढ़ाना आसान हो जाता है. इस तरह दोहरी मार पड़ जाती है?
डिटॉक्स (विषाक्त पदार्थ बाहर निकालना) के लिए व्रत रखना क्या फायदमेंद है? वैज्ञानिक प्रमाण तो कहते हैं, नहीं. हालांकि, डॉक्टर इस मसले पर अलग-अलग राय रखते हैं.
लिवर आपके शरीर का प्राकृतिक डिटॉक्स सेंटर होता है, जो अपने आप विषाक्त पदार्थों (टॉक्सिन) को बाहर करने का काम करता है. इसके अलावा बड़ी आंत, त्वचा और फेफड़े विषाक्त पदार्थ बाहर निकालने में मदद करते हैं.
हालांकि, अन्य डॉक्टर कुछ अलग राय रखते हैं और दावा करते हैं कि व्रत रखना विषाक्त पदार्थ बाहर निकालने का एक असरदार तरीका है, क्योंकि यह फैट को बर्न करता है,ो जिसमें सबसे ज्यादा टॉक्सिन होते हैं.
व्रत के संबंध में ये सभी बातें महत्वपूर्ण हैं, जिनका आप व्रत रखते समय ध्यान रख सकते हैं.
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