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पूर्व आईएएस और लेखक एनके सिंह ने “Portraits of Power: Half a Century of Being at Ringside” नाम से एक किताब लिखी है. इस किताब के जरिए उन्होंने देश की इकनॉमिक हिस्ट्री लिखी है. सिंह कई प्रधानमंत्रियों के साथ काम कर चुके हैं. क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने एनके सिंह से अलग-अलग पीएमओ की विशेषताओं और उनमें अंतर पर बातचीत की.
बीजेपी ने अभी तक देश को दो प्रधानमंत्री दिए हैं- अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी. लेकिन दोनों के पीएमओ में कितना अंतर है? इस पर एनके सिंह ने कहा कि दो पीएमओ की तुलना करने में दिक्कत ये है कि समय-समय पर प्रधानमंत्रियों के सामने चुनौतियां अलग होती हैं.
एनके सिंह ने बताया कि वाजपेयी चाहते थे कि भारत के स्वाभिमान के लिए हमारा स्टेटस परमाणु शक्ति का हो. सिंह का कहना है कि वाजपेयी ने ब्यूरोक्रेसी की सलाह को नजरअंदाज करके परमाणु परीक्षण किया था.
सिंह ने कहा, "इस कदम के आर्थिक परिणामों के बावजूद अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा कि हम ये चुनौती स्वीकार करते हैं. और भारत एक परमाणु शक्ति बना."
पूर्व आईएएस एनके सिंह ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी में नीतियां या फैसले लागू करने की अद्भुत क्षमता है. सिंह बोले, "जो कदम मोदी ने उठाए हैं, वो कठिन हैं. GST का जिक्र 1991 सुधारों में था, लेकिन लागू मोदी ने किया."
एनके सिंह ने कहा कि अर्थशास्त्री UPA सरकार में ज्यादा थे, लेकिन फिस्कल रेस्पॉन्सिबिलिटी एक्ट वाजपेयी के समय हुआ और उसमें बदलाव नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में हुआ.
पूरा इंटरव्यू यहां देखें: इकनॉमी और ब्यूरोक्रेसी के सामने चुनौतियां: एनके सिंह EXCLUSIVE
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