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‘दबंग’ JNUSU अध्यक्ष आइशी कभी ‘शर्मिली’ हुआ करती थीं,पूरी प्रोफाइल

‘दबंग’ आईशी घोष कभी ‘शर्मिली’ हुआ करती थीं

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‘दबंग’ JNUSU अध्यक्ष आइशी कभी ‘शर्मिली’ हुआ करती थीं,पूरी प्रोफाइल
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‘दबंग’ JNUSU अध्यक्ष आइशी कभी ‘शर्मिली’ हुआ करती थीं,पूरी प्रोफाइल
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम

जेएनयू में फीस बढ़ोतरी के खिलाफ जो सबसे मुखर चेहरा सामने आया- वो है जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष. पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर की रहने वाली आइशी घोष जेएनयू से पीएचडी कर रही हैं. आइशी की मां कहती हैं, वो बचपन से ही शर्मिली थीं और उन्हें ऐसा कभी नहीं लगा कि वो सक्रिय राजनीति में जाएंगी और जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष भी चुन ली जाएंगी.

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घर में भी लेफ्ट पॉलिटिक्स का माहौल

आइशी के लिए राजनीति घर से ही शुरू होती है, उनके पिता देबाशीष घोष CITU (सेंटर ओफ इंडियन ट्रेड यूनियन) से जुड़े हैं जो CPI(M) की लेबर विंग है.

उसने घर में ही राजनीति देखी है, क्योंकि उसके पिता ट्रेड यूनियन में हैं, लेकिन उस वक्त मुझे नहीं लगा था कि वो राजनीति में आएगी
शर्मिष्ठा घोष, आइशी की मां

आइशी ने अपना ग्रेजुएशन दिल्ली के दौलत राम कॉलेज में राजनीति विज्ञान से किया है. ग्रेजुएशन के दौरान ही वो SFI से जुड़ीं. इसके बाद उन्होंने JNU में इंटरनेशनल रिलेशंस में पोस्ट ग्रेजुएशन में एडमिशन लिया और स्टूडेंट पॉलिटिक्स में काफी एक्टिव हो गईं. 2019 में JNUSU अध्यक्ष चुने जाने से पहले वो दो बार काउंसिल चुनी जा चुकी हैं. JNUSU के अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने JNU में फीस बढ़ाने और नए हॉस्टल मेन्युअल के खिलाफ प्रदर्शन का नेतृत्व किया. जेएनयू के कैंपस में 5 जनवरी को हुई हिंसा में आइशी घोष को गंभीर चोट आई थी.

वो किसी भी छात्र को प्रताड़ित होते नहीं देखना चाहती या किसी छात्र के साथ कोई गैर-कानूनी चीज न हो. यही उसका मुख्य उद्देश्य है  
शर्मिष्ठा घोष, आइशी की मां

आइशी घोष का कहना है कि उनकी शिक्षा उन छात्रों के लिए, महिलाओं के लिए, दलितों-पिछड़ों के लिए जो पढ़ लिख पाते हैं. डिग्री हासिल कर पाते हैं. आइशी का कहना है कि कैंपस में फीस बढ़ोतरी के खिलाफ छात्रसंघ का आंदोलन छात्रों के हक को बचाने का आंदोलन है.

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